सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को केंद्र को जांच एजेंसियों के दफ्तरों में सीसीटीवी और रिकॉर्डिंग उपकरण लगाने के निर्देश दिए. इन जांच एजेंसियों में सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (CBI), प्रवर्तन निदेशालय (ED) और नेशनल इन्वेस्टिगेटिंग एजेंसी (NIA) शामिल है. कोर्ट ने कहा कि उन जांच एजेंसियों के दफ्तरों में कैमरे लगाए जाएं, जिनके पास गिरफ्तारी और पूछताछ करने की शक्ति है.
जस्टिस आर.एफ. नरीमन की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा, “क्योंकि इनमें से ज्यादातर एजेंसियां अपने ऑफिस में पूछताछ करती हैं, इसलिए सीसीटीवी अनिवार्य रूप से उन सभी कार्यालयों में लगाए जाएंगे जहां इस तरह की पूछताछ और आरोपियों की पकड़ उसी तरह होती है, जैसे किसी पुलिस स्टेशन में होती है.”
कोर्ट ने CBI, ED, NIA के अलावा नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (NCB), डिपार्टमेंट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस और सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस (SFIO) के दफ्तरों में भी सीसीटीवी लगाने के निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सीसीटीवी सिस्टम जो लगाए जाने हैं, उन्हें नाइट विजन से लैस होना चाहिए और जरूरी है कि ऑडियो के साथ-साथ वीडियो फुटेज भी शामिल हो.
कोर्ट ने ये भी कहा कि सीसीटीवी कैमरों को फिर इस तरह के रिकॉर्डिग सिस्टम के साथ स्थापित किया जाना चाहिए, ताकि उस पर स्टोर डेटा को 18 महीनों तक संरक्षित किया जा सके.
2018 में सुप्रीम कोर्ट ने मानवाधिकार हनन रोकने के लिए थानों में सीसीटीवी कैमरे लगाने का आदेश दिया था.
कोर्ट ने कहा कि इस साल सितंबर में उसने 3 अप्रैल 2018 के आदेश के मुताबिक, हर थाने में सीसीटीवी कैमरों की सटीक स्थिति और ओवरसाइट समितियों के गठन की सही स्थिति का पता लगाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा था.
बेंच ने कहा कि 24 नवंबर तक 14 राज्य सरकारों और दो केंद्र शासित प्रदेशों ने अनुपालन हलफनामे और कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल की, लेकिन इनमें से अधिकांश रिपोर्ट हर पुलिस स्टेशन में सीसीटीवी कैमरों की सही स्थिति का खुलासा करने में विफल रही.
(IANS के इनपुट्स के साथ)
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)