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ताजमहल की हालत पर SC ने लगाई फटकार, पूछा- ये रंग कैसे बदल रहा है?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ताजमहल के सुधार के लिए विदेशों से भी विशेषज्ञ बुला सकते हैं

Published
भारत
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सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण की वजह से बदरंग हो रहे ताजमहल की स्थिति पर गहरी चिंता जताई है. कोर्ट ने सरकार से कहा, ‘‘शायद आपको इसकी कोई परवाह नहीं है.''

कोर्ट ने ताज की गरिमा बहाल करने के लिये तत्काल जरूरी कदम उठाने के सरकार को निर्देश दिये हैं. जस्टिस मदन बी लोकुर और जस्टिस दीपक गुप्ता की पीठ ने कहा कि ये स्मारक पहले पीला पड़ रहा था और अब यह भूरा और हरा हो रहा है. इसके साथ ही पीठ ने ताजमहल के संरक्षण के लिये उचित कदम नहीं उठाने पर संबंधित प्राधिकरणों को फटकार भी लगाई.

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सुप्रीम कोर्ट ने केन्द्र से कहा कि पहले वह ताजमहल को हुए नुकसान के आकलन के लिये भारत और विदेशों के विशेषज्ञों की सहायता ले और फिर 17वीं सदी के सफेद संगमरमर से बने इस स्मारक की स्थिति बहाल करने के लिये कदम उठाये. पीठ ने ताजमहल की हालिया तस्वीरों को देखकर ये टिप्पणी की.

‘‘दुनिया का आठवां अजूबा अब यह बन रहा है. पहले यह पीला हुआ और अब यह भूरा और हरा हो रहा है.’’

कोर्ट में मौजूद अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल एएनएस नाडकर्णी से पीठ ने सवाल किया कि ताजमहल का रंग क्यों बदल रहा है? नाडकर्णी ने जवाब दिया कि ताजमहल का प्रबंधन पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को करना होता है.

हालांकि जनहित याचिका दायर करने वाले पर्यावरणविद अधिवक्ता महेश चन्द्र मेहता ने कहा कि प्राधिकारियों ने ताज के संरक्षण के बारे में शीर्ष अदालत के निर्देशों का पालन नहीं किया, जिसकी वजह से विश्व प्रसिद्ध स्मारक की दयनीय स्थिति हो गयी है.

उन्होंने कहा कि ताजमहल के बदरंग होने के अलावा संगमरमर पर धब्बे पड़ रहे हैं और हाल ही में इसकी एक मीनार नीचे गिर गयी थी. इस पर पीठ ने प्राधिकारियों से कहा, ‘‘हमें नहीं मालूम कि क्या आपके पास विशेषज्ञता है या शायद नहीं है. अगर आपके पास विशेषज्ञता है भी, तो आप इसका इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं. या शायद आपको परवाह नहीं है.''

पीठ ने कहा कि भारत आने वाले कनाडा के प्रधानमंत्री सहित दुनिया के अनेक देशों के प्रमुख और दूसरी हस्तियां ताजमहल देखने जाते हैं और कोर्ट ये मानता है कि प्राधिकारी इस स्मारक को संरक्षित रखना चाहते हैं. पीठ ने कहा:

ऐसा लगता है कि आप असहाय हैं. कृपया इसके बारे में सोचिये. धन समस्या नहीं है. इसके लिये कुछ स्किल की जरूरत है. पहले नुकसान का आकलन कीजिये और फिर इसे कैसे बहाल करें.

नाडकर्णी ने पीठ से कहा कि इंटैक जैसी विशेष दक्षता वाली संस्थायें देश में हैं, जिसने गोवा में पुराने किले को संरक्षित रखने के लिये काम किया है. इस पर कोर्ट ने कहा, ‘‘ताज की तस्वीरों से लगता है कि इसके लिये इच्छाशक्ति का अभाव है. आप देश के भीतर से ही या फिर बाहर से विशेषज्ञ की सेवाएं लेने के बारे में सोचिए.''

इसके साथ ही न्यायालय ने इस मामले की सुनवाई 9 मई के लिये स्थगित कर दी.

पीठ ने नाडकर्णी और अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता से जानना चाहा, ‘‘आप आखिरी बार ताजमहल देखने कब गये थे?'' इस पर दोनों ने ही जवाब दिया कि एक दशक से भी ज्यादा हो गया है.'' पीठ ने दोनों से कहा, ‘‘बेहतर होगा कि आप जाएं और खुद देखें.''

सुनवाई के दौरान मेहता ने कहा कि ताजमहल खस्ता हालत में है, आगरा में यमुना नदी खत्म हो गयी है.

(भाषा से)

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