सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका के लिए कथित रूप से दो अपमानजनक ट्वीट करने के मामले में वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण को अदालत की अवमानना का दोषी माना है. जस्टिस अरूण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की बेंच ने यह फैसला सुनाया है. कोर्ट भूषण की सजा को लेकर 20 अगस्त को सुनवाई करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने 5 अगस्त को इस मामले में सुनवाई पूरी करते हुए कहा था कि इस पर फैसला बाद में सुनाया जाएगा. इससे पहले, प्रशांत भूषण ने अपने दो ट्वीट का बचाव किया था. उन्होंने कहा था कि वे ट्वीट जजों के खिलाफ उनके व्यक्तिगत स्तर पर आचरण को लेकर थे और वे न्याय प्रशासन में बाधा पैदा नहीं करते.
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में प्रशांत भूषण को 22 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया था.
कोर्ट में सुनवाई के दौरान भूषण का पक्ष रखने वाले वरिष्ठ वकील दुष्यंत दवे ने कहा था, ‘‘दो ट्वीट संस्था के खिलाफ नहीं थे. वे जजों के खिलाफ उनकी व्यक्तिगत क्षमता के अंतर्गत निजी आचरण को लेकर थे. वे दुर्भावनापूर्ण नहीं हैं और न्याय के प्रशासन में बाधा नहीं डालते हैं. ” उन्होंने कहा था, ‘‘भूषण ने न्यायशास्त्र के विकास में बहुत बड़ा योगदान दिया है और कम से कम 50 फैसलों का श्रेय उन्हें जाता है. ’’
दवे ने कहा था कि कोर्ट ने टूजी, कोयला खदान आवंटन घोटाले और खनन मामले में उनके योगदान की सराहना की है.
अपने 142 पेज के जवाब में भूषण ने अपने दो ट्वीट पर कायम रहते हुए कहा था कि विचारों की अभिव्यक्ति, ‘मुखर, असहमत या कुछ लोगों के प्रति असंगत’ होने की वजह से अदालत की अवमानना नहीं हो सकती.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)