गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम (UAPA) की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई के दौरान 17 नवंबर, बुधवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. यूएपीए की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली यह याचिका पूर्व नौकरशाहों ने मिलकर दायर की है.
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना की बेंच ने मामले में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया है. पूर्व आईएएस अधिकारी हर्ष मंदेर, वजाहत हबीबुल्ला, अमिताभ पांडे, कमलकांत जायसवाल, हिंदल हैदर तैयबजी, एमजी देवसहायम, प्रदीप कुमार देब, बलदेव भूषण महाजन शामिल हैं.
इसके अलावा याचिकर्ताओं में पूर्व आईपीएस अधिकारियों जूलियो फ्रांसिस रिबोरियो, ईश कुमार और पूर्व आईफएस अधिकारी अशोक कुमार शर्मा का भी नाम है.
''असहमति को दबाने के लिए किया जा रहा इस्तेमाल''
याचिका में कहा गया है कि यूएपीए मामलों में अभियोजन की दर काफी कम है. ऐसे मामलों में आरोपियों को लंबे वक्त तक कैद में रहना पड़ता है, कई लोगों की कैद में मौत तक हो जाती है. याचिका में तर्क दिया गया है कि धारा-43D (5) के प्रावधान के तहत जमानत देने से इनकार किया जाता है, इस प्रावधान का इस्तेमाल असहमति को दबाने के लिए किया जाता है, जो कि इस कानून के उद्देश्यों के खिलाफ है.
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