ADVERTISEMENTREMOVE AD

UP सरकार की याचिका पर SC ने ट्विटर इंडिया के पूर्व MD को जारी किया नोटिस

पुलिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ करने के ट्विटर इंडिया के अधिकारियों के अनुरोध को खारिज कर दिया था.

Updated
भारत
2 min read
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को Twitter India के तत्कालीन प्रबंध निदेशक मनीष माहेश्वरी को जारी व्यक्तिगत उपस्थिति के नोटिस को रद्द करने के कर्नाटक हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली उत्तर प्रदेश सरकार की याचिका पर नोटिस जारी किया है. उत्तर प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने प्रस्तुत किया कि कानून का एक प्रश्न था जिसकी जांच की आवश्यकता थी और फिलहाल इस कारण की अनदेखी की गई कि समन क्यों जारी किया गया था. मेहता ने कहा कि सवाल हाईकोर्ट के क्षेत्रीय क्षेत्राधिकार के बारे में है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
मुख्य न्यायाधीश एन.वी. रमना की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा, "हम नोटिस जारी करेंगे, मामले की विस्तार से सुनवाई करेंगे."

माहेश्वरी को नोटिस ट्विटर पर एक उपयोगकर्ता द्वारा सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील वीडियो अपलोड करने की जांच के सिलसिले में जारी किया गया था. अगस्त में माहेश्वरी को माइक्रोब्लॉगिंग साइट के राजस्व रणनीति और संचालन विभाग में एक वरिष्ठ निदेशक के रूप में अमेरिका में स्थानांतरित कर दिया गया था.

वरिष्ठ अधिवक्ता ए.एम. सिंघवी और सिद्धार्थ लूथरा माहेश्वरी के लिए उपस्थित थे.

मेहता ने 8 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया था कि हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा तत्कालीन ट्विटर एमडी को जारी किए गए सम्मन में हस्तक्षेप किया था.

0

उत्तर प्रदेश सरकार ने 23 जुलाई के हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक विशेष अनुमति याचिका दायर की, जिसने नोटिस को दुर्भावनापूर्ण बताते हुए खारिज कर दिया. माहेश्वरी ने इस मामले में आदेश पारित होने से पहले सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट में एक कैविएट भी दायर किया था.

गाजियाबाद पुलिस ने माहेश्वरी को नोटिस जारी कर एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति पर हमले के वायरल वीडियो से जुड़ी जांच में पूछताछ के लिए लोनी पुलिस स्टेशन में पेश होने को कहा था.

कर्नाटक हाईकोर्ट ने 24 जून को गाजियाबाद में लोनी पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में माहेश्वरी को सुरक्षा प्रदान की.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

मामला एक वीडियो के प्रसार से जुड़ा है जिसमें बुजुर्ग अब्दुल शमद सैफी ने आरोप लगाया था कि 5 जून को कुछ युवकों ने उन्हें 'जय श्री राम' बोलने के लिए मजबूर किया था. सांप्रदायिक असंतोष को भड़काने के लिए वीडियो साझा किया गया था.

15 जून को, गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर इंक, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब के अलावा कांग्रेस नेताओं सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद और लेखक सबा नकवी के खिलाफ मामला दर्ज किया था.

पुलिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ करने के ट्विटर इंडिया के अधिकारियों के अनुरोध को खारिज कर दिया था.

पुलिस के अनुसार, आरोपी बुलंदशहर जिले के निवासी सैफी द्वारा बेचे गए ताबीज से नाखुश थे और उन्होंने इस मामले में किसी भी सांप्रदायिक कोण से इनकार किया. गाजियाबाद पुलिस ने घटना के तथ्यों के साथ एक बयान जारी किया था, फिर भी आरोपियों ने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो नहीं हटाया.

सैफी ने कथित तौर पर दावा किया कि उन पर कुछ युवकों ने हमला किया और 'जय श्री राम' का नारा लगाने के लिए मजबूर किया. लेकिन, पुलिस ने कहा, सैफी ने सात जून को दर्ज अपनी प्राथमिकी में ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया था.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×