प्रदूषण पर आपातकाल जैसे हालात को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार से एक बार फिर सवाल पूछे हैं. कोर्ट ने दिल्ली में लागू ऑड-ईवन को लेकर भी दिल्ली सरकार से सवाल किया. सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि क्या ऑड-ईवन से दिल्ली के प्रदूषण में कोई कमी आई है?
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को जल्द प्रदूषण को लेकर एक्शन लेने को कहा. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि प्रदूषण को लेकर एक रोड मैप तैयार किया जाए. जिसमें दिल्ली में कई जगहों पर एयर प्यूरिफायर टॉवर लगाने की बात कही गई.
ऑड-ईवन से 15% कम हुआ प्रदूषण?
सुप्रीम कोर्ट की तरफ से ऑड-ईवन को लेकर पूछे गए सवाल पर दिल्ली सरकार ने कहा कि इससे करीब 5 से लेकर 15 प्रतिशत तक प्रदूषण कम हुआ है. दिल्ली सरकार ने कोर्ट से कहा,
दिल्ली में ऑड-ईवन लागू करने के बाद 5-15 प्रतिशत तक प्रदूषण में कमी आई है, इसका रिजल्ट और भी बेहतर हो सकता था अगर इस स्कीम में किसी को भी छूट नहीं दी जाती. दिल्ली में प्रदूषण का असली जिम्मेदार पराली का जलना है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- लोग कैसे लेंगे सांस?
सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से सवाल पूछा कि आखिर लोग इस हवा में कैसे सांस लेंगे? कोर्ट ने कहा, दिल्ली बहुत बुरे हालात से गुजर रही है. एयर क्वॉलिटी इंडेक्स लगभग 600 तक पहुंच चुका है. लोग आखिर कैसे सांस लेंगे? कोर्ट ने ये भी कहा कि ऑड-ईवन प्रदूषण को कंट्रोल करने का कोई उपाय नहीं हो सकता है.
सुप्रीम कोर्ट ने प्रदूषण के मामले में पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और दिल्ली के चीफ सेक्रेट्री को समन जारी किया है और 29 नवंबर को पेश होने का आदेश दिया है. सभी राज्य प्रदूषण से निपटने के उचित इंतजाम करने में नाकामयाब रहे.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ऑड-ईवन से प्रदूषण के स्तर में सिर्फ कुछ ही प्रतिशत की कमी आएगी. कोर्ट ने कहा, सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक दिल्ली में चलने वाली कारें सिर्फ 3 प्रतिशत प्रदूषण फैलाती हैं, जबकि सभी वाहनों को मिलाकर ये 28 प्रतिशत है. कोर्ट ने बताया कि वाहनों के अलावा कूड़ा, कंस्ट्रक्शन वेस्ट और सड़कों की धूल प्रदूषण के प्रमुख कारण हैं.
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