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पाक जेल से सेना के कैप्टन की रिहाई की मांग, SC का केंद्र को नोटिस

एक मां पिछले 23 साल से अपने बेटे की एक झलक पाने के लिए लड़ाई लड़ रही है

Published
भारत
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एक मां पिछले 23 साल से अपने बेटे की एक झलक पाने के लिए लड़ाई लड़ रही है. इस 81 साल की बुजुर्ग मां का कहना है कि उसका बेटा, जो एक भारतीय सेना का कैप्टन है, वह पाकिस्तान की जेल में बंद है. मां का दावा है कि वह गुजरात में कच्छ के रण में भारत-पाकिस्तान सीमा से लापता हो गया था.

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81 वर्षीय कमला भट्टाचार्जी ने पाकिस्तान के लाहौर में कोट लखपत सेंट्रल जेल से अपने बेटे कैप्टन संजीत भट्टाचार्जी के प्रत्यावर्तन के लिए तत्काल और जरूरी कदम उठाने के लिए केंद्र से निर्देश देने को लेकर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.

इस दुखी मां का कहना है कि वह फिलहाल अकेली ही यह लड़ाई लड़ रही है, क्योंकि उसने पिछले साल नवंबर में अपने पति को खो दिया था और उनके पति की अपने बेटे की एक झलक पाने की इच्छा भी अधूरी ही रह गई.

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता का बेटा यानी कैप्टन संजीत भट्टाचार्जी 19 अप्रैल 1997 से अपने ड्यूटी समय के दौरान कच्छ गुजरात और पाकिस्तान के रण में संयुक्त सीमा पर रात के समय अन्य सदस्यों के साथ गश्त के लिए निकला था. हालांकि, अगले दिन यानी 20 अप्रैल, 1997 को याचिकाकर्ता के बेटे और पलटन के एक अन्य सदस्य लांस नायक राम बहादुर थापा के बिना पलटन के केवल 15 सदस्य वापस आ पाए थे. यह निर्धारित किया गया था कि याचिकाकर्ता का बेटा और दूसरा व्यक्ति गश्त के समय संदिग्ध परिस्थितियों में लापता हो गए.

याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता को रेडियो इंटरसेप्ट की एक प्रति मिली है, जिसमें पुष्टि की गई है कि याचिकाकर्ता के बेटे को पाकिस्तान रेंजर्स ने पकड़ लिया था और उसके बाद उसे पाकिस्तान सेना को सौंप दिया गया था.

2004 में, याचिकाकर्ता के परिवार को रक्षा मंत्रालय से एक पत्र मिला, जिसमें उन्होंने बताया कि याचिकाकर्ता के बेटे को मृत घोषित कर दिया गया है. यह साक्ष्य 107 और 108 एविडेंस एक्ट द्वारा शासित मौत के अनुमान का परिणाम था, जो सात साल से लापता एक व्यक्ति के लिए मृत्यु की अनुमति देता है.

याचिका में कहा गया है, "यह प्रस्तुत किया गया है कि समय बीतने के साथ-साथ याचिकाकर्ता के परिवार का विश्वास भी कम होने लगा. हालांकि एक दिन याचिकाकर्ता को अपने बेटे के ठिकाने से संबंधित एक महत्वूपूर्ण जानकारी मिली, जिसमें उन्हें सूचित किया गया था कि उनके बेटे को कोट लखपत जेल में कैद में रखा गया है, जिसे सेंट्रल जेल लाहौर, पाकिस्तान भी कहा जाता है."

याचिकाकर्ता ने तुरंत रक्षा मंत्रालय से आगे की जानकारी निकालने का अनुरोध किया. हालांकि, उन्हें एक प्रतिक्रिया मिली कि इस मामले में कोई ताजा घटनाक्रम दर्ज नहीं किया गया है.

जस्टिस एएस बोपन्ना और वी रामासुब्रमण्यन के साथ ही चीफ जस्टिस एसए बोबडे की बेंच ने शुक्रवार को इस मामले की संक्षिप्त सुनवाई के बाद विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय के सचिव को नोटिस जारी किया. बेंच ने याचिकाकर्ता के वकील से ऐसे सभी समान रूप से रखे गए सेना के जवानों की लिस्ट बनाने को कहा, जो लापता हो गए और उनका पता नहीं लगाया जा सका.

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