सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बारे में लाइव लॉ की रिपोर्ट पर, जिसमें लखनऊ यूनिवर्सिटी के ज्योतिष विभाग को एक महिला की कुंडली की जांच करने का निर्देश दिया गया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि वह मांगलिक है या नहीं. इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस आदेश पर रोक लगा दिया है.
जस्टिस सुधांशु धूलिया और पंकज मित्तल की बेंच ने हाईकोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी और इलाहाबाद हाईकोर्ट को आरोपी की जमानत याचिका पर गुण-दोष के आधार पर फैसला करने का निर्देश दिया है.
क्या है पूरा मामला?
दरअसल, प्रयागराज में कुछ दिनों पहले इलाहाबाद विश्वविद्यालय का एक मामला सामने आया था, जिसमे विश्वविद्यालय के एक प्रोफेसर पर दुष्कर्म का आरोप लगा था. इस केस में रेप पीड़िता की शिकायत पर प्रोफेसर को जेल हो गई थी.
इलाहाबाद हाई कोर्ट में रेप के आरोपी प्रोफेसर ने जमानत के लिए अर्जी दाखिल की थी. जिस पर सुनवाई के दौरान आरोपी ने अपने वकील के माध्यम से कहा कि पीड़िता मांगलिक है, इसलिए प्रोफेसर उससे शादी नही कर सकता है. आरोपी के इस बयान को सुनने के बाद कोर्ट ने कुछ बातों को ध्यान में रख के लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग को रेप पीड़िता की कुंडली की जांच करने का आदेश दिया था.
हाईकोर्ट ने इलाहाबाद विश्वविद्यालय के प्रोफेसर की जमानत अर्जी पर सुनवाई करते हुए आदेश दिया था और कहा था कि लखनऊ विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभाग सप्ताह भर में कुंडली की जांच कर के बताएं कि रेप पीड़िता मांगलिक है या नही. पीड़िता की कुंडली हाई कोर्ट ने बंद लिफाफे में मांगी थी.
अब जब यह खबर मीडिया और इंटरनेट पर वायरल हुई तो सुप्रीम कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लेते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश रोक लगा दिया है.
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