मार्च 2013 में तिरुनेलवेली जिले के थिरुक्कुरुंगुडी के निवासी वैयापुरी अपनी बाइक से एक पुल पर जा रहे थे, जब उन्हें तीन पुलिस अफसरों ने रोक लिया. वैयापुरी से बाइक के कागजात दिखाने को कहा गया और जब उन्होंने फोटोकॉपी दिखाई, तो पुलिस अफसरों ने कथित रूप से कागजातों को जमीन पर फेंक दिया और वैयापुरी से पूछा कि उनके पास कितने पैसे हैं.
मद्रास हाईकोर्ट में अपनी याचिका में वैपुरी ने बताया कि जब उन्होंने पुलिस अफसरों को बताया कि उनके पास सिर्फ 150 रुपये हैं, तो उन्हें गाली दी गई और पूछा गया कि जब उनके पास कैश नहीं है तो बाइक की क्या जरूरत है.
इसके बाद कथित रूप से उन्हें स्टेशन ले जाया गया, उनके कपड़े उतारे गए और पीटा गया. वैयापुरी को जांघ में गंभीर चोट आई थी. बाद में कोरे कागज पर उनका अंगूठा लगवाया गया.
जिस हमले की वजह से वैयापुरी को मेडिकल ट्रीटमेंट की जरूरत पड़ी, वो किसी और ने नहीं बल्कि सब-इंस्पेक्टर बालाकृष्णन ने किया था. सब-इंस्पेक्टर पी रघुगणेश के साथ बालाकृष्णन को थूथुकुड़ी जिले में जयराज और बेनिक्स की मौत के मामले में सस्पेंड किया गया है.
मद्रास हाई कोर्ट ने इस मामले में जांच सीबीआई को सौंपने की इजाजत दे दी है.
द न्यूज मिनट (TNM) ने दोनों पुलिस अफसरों के बारे में दूसरे पीड़ितों और एक्टिविस्टों से बात की. पता चला कि दोनों ने कई हमले किए हैं और बार-बार अपने हिंसाकत्मक व्यवहार के साथ बच निकले हैं.
वैयापुरी के वकील पोन कार्तिकेयन ने बताया कि बालाकृष्णन ने माफी मांगी थी और कहा था कि अगर वो निर्दयता के लिए कन्विक्ट हो गया तो उसकी जिंदगी बर्बाद हो जाएगी. वैयापुरी ने कोर्ट से 1 लाख मुआवजे और अफसरों को सजा देने की अपील की थी.
वकील ने बताया, "मेरे क्लाइंट और बालाकृष्णन ने कोर्ट के बाहर सेटेलमेंट कर ली थी. लेकिन लगता है कि पुलिस अफसर बदले नहीं थे."
बालाकृष्णन का इस घटने के बाद कथित रूप से कई आरोपों की वजह से कई बार ट्रांसफर हुआ था. फिर वो 2019 में सथनकुलम आ गए थे और सब-इंस्पेक्टर रघुगणेश के साथ मिलकर कथित रूप से निवासियों को परेशान करते थे.
हिंसा पीड़ित पादरी
इसी साल 21 फरवरी को सथनकुलम के करीब पलानीयप्पुरम के 34 वर्षीय पादरी लाजरस और अन्य 10 लोगों को एक गांव में पैम्फलेट बांटते समय पुलिस ने पकड़ लिया. उन्हें बताया गया कि स्थानीय लोगों की शिकायत पर ऐसा किया गया है.
लाजरस ने बताया, "हम लोग पुलिस स्टेशन गए और रघुगणेश ने बिना कोई सवाल पूछे मुझे चेहरे पर थप्पड़ मारना शुरू कर दिया. उन्होंने हमारी पीठ, पैर और जांघो पर लाठियों से एक घंटे से ज्यादा समय तक मारा. हमें लॉकअप में डाल दिया गया. हम वहां 6 घंटे करीब रहे. जब हमारे पंचायत प्रमुख पूछने आए तो उन्हें भी मारा गया."
लाजरस ने बताया कि आखिरकार गांववालों और क्रिस्चियन समूहों के बीचबचाव करने के बाद हम बाहर आए. लाजरस का आरोप है कि रघुगणेश ने मारपीट की और बालाकृष्णन ने गलियां दीं.
'माफी के बाद शिकायत वापस ले लो'
नेशनल क्रिस्चियन काउंसिल ने इसके बाद पादरी को लीगल सपोर्ट दिया और जानकारी राज्य के मानवाधिकार आयोग और अल्पसंख्यक आयोग भेज गई. साथ ही पुलिस के DIG को भी बताया गया.
नेशनल क्रिस्चियन काउंसिल के स्टेट कोऑर्डिनेटर सीएस जेबसिंघ ने बताया, "अल्पसंख्यक आयोग ने कलेक्टर और DIG को नोटिस भेजा और फिर DSP ने हमें इन्क्वायरी के लिए बुलाया. लेकिन कार्रवाई करने की बजाय कहा गया कि पुलिस अधिकारी माफी मांग लेंगे और हमें शिकायत वापस लेनी होगी."
पीड़ितों ने इससे इनकार कर दिया और पुलिस अफसरों के ट्रांसफर की मांग की. जेबसिंघ ने कहा कि महामारी की वजह से इन्क्वायरी में कुछ हुआ नहीं लेकिन अगर वो हमारी बात सुनते तो दो जिंदगियां बच जातीं.
TNM ने जब थूथुकुड़ी के SP अरुण बालगोपालन से संपर्क किया तो उन्होंने पुष्टि की, कि दोनों अफसरों के खिलाफ पहले भी शिकायतें दर्ज हुई हैं और इन्क्वायरी चल रही है.
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