राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सीनियर लीडर तेजस्वी यादव यूपी में एसपी-बीएसपी के गठबंधन के बाद खासे खुश हैं. जिस दिन गठबंधन का ऐलान हुआ तो उसके बाद तेजस्वी ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए उसका स्वागत किया और उसके बाद अगले ही दिन लखनऊ बीएसपी सुप्रीमो मायावती से मिलने के लिए पहुंचे. तेजस्वी ने मायावती को उनके जन्मदिन(15 जनवरी) से पहले ही बधाई दी और गुलदस्ता भेंट करने के बाद ट्विटर पर जमकर तारीफ की. अब सोमवार को तेजस्वी यादव सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से मिलने जा रहे हैं और उन्हें बधाई देंगे. लेकिन राजनीतिक गलियारे में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि तेजस्वी ने ये मुलाकात दरअसल कांग्रेस की पैरवी के लिए की हैं.
यूपी के गठबंधन में एसपी और बीएसपी ने कांग्रेस को कोई जगह नहीं दी, केवल अमेठी और रायबरेली की सीटें राहुल गांधी और सोनिया गांधी के लिए छोड़ दीं. ऐसे में कांग्रेस ने खुद ही अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर डाला. बिहार के महागठबंधन में कांग्रेस और आरजेडी एक साथ हैं तो तेजस्वी रविवार शाम को बीएसपी प्रमुख मायावती से मिलने पहुंचे.
जिस वक्त तेजस्वी और मायावती की मुलाकात चल रही थी तो उसी वक्त आरजेडी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने यूपी गठबंधन में कांग्रेस को अलग करने पर एसपी-बीएसपी को सलाह दे डाली. आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने कहा, 'अगर हम (विपक्ष) राष्ट्रीय स्तर पर एक विकल्प देना चाहते हैं तो बीजेपी विरोधी सभी ताकतों को उन्हें हराने के लिए एक साथ आना होगा. यह सबसे सही समय है जब उन्हें(एसपी और बीएसपी) इसमें (कांग्रेस को बाहर रखने के फैसले को) संशोधन करना चाहिए.” इसके अलावा बिहार गठबंधन में हिंदुस्तान आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतन राम मांधी ने भी कांग्रेस को यूपी गठबंधन से दूर रखने पर सवाल उठाए हैं.
ऐसे में कयास तेज हैं कि हो सकता है तेजस्वी अखिलेश और मायावती से कांग्रेस के लिए गठबंधन में जगह मांगने के लिए गए हों. हालांकि तेजस्वी का साफ कहना है कि वो तो अपने से बड़ों का आशीर्वाद लेने के लिए गए हैं.
“यूपी गठबंधन थी लालू प्रसाद यादव की कल्पना”
इससे पहले मायावती से मुलाकात के बाद तेजस्वी ने कहा कि उनके पिता लालू प्रसाद यादव ने यूपी में सपा-बसपा मिलन और महागठबंधन की जो कल्पना की थी वो अब सच होने जा रही है.साथ ही उन्होंने कहा कि, “बीजेपी के जीतने की कोई संभावना ही नहीं है. यूपी और बिहार से बीजेपी का सफाया हो जाएगा. ”
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