सरकार बार-बार दावा करती है कि 2014 से देश में कोई बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हुआ है. पीएम मोदी रैलियों में ये दावा कर चुके हैं. न सिर्फ इस दौरान पठानकोट, उड़ी और पुलवामा के हमले हुए. सरकार आंकड़े बताते हैं कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी हमले लगातार बढ़ रहे हैं और पहले से ज्यादा जवान शहीद हो रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में इस साल भी 2018 से ज्यादा जवान शहीद हो रहे हैं. जम्मू-कश्मीर में इस साल सिर्फ चार महीने में 61 जवान शहीद हुए हैं. इसी दौरान 86 आतंकवादियों का खात्म हुआ.
2019 के चार महीनों में आतंकवादी हमलों में 11 आम नागरिक मारे गए. इन चार महीनों में राज्य में 177 आतंकी हमले हुए. जिसमें 142 लोग जख्मी हुए. इनमें 73 जवान और 69 नागरिक शामिल थे. दरअसल,जम्मू कश्मीर के एक सामाजिक कार्यकर्ता रोहित चौधरी ने इस सूचना के अधिकार कानून के अंतर्गत ये जानकारी मांगी थी. जवाब में ये सूचना खुद केंद्रीय गृह मंत्रालय ने दी है.
पिछले साल से ज्यादा हमले
पिछले साल के मुकाबले शहीदों की संख्या बढ़ गयी है क्योंकि पिछले पूरे साल में जम्मू-कश्मीर में 91 जवान शहीद हुए थे. पिछले साल 38 नागरिक मारे गए थे. 2018 में सुरक्षाबलों की कार्रवाई में 257 आतंकवादियों को मौत के घाट उतारा गया था. ये जानकारी भी सरकार ने ही लोकसभा में दी थी.
5 साल में शहीदों की संख्या बढ़ी
इसी साल फरवरी में गृह मंत्रालय ने लोकसभा में बताया था कि 2014 से 2018 के बीच 96% ज्यादा जवान शहीद हुए. पिछले पांच सालों में आतंकवादी हमलों में 176 फीसदी की बढ़ोतरी हुई. इस दौरान कुल मिलाकर 1708 आतंकवादी हमले हुए. यानी हर महीने करीब 28 हमले.
पिछले 5 सालों में आतंकी हमलों में कुल 1315 लोगों की जान गई. 138 आम नागरिक और 339 सुरक्षाकर्मी शहीद हुए. फोर्सेज ने 838 आतंकवादियों को मार गिराया.
2014 में 222 हमले हुए, वहीं 2015 में इससे कुछ कम 208 हमले हुए. लेकिन 2016 आते-आते हालात बिगड़ने लगे और हमलों में 59% का इजाफा हो गया. अगले साल यानी 2017 में 342 आतंकवादी हमले हुए. 2017 में 6 फीसदी ज्यादा हमले हुए. 2018 में हालात और खराब हो गए क्योंकि इस साल 614 हमले हुए. 2018 में हर महीने 51 आतंकवादी हमले हुए.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)