भारत सरकार(Indian government) ने पहली बार स्वीकार किया है कि भारतीय प्रबंध संस्थान(IIM) रोहतक के प्रमुख धीरज शर्मा(Dheeraj Sharma) को गलत तरीके से नियुक्त किया गया था और इस पद पर काबिज होने के लिए उनके पास पर्याप्त योग्यता नहीं थी. इससे पहले भारत सरकार ने कई बार अस्वीकार किया था लेकिन इस बार इस सच को स्वीकार किया गया है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, पहले केंद्र सरकार ने इनकार किया था लेकिन पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में स्वीकार किया है कि, "उसने धीरज शर्मा को आवश्यक योग्यता न होने के कारण भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM), रोहतक का निदेशक नियुक्त किया था."
सरकार ने पिछले महीने शर्मा के पांच साल का कार्यकाल पूरा करने के बाद ही इसे स्वीकार किया और उन्हें दूसरे कार्यकाल के लिए नियुक्त किया.
आईआईएम के इस पद पर काबिज होने के लिए बैचलर्स या अंडरग्रैजूएट में फर्स्ट क्लास की डिग्री होनी चाहिए,जबकि अंडरग्रेजुएट कोर्स में सेकंड डिवीजन पाने के बावजूद धीरज शर्मा को आईआईएम-रोहतक का निदेशक बना दिया गया था.
शिक्षा मंत्रालय ने इस बात को स्वीकारते हुए 14 मार्च को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में एक हलफनामा दाखिल किया.IIM रोहक वेबसाइट के अनुसार, शर्मा IIM अहमदाबाद में प्रोफेसर भी हैं और उन्होंने उत्तरी अमेरिका, यूरोप और एशिया के कई संस्थानों में पढ़ाया या शोध प्रस्तुत किया है.
सरकार ने पहले किया इनकार,अब स्वीकारा
रिपोर्ट के मुताबिक,धीरज शर्मा को उनकी ग्रेजुएट की डिग्री मांगने के लिए तीन पत्र भेजे गए थे,लेकिन उन्होंने इसे जमा नहीं किया था. इसके बाद इस नियुक्ति को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में चुनौती दी गई.याचिकाकर्ता ने कहा कि निदेशक ने अपनी शैक्षणिक योग्यता को गलत तरीके से पेश किया.
पिछले साल, केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट से यह कहते हुए याचिका खारिज करने का अनुरोध किया था कि याचिकाकर्ता के पास अधिकार नहीं है क्योकि जिन लोगों ने निदेशक की नौकरी के लिए आवेदन किया था, उन्होंने नियुक्ति को चुनौती नहीं दी थी.
अब सरकार ने इस गड़बडी को स्वीकार कर लिया है.सरकार ने सोमवार को दायर किए एक हलफनामे में कहा,‘डॉ. धीरज शर्मा को बैचलर्स की डिग्री में सेकेंड डिवीजन प्राप्त हुई है, जो कि आईआईएम रोहतक के निदेशक पद पर काबिज होने के लिए जरूरी योग्यता के अनुरूप नहीं है.’
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