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महाराष्ट्र में बुलेट ट्रेन को आम और चीकू किसानों की लाल झंडी 

बुलेट ट्रेन से किसानों को विस्थापित होने का डर 

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आम और चीकू किसानों की वजह से केंद्र की महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट अपनी डेडलाइन मिस कर सकती है. महाराष्ट्र के आम और चीकू किसान बुलेट ट्रेन के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे हैं. जमीन अधिग्रहण के खिलाफ किसानों के आंदोलन को अब राजनीतिक समर्थन भी मिलने लगा है. किसानों का कहना है कि बुलेट ट्रेन परियोजना में अगर उनकी जमीन गई तो वे बेरोजगार हो जाएंगे.

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किसानों को मनाने की हो रही कोशिश

पीएमओ इस परियोजना की हर सप्ताह मॉनिटरिंग कर रहा है. भारतीय अफसर जापान को विश्वास दिलाने में लगे हैं कि किसानों को बातचीत के जरिये समझा लिया जाएगा. चीकू और आम किसानों के साथ कोई सौदा जल्द ही हो जाएगा

दूसरी ओर से स्थानीय नेताओं के समर्थन से पिछले कुछ महीनों से बुलेट ट्रेन परियोजना का विरोध तेज हो गया है. 62 साल के एक किसान दशरथ पुरव ने चीकू के अपने बाग दिखाते हुए कहा,

मैंने 30 साल की हाड़तोड़ मेहनत से चीकू के इस बाग को आबाद किया है और वे मुझे मेरी जमीन सौंप देने के लिए कह रहे हैं. मैंने इसे सरकार के प्रोजेक्ट के लिए विकसित नहीं किया है. मैंने अपने बच्चों के लिए मेहनत की है.
दशरथ पुरव, महाराष्ट्र के किसान 

देरी होने पर जापान से लोन मिलने में होगी दिक्कत

बुलेट ट्रेन परियोजनाओं में देरी होने की वजह से जापान इंटरनेशल को-ऑपरेशन एजेंसी से मिलने वाले सॉफ्ट लोन जारी करने में देर हो सकती है. जापान सरकार की यह कंपनी अगले महीने परियोजना की समीक्षा करेगी. जापान इंटरनेशनल को-ऑपरेशन एजेंसी की प्रवक्ता ने कहा कि भारत को इन किसानों के लिए पुनर्वास योजना बनाकर उसे सार्वजनिक करना चाहिए ताकि बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट के मुख्य हिस्से को कल करने के लिए लोन एग्रीमेंट पर बात की जा सके.

महाराष्ट्र में करीब 108 किलोमीटर लंबे हिस्से में बुलेट प्रॉजेक्ट को किसानों और आदिवासियों का विरोध झेलना पड़ रहा है. यह हिस्सा पूरी परियोजना का करीब 5वां हिस्सा है. यह प्रस्तावित बुलेट परियोजना मुंबई को गुजरात के सबसे बड़े कारोबारी शहर अहमदाबाद से जोड़ेगी.

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