ट्रिपल तलाक को गैर जमानती अपराध बनाने के लिए मोदी सरकार अगले हफ्ते लोकसभा में ‘मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण’ विधेयक पेश करेगी. इससे पहले कैबिनेट ने पर तीन साल की जेल के प्रावधान वाले इस विधेयक को मंजूरी दे दी. बिल के मुताबिक, एक बार में ट्रिपल तलाक देना अवैध माना जाएगा.
केंद्र ने इस बिल को पास कराने के लिए पूरी तैयारी कर ली है. कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ट्रिपल तलाक बिल पेश करेंगे. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार ने इस पर सख्त कानून बनाने का फैसला किया था.
ट्रिपल तलाक विधेयक की खास बातें
- एक बार में तीन तलाक गैरकानूनी और अवैध होगा
- ऐसा करने वाले पति को होगी तीन साल के कारावास की सजा
- ट्रिपल तलाक देना गैरजमानती और संज्ञेय अपराध होगा
- पीड़िता को मिलेगा गुजारा भत्ता का अधिकार
- मजिस्ट्रेट करेंगे इस मुद्दे पर अंतिम फैसला
- जम्मू कश्मीर को छोड़ कर पूरे देश में लागू होना है
- प्रस्तावित कानून केवल एक बार में तीन तलाक पर ही लागू होगा.
गैरकानूनी होगा ट्रिपल तलाक
प्रस्तावित कानून केवल एक बार में तीन तलाक या तलाक ए बिद्दत पर ही लागू होगा. यह पीड़िता को अपने और नाबालिग बच्चों के लिए गुजारा भत्ता मांगने के लिए मजिस्ट्रेट से गुहार लगाने का अधिकार देगा. इसके तहत, महिला मजिस्ट्रेट से नाबालिग बच्चों के संरक्षण का भी अनुरोध कर सकती है और मजिस्ट्रेट इस मुद्दे पर अंतिम फैसला करेंगे.
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विधेयक के मुताबिक, किसी भी तरह का तीन तलाक (बोलकर, लिखकर, ईमेल, एसएमएस या व्हाट्सएप जैसे इलेक्ट्रानिक माध्यम से) गैरकानूनी और अवैध होगा. ऐसा करने वाले पति को तीन साल के कारावास की सजा हो सकती है.
सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 22 अगस्त को ट्रिपल तलाक को पर रोक लगाई थी. कोर्ट के आदेश के बाद सरकार का मानना था कि यह परंपरा बंद हो जाएगी. लेकिन ये अब तक जारी रही. इस साल फैसले से पहले इस तरह के तलाक के 177 मामले, जबकि इस फैसले के बाद 66 मामले दर्ज हुए. उत्तर प्रदेश इस सूची में टॉप पर है. इसलिए सरकार ने कानून बनाने की योजना बनाई.
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