त्रिपुरा सरकार का नया फरमान आया है. अफसरों को हिदायत दी गई है कि वो ड्यूटी पर क्या-क्या नहीं पहने और किस तरह बिना पॉकेट में हाथ दिए बात करें. बिप्लब देब की सरकार के मुख्य सचिव सुशील कुमार ने एक मेमोरेंडम निकाला है.
मेमोरेंडम में सुशील कुमार ने कहा है कि अधिकारी बैठकों के दौरान कैजुअल कपड़े जैसे जींस, कार्गो पैंट्स और सनग्लासेस नहीं पहनें. मेरे खास तौर पर मना करने के बाद भी एक अधिकारी ने हमारे निर्देशों का पालन नहीं किया.
मेमोरेंडम में लिखा है,
जिला मजिस्ट्रेट, जिला प्रमुख होने के नाते एडीएम को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि राज्य स्तर की ऑफिशियल मीटिंग में जिनकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, मंत्री, मुख्य सचिव करते हों या दूसरे हाई लेवल की मीटिंग में ड्रेस कोड का पालन हो. बैठकों के दौरान कैजुअल कपड़े जैसे जींस, कार्गो पैंट्स और सनग्लास नहीं पहनें.
“अधिकारी मीटिंग के दौरान अपने मोबाइल पर मैसेज भेजने और पढ़ने में व्यस्त रहते हैं”
उन्होंने आगे कहा है, मैंने देखा है कि कुछ अधिकारी मीटिंग के दौरान अपने मोबाइल पर मैसेज भेजने और पढ़ने में व्यस्त रहते हैं. ऐसा करना मीटिंग के अध्यक्ष का अनादर जैसा है. मेमोरेंडम में लिखा है कि अगर जरूरी काम हो तो आप बैठक की अध्यक्षता कर रहे शख्स की इजाजत लेकर बाहर जाएं और कॉल या मेसेज देख लें. ये मेमोरेंडम 20 अगस्त 2018 को निकाला गया था.
इसमें ये भी याद दिलाया गया है कि त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री माणिक सरकार ने अधिकारियों को जेब से हाथ बाहर निकालने के आदेश दिए थे.
मुख्य सचिव सुशील कुमार ने मेमोरेंडम में एक घटना का जिक्र करते हुए कहा है कि आप लोगों को याद होगा कि मध्यप्रदेश के चीफ मिनिस्टर को लेने गए एक अधिकारी ने सनग्लास लगा रखा था. और उस अधिकारी को सजा भी भुगतनी पड़ी थी.
छत्तीसगढ़ में पीएम मोदी से सनग्लास पहनकर मिले थे अधिकारी, हुआ था बवाल
बता दें कि 2015 में छत्तीसगढ़ के बस्तर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे के वक्त एक अधिकारी की ड्रेस कोड को लेकर बी सवाल उठे थे. दरअसल, बस्तर के तत्कालीन कलेक्टर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से चेक शर्ट और सनग्लासेस पहनकर मुलाकात की थी. जिस पर कई लोगों ने नाराजगी जाहिर की थी.
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