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उमर खालिद ने कोर्ट से कहा- ‘पुलिस से पूछिए चार्जशीट कैसे हुई लीक’

जांच अधिकारी ने 26 दिसंबर को चार्जशीट दाखिल की थी

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भारत
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UAPA आरोपी और पूर्व JNU छात्र उमर खालिद और उनके वकीलों ने 4 जनवरी को कोर्ट में याचिका दाखिल कर चिंता जताई कि कैसे मीडिया के कुछ धड़े खालिद के खिलाफ 'विद्वेषपूर्ण मीडिया कैंपेन' चला रहे हैं. उन्होंने कहा कि मीडिया के कुछ सेक्शन FIR 101 के तहत दायर सप्लीमेंटरी चार्जशीट से रिपोर्ट कर रहे हैं, जबकि आरोपी को खुद अभी तक कोर्ट से इसकी कॉपी नहीं मिली है.

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जांच अधिकारी ने 26 दिसंबर को चार्जशीट दाखिल की थी. लेकिन आरोपी के वकीलों को 4 जनवरी तक उसकी कॉपी नहीं मिली है. जबकि मीडिया ने इस चार्जशीट के कई विवादित पहलुओं पर रिपोर्टिंग जारी रखी है. इसमें खालिद के कथित तौर पर डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में दिल्ली दंगे भड़काने में अपनी भूमिका स्वीकारने की बात भी शामिल है, जो कि चार्जशीट के साथ दिया गया है.

न्यूज रिपोर्ट्स पर प्रतिक्रिया देते हुए उमर खालिद ने कोर्ट से कहा:

“मैं बेचैनी के साथ कह रहा हूं कि आरोपी को कॉपी मिलने से पहले चार्जशीट पर मीडिया रिपोर्टिंग का ये पैटर्न ट्रायल के लिए हानिकारक है. कृपया प्रॉसिक्यूशन और जांच अधिकारी से पूछिए कि आरोपी से पहले मीडिया को चार्जशीट की कॉपी कैसे मिल रही है. मीडिया कह रहा है कि मैंने डिस्क्लोजर स्टेटमेंट में दिल्ली दंगों में अपनी भूमिका कबूल की है, ये कैसे हो सकता है कि मैंने लिखित में दिया है लेकिन साइन नहीं किया जबकि 4 अक्टूबर को मैं पुलिस कस्टडी में था. मैं अच्छी तरह जानता हूं कि कबूलनामा कोर्ट में स्वीकार नहीं होता है, लेकिन एक जाहिर पैटर्न है कि कुछ डिस्क्लोजर स्टेटमेंट लीक हो रहे हैं. इन बातों को ध्यान में रखते हुए मैं आपसे निवेदन करता हूं कि जांच अधिकारी से पूछा जाए कि ये बार-बार कैसे लीक हो रहे हैं. ये मेरे निष्पक्ष ट्रायल के अधिकार को प्रभावित कर रहा है.”
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खालिद की तरफ से त्रिदीप पाइस, सान्या कुमार और रक्षंदा डेका कोर्ट में पैरवी कर रहे थे. पाइस ने कोर्ट से कहा, "मैंने ड्यूटी मजिस्ट्रेट के समक्ष ये बात रखी कि चार्जशीट दाखिल होने के तुरंत बाद हमने मीडिया कैंपेन का अनुभव किया. चार्जशीट दाखिल होते ही मीडिया ने कहना शुरू कर दिया कि उमर खालिद ने दंगों में लोगों को जमा करने, औरतों को आगे करने और बंदूकें जमा करने की अपनी भूमिका कबूल ली है. हालांकि, जब आप चार्जशीट पढ़ते हैं तो पता चलेगा कि जिस आरोपी के बारे में बात कर रहे हैं, वो दिल्ली में था ही नहीं." पाइस ने कहा कि मीडिया रिपोर्टिंग 'बेशर्म' रही है और 'कथित' शब्द का इस्तेमाल नहीं हुआ है.

उमर ने कहा, "मैं ये दोहरा रहा हूं, मैं कोर्ट को बता चुका हूं कि मैंने कोई बयान साइन नहीं किया है. ये कोशिशें दिखाती हैं कि प्रॉसिक्यूशन मेरे खिलाफ सबूतों को लेकर आश्वस्त नहीं है और मीडिया ट्रायल शरू करना चाहता है."

याचिका 3 जनवरी को चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार की कोर्ट में दाखिल हुई थी. 4 जनवरी को इस पर सुनवाई हुई. अगली सुनवाई 5 जनवरी को होगी. कड़कड़डूमा कोर्ट के चीफ मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट दिनेश कुमार ने कहा, "मैं आज इस पर आदेश नहीं दे सकता."

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