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UN मानवाधिकार परिषद ने CAA, J&K नेताओं की हिरासत पर जताई चिंता

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भारत
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देश में संशोधित नागरिकता कानून (CAA) के खिलाफ लगातार प्रदर्शन जारी है. दिल्ली में शाहीन बाग और खुरेजी जैसे इलाकों में महिलाएं इन प्रदर्शनों में बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं. हालांकि ज्यादातर प्रदर्शन शांतिपूर्ण रहे हैं, लेकिन कहीं-कहीं हिंसा की भी खबरें आईं हैं. उत्तर प्रदेश में पुलिस पर प्रदर्शनकारियों से सख्ती से निपटने का आरोप भी लगा है.

इस कानून के खिलाफ प्रदर्शन से जुड़ी हिंसा में कई मौतें भी हो चुकी हैं. अब इन मौतों और प्रदर्शनों पर संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार परिषद (UNHRC) ने चिंता जताई है.

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जेनेवा में मानवाधिकार परिषद के 43वें सत्र में इसकी प्रमुख मिशेल बेचलेट ने भारत में संशोधित नागरिकता कानून को लेकर चिंता जताई है. अपने संबोधन में मिशेल ने कहा कि इस कानून के खिलाफ हर समुदाय के भारतीय ज्यादातर शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन कर रहे हैं.

हर समुदाय के भारतीय अपने देश की सेक्युलरिज्म की परंपरा को समर्थन जताने के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं. शांतिपूर्ण ढंग से प्रदर्शन करने वालों पर पुलिस की कार्रवाई और मुस्लिमों पर हमलों के दौरान पुलिस का कुछ न करने की खबरों से हम परेशान हैं. इन सब ने अब दो समुदायों के बीच झगड़े का रूप ले लिया है. रविवार 23 फरवरी तक 34 लोगों की मौत हो चुकी है. हम सभी राजनेताओं से हिंसा से परहेज करने की अपील करते हैं. 
UNHRC प्रमुख

जम्मू-कश्मीर में नेताओं की हिरासत का भी जिक्र

मानवाधिकार परिषद ने केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में नेताओं की हिरासत, इंटरनेट पर पाबंदी और मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों को लेकर भी चिंता जताई है.

जम्मू-कश्मीर में कई राजनेताओं को रिहा कर दिया गया है और जिंदगी सामान्य हो रही है, लेकिन फिर भी करीब 800 लोगों के हिरासत में होने की खबरें हैं. इन लोगों में कई राजनेता और एक्टिविस्ट शामिल हैं. सेना की भारी मौजूदगी से स्कूल और बिजनेस चलने में दिक्कतें आ रही हैं. इसके अलावा मानवाधिकार उल्लंघनों के आरोपों को लेकर कोई कार्रवाई नहीं की गई है.  
UNHRC प्रमुख

परिषद ने कहा कि मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को आंशिक रूप से शुरू किया गया है, लेकिन सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर काफी पाबंदी है.

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