हाल के दिनों में सीबीआई के दो अफसरों के बीच किस तरह से खींचतान हुई, उसे पूरे देश ने देखा. इस घटना से सीबीआई की साख को बट्टा लगा तो सरकार की भी खूब किरकिरी हुई. नौबत ऐसी आई कि मामला कोर्ट तक पहुंच गया. लेकिन अब कुछ ऐसा ही नजारा यूपी के आईपीएस अफसरों के बीच देखने को मिल रहा है. मलाईदार पोस्टिंग की चाहत और गुटबाजी के चक्कर में यूपी के आईपीएस अफसरों की लड़ाई सतह पर आ गई है. मर्यादा की सीमा लांघकर,अफसर व्हॉट्सएप ग्रुप में तू-तू, मैं-मैं कर रहे हैं. एक दूसरे पर कीचड़ उछाल रहे हैं. आईपीएस अफसरों के बीच चल रही इस खींचतान के चर्चे हर तरफ हैं.
Whats app ग्रुप में छिड़ी वॉर
मौसम का मिजाज भले ही ठंडा हो लेकिन इन दिनों यूपी के आईपीएस अफसरों के व्हाट्सएप ग्रुप में गर्मी देखी जा रही है. अफसरों के बीच वॉर की शुरुआत होती है आईजी रेंज गोरखपुर जेएन सिंह के एक वीडियो से, जिसे उन्होंने यूपी आईपीएस व्हॉट्सएप ग्रुप में अपलोड किया. ये वीडियो लखनऊ जोन के आईजी सुजीत पांडेय से जुड़ा था. इस वीडियो को एक साल पहले एक न्यूज चैनल पर दिखाया गया था. व्हॉट्सएप ग्रुप में वीडियो के अपलोड होते ही मानो भूचाल आ गया. आईपीएस सुजीत पांडेय ने आपत्ति जताई तो उन्हें लखनऊ के पूर्व एसएसपी दीपक कुमार का साथ मिल गया.
दीपक कुमार ने न सिर्फ वीडियो का विरोध किया बल्कि इसे अपलोड करने वाले जेएन सिंह के चरित्र पर सवाल खड़े कर दिए. दूसरी ओर जेएन सिंह का साथ देने के लिए एडीजी आदित्य मिश्रा सामने आ गए. उन्होंने दीपक कुमार की एसीआर रिपोर्ट ही लीक कर दिया. सूत्र बताते हैं कि आईजी रेंज सुजीत पांडेय का प्रमोशन हुआ है,उन्हें लखनऊ जोन का एडीजी बनाने की सुगबुगाहट थी, लेकिन आईपीएस ग्रुप की एक लॉबी ऐसा नहीं चाहती थी. लिहाजा उनके खिलाफ मुहिम छेड़ी गई. वहीं मनचाही पोस्टिंग का खेल बिगड़ता देख सुजीत पांडेय ग्रुप के अफसर भी दूसरे गुट के खिलाफ जुबानी जंग करने उतर गए.
व्हॉट्सएप ग्रुप में विवाद को हवा देने वाले गोरखपुर के आईजी रेंज कहते हैं कि ‘’व्हाट्सएप ग्रुप में एडीजी यूपी100 आदित्य मिश्रा ने गोपनीय दस्तावेज शेयर कर दिया था. आईजी रेंज लखनऊ ने मुझको लेकर टिप्पणी कर दी थी. जिसके बाद मैंने वीडियो शेयर किया.’’
गुटबाजी के पीछे की ये है कहानी
आईपीएस अफसरों के बीच खेमेबाजी के पीछे की असल वजह है मलाईदार पोस्टिंग. यूपी के आईपीएस अफसर समय-समय पर अपने-अपने खेमे को मजबूत करते रहते हैं. इसके लिए क्षेत्रवाद और जातिगत गठजोड़ का सहारा लिया जाता रहा है. अफसरों की कोशिश रहती है मनचाही पोस्टिंग के साथ वो पावर में रहें. हाल के दिनों में यूपी में बड़े पैमाने पर आईपीएस अफसरों का प्रमोशन हुआ है. आने वाले कुछ दिनों में अफसरों की पोस्टिंग होनी है. लेकिन इसके पहले ही अफसरों ने अपनी गोटी सेट करने के लिए दूसरों का खेल खराब करने में जुट गये. व्हॉट्सएप ग्रुप में आरोप-प्रत्यारोप के पीछे की कहानी भी कुछ इसी ओर ही इशारा करती है.
इन आईपीएस अफसरों को मिला है प्रमोशन
-1994 बैच आईपीएस अफसरों में लखनऊ के आईजी सुजीत कुमार पांडेय, बरेली के आईजी डीके ठाकुर, मुरादाबाद के आईजी बीके सिंह और डीजीपी मुख्यालय पर तैनात राजा श्रीवास्तव को एडीजी के पद पर पहली जनवरी से प्रमोशन दे दिया दिया गया है.
-2001 बैच के आईपीएस अफसरों में डीआईजी कानून व्यवस्था प्रवीण कुमार, डीआईजी बस्ती रेंज आशुतोष कुमार, डीआईजी सहारनपुर रेंज शरद सचान, डीआईजी पीटीसी ज्ञानेश्वर तिवारी और डीआईजी फैजाबाद रेंज ओंकार सिंह को आईजी के पद पर प्रमोशन दिया गया.
-इसी तरह 2005 बैच के 29 आईपीएस अधिकारियों को डीआईजी रैंक में प्रमोशन मिला है.
पहली बार बेपर्दा हुई अफसरों की लड़ाई
अफसरों के बीच खेमेबाजी और गुटबाजी कोई नई बात नहीं है. लेकिन अब तक ये सब पर्दे के पीछे चलता रहा. इसे वही समझ पाते थे जो सिस्टम में बेहद करीब थे. क्लोज सर्किल से बाहर इसकी भनक बामुश्किल ही किसी को लगती थी. लेकिन ऐसा पहली बार हुआ जब आईपीएस अफसरों ने अनुशासन को तार-तार कर दिया. मर्यादा की सीमा लांघते हुए अफसर एक दूसरे पर आरोप लगाते हुए देखे गए. ऐसा लग रहा है कि पोस्टिंग और पावर की चाहत में अधिकारी कुछ भी करने के लिए तैयार हैं.
डीजीपी ने लेफ्ट किया ग्रुप
48 घंटे तक आईपीएस अफसरों के व्हाट्सएप ग्रुप में घमासान चलता रहा. एक दूसरे के राज बेपर्दा होते चले गए. लगभग 50 से ज्यादा पोस्ट शेयर किए गए. इस दौरान जब बड़े अधिकारियों ने दखल दिया तब कहीं जाकर अफसरों की जंग थमी. लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी. व्हॉट्सएप ग्रुप के स्क्रीन शॉट अखबारों और सोशल मीडिया की सुर्खियां बन चुके थे. चारों तरफ यूपी पुलिस की थू-थू हो रही थी. ये देख शायद डीजीपी ओपी सिंह भी शर्मिंदा हो गए और उन्होंने ग्रुप को लेफ्ट कर दिया.
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