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उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव से पहले राजनीतिक हत्याओं का सिलसिला

अगस्त 2020 से लेकर अब तक कई हत्याएं, विपक्षी दलों का बीजेपी पर हमला

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भारत
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उत्तर प्रदेश में पंचायत चुनाव की तारीखों के ऐलान से पहले ही चुनावी रंजिशों का खूनी खेल शुरू हो गया है. ताजा मामला मऊ जिले के चिरैयाकोट थाना क्षेत्र के असलपुर गांव का है, जहां मंगलवार 12 जनवरी की देर रात तीन बदमाशों ने पूर्व प्रधान के भतीजे की गोली मारकर हत्या कर दी. हत्या से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया. जिसके बाद आक्रोशित ग्रामीणों ने पुलिस की गाड़ी पर पथराव कर उसे आग के हवाले कर दिया. घटना की सूचना मिलते ही मौके पर भारी फोर्स पहुंच गई.

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अगस्त 2020 से शुरू हो चुका है हत्याओं का दौर

उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ जिले में राजनीतिक हत्याओं का दौर 13 अगस्त 2020 को शुरू हुआ था. देवगांव कोतवाली क्षेत्र के नाऊपुर गांव निवासी हीरालाल यादव और उसके बेटे तेज यादव को दावत में बुलाया गया और चुनावी रंजिश में दोनों की गोली मारकर हत्या कर दी गयी थी.

हीरालाल ने पिछला पंचायत चुनाव लड़ा था. इस बार भी प्रधान पद के लिए चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था. इस हत्याकांड में महिला प्रधान समेत आधा दर्जन को आरोपी बनाया गया था जो जेल में हैं.

घटना के अगले ही दिन तरवां थाना क्षेत्र के बासगांव ग्राम के दलित प्रधान सत्यमेव जयते उर्फ पप्पू राम की गांव के पास स्थित इंटर कालेज के पास गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. सत्यमेव की हत्या के बाद जमकर बवाल हुआ. आक्रोशित लोगों ने पुलिस चैकी फूंक दी. कई वाहनों को आग के हवाले कर दिया गया था. इस मामले में सरकार को एसपी को हटाना पड़ा. यही नहीं इस हत्याकांड पर जमकर राजनीति भी हुई थी.

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जारी रहा हत्याओं का सिलसिला

तीसरी घटना 24 अगस्त की रात में निजामाबाद क्षेत्र के नेवादा मोड़ पर हुई. महुजा नेवादा गांव के क्षेत्र पंचायत सदस्य सुरेंद्र यादव उर्फ नाटे की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

8 सितंबर की रात में पवई थाना क्षेत्र के जल्दीपुर गांव में क्षेत्र पंचायत सदस्य अनीता देवी के देवर अर्जुन यादव (40) की बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी. अर्जुन खुद भी पवई बीजेपी मंडल के उपाध्यक्ष और दवा कारोबारी भी थे.

समारोह में पूर्व प्रधान की हत्या

28 नवंबर 2020 की रात एक समारोह में पूर्व प्रधान की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी, ताबड़तोड़ फायरिंग और पूर्व प्रधान की हत्या से क्षेत्र में सनसनी फैल गयी थी. इस हत्या की वजह चुनावी रंजिश बतायी गई थी.

रानी की सराय थाना क्षेत्र के अल्लीपुर गांव निवासी एक व्यक्ति के यहां समारोह का आयोजन हुआ था. समारोह में पूर्व प्रधान राजेश यादव 45 भी शामिल हुए थे. इसी दौरान वहां एक युवक पहुंचा और पूर्व प्रधान पर पिस्टल से ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी. फायरिंग से कार्यक्रम स्थल पर अफरातफरी मच गयी. वहीं दूसरी तरफ गोली लगने से पूर्व प्रधान की मौके पर ही मौत हो गई थी.

वर्तमान में पूर्व प्रधान के छोटे भाई राकेश यादव की पत्नी ग्राम प्रधान हैं. राकेश ने आरोप लगाया कि हत्या चुनावी रंजिश को लेकर की गई है इसमें पट्टीदार और कोटेदार का हाथ है.
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यूपी के अम्बेडकर नगर में बदमाशों ने आजमगढ़ रेलवे स्टेशन पर वायरलेस इंस्पेक्टर के पद पर तैनात 35 वर्षीय अनिल कुमार मिश्रा और उनके भाई 60 वर्षीय सुरेंद्र नाथ मिश्रा की हत्या कर दी गई थी.

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दरअसल 4 जनवरी को ताबड़तोड़ फायरिंग करके दो सगे भाईयों की हत्या हुई. ये भी चुनावी रंजिश का मामला था. अंबेडकरनगर जिले के राजेसुल्तानपुर में सोमवार की शाम लगभग साढ़े चार बजे स्कॉर्पियों सवार दो सगे भाइयों पर बदमाशों ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी थी. मामले से पूरे इलाके में हड़कंप सा मच गया. प्रधान के चुनाव की रंजिश को लेकर वारदात को अंजाम देने की बात कही गई थी.

मृतक 60 वर्षीय सुरेंद्र नाथ मिश्रा और 35 वर्षीय अनिल कुमार मिश्रा थे, सुरेंद्र जहां आर्मी से रिटायर थे तो वहीं अनिल रेलवे आजमगढ़ में बतौर वायलेस इंस्पेक्टर के पद पर कार्यरत थे.

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अनिल की पत्नी किरन मिश्रा गांव की निवर्तमान प्रधान हैं. सोमवार को दोनों भाई अपनी स्कॉर्पियों से आलापुर तहसील गए थे. वापस लौटते समय मल्लूपुर बाजार के पास चार-छह की संख्या में बदमाशों ने दोनों भाईयों को रोक लिया और उन पर राइफल और रिवाल्वर से फायर झोंक दिया. सुरेंद्र के सिर में तो अनिल के सिर और सीने में गोली लगी थी.

हत्याओं को लेकर आरोप-प्रत्यारोप शुरू

अब इन सभी हत्याओं के बाद सियासत चालू हो गई है और बीजेपी विधायक का कहना है कि इस तरह की छोटी घटनाएं हुआ करती हैं, तो बीएसपी के पीलीभीत जिलाध्यक्ष ने कहा ये सब दलित और शोषित वर्ग को डराने के लिए किया जा रहा है, ताकि वो चुनाव लड़ पाए. समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री हेमराज वर्मा ने कहा कि चुनाव आते ही हत्याओं का दौर शुरू हो जाता है.

“बीजेपी की जो सरकार है और सत्ता में आने का जो तरीका है चाहे लोकसभा के चुनाव हों, विधानसभा के चुनाव हों या पंचायत चुनाव हों, जहां -जहां बीजेपी के शासनकाल में चुनाव होते हैं वहां चुनाव के पहले ही हत्याओं का सिलसिला शुरू हो जाता है. मुझे ये कहने में कोई ऐतराज नहीं है कि बीजेपी की जो राजनीति है वो हत्याओं पर ही आधारित है. ये जो पंचायत चुनाव से पहले हत्याएं हो रही हैं, ये इनके पुराने चुनाव का जो पैटर्न रहा है उसी पैटर्न को देखते हुए हो रही हैं.”
हेमराज वर्मा एसपी के पूर्व विधायक, (पूर्व राज्यमंत्री खाद्य एवं रसद विभाग)
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बीएसपी के पीलीभीत जिलाध्यक्ष चंद्रशेखर ने कहा कि, "हमारे प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी पर किसी का कोई कमांड नहीं है. आदित्यनाथ जी का किसी अधिकारी कर्मचारी पर कोई जोर नहीं है. बराबर उनके ही लोग हत्याएं करा रहे हैं और जब चुनाव आता है तो वो ऐसा भय फैलाना चाहते हैं कि जो दलित शोषित वर्ग के लोग हैं, चुनाव लड़ना चाहते हैं, अपनी भागीदारी करना चाहते हैं वो डर के मारे चुनाव में हिस्सा ही न लें."

बीजेपी विधायक बोले, हुईं 2-4 छोटी घटनाएं

बीजेपी विधायक, संजय सिंह गंगवार ने कहा कि, "उत्तर प्रदेश में 2 से 4 जगह ये छोटी घटनाएं हुईं हैं और उत्तर प्रदेश में पहले के मुकाबले कानून व्यवस्था काफी अच्छी है. अपराधी, अपराधी है और बीजेपी में अपराधियों का कोई स्थान नहीं है ये आप सभी जानते हैं कि पूरे प्रदेश में बीजेपी के कार्यकर्ता ही नहीं रहते अन्य दलों के कार्यकर्ता भी रहते हैं. ये सब समाजवादी पार्टी के गुंडे कर रहे हैं, ताकि पंचायत चुनाव में गलत मैसेज जाए और भारतीय जनता पार्टी के लोग इसमें शामिल नहीं होंगे."

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