उत्तर प्रदेश सरकार ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के उस आदेश को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) का रुख किया है, जिसमें गाजियाबाद में एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमले के वायरल वीडियो से जुड़े एक मामले में ट्विटर के एमडी मनीष माहेश्वरी (Manish Maheshwari) को गिरफ्तारी से सुरक्षा प्रदान की गई थी. कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 24 जून को गाजियाबाद में लोनी पुलिस द्वारा दर्ज प्राथमिकी में माहेश्वरी को सुरक्षा प्रदान की.
इस बीच, माहेश्वरी ने एक कैविएट भी दायर किया है, जिसमें शीर्ष अदालत द्वारा कोई आदेश पारित करने से पहले अपना मामला पेश करने का अवसर मांगा गया है.
गाजियाबाद पुलिस ने माहेश्वरी को नोटिस जारी कर एक बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति पर हमले के वायरल वीडियो से जुड़ी जांच में पूछताछ के लिए लोनी थाने में पेश होने को कहा था.
मामला एक वीडियो के प्रसार से जुड़ा है जिसमें बुजुर्ग अब्दुल शमद सैफी ने कहा कि 5 जून को जय श्री राम का जाप करने के लिए मजबूर करने वाले कुछ युवकों ने उन्हें कथित तौर पर पीटा था. पुलिस ने दावा किया कि वीडियो सांप्रदायिक असंतोष को भड़काने के लिए साझा किया गया था.
15 जून को गाजियाबाद पुलिस ने ट्विटर, ट्विटर कम्युनिकेशंस इंडिया, समाचार वेबसाइट द वायर, पत्रकार मोहम्मद जुबैर और राणा अय्यूब के अलावा कांग्रेस नेताओं सलमान निजामी, मस्कूर उस्मानी, शमा मोहम्मद और लेखक सबा नकवी के खिलाफ मामला दर्ज किया था.
पुलिस ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए पूछताछ करने के ट्विटर इंडिया के अधिकारियों के अनुरोध को खारिज कर दिया था.
पुलिस के अनुसार, आरोपी बुलंदशहर जिले के निवासी सैफी द्वारा बेचे गए ताबीज से नाखुश थे और उन्होंने इस मामले में किसी भी सांप्रदायिक एँगल देने से इनकार किया. गाजियाबाद पुलिस ने घटना के तथ्यों के साथ एक बयान जारी किया था, फिर भी आरोपियों ने अपने ट्विटर हैंडल से वीडियो नहीं हटाया.
सैफी ने कथित तौर पर दावा किया कि उन पर कुछ युवकों ने हमला किया और जय श्री राम का नारा लगाने के लिए मजबूर किया. लेकिन पुलिस ने कहा कि सैफी ने सात जून को दर्ज अपनी प्राथमिकी में ऐसा कोई आरोप नहीं लगाया है.
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