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UP: कानपुर से सिख विरोधी दंगा मामले में 38 साल बाद 4 गिरफ्तार

Kanpur Anti-Sikh Riots: योगी सरकार ने 2019 में SIT का गठन किया था, जिसने ये कार्रवाई की है.

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भारत
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उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के कानपुर (Kanpur) में हुए सिख विरोधी दंगों (1984) के दौरान हुए निराला नगर हत्याकांड के मामले में आरोपियों की 38 सालों के बाद गिरफ्तारी शुरू हो गई है. इस मामले में एसआईटी ने चार आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है.

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क्या है पूरा मामला?

बीजेपी सरकार बनने के बाद फरवरी 2019 में शासन ने सिख दंगे की जांच के लिए विशेष जांच टीम SIT गठित की थी. बता दें कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश में सिखों के खिलाफ दंगे हुए थे. इसमें कई लोगों की जान चली गई थी.

योगी सरकार ने तीन साल पहले 2019 में एसाईटी गठित की थी. एसआईटी ने 96 आरोपियों की पहचान की, जिनमें से 22 लोगों की मौत हो चुकी है.

शासन की अनुमति मिलने के बाद गिरफ्तारी का सिलसिला शुरू हुआ, पीड़ित 38 साल से इंसाफ के लिए इंतजार कर रहे थे. सिख विरोधी दंगों में कानपुर में 127 लोगों की हत्या हुई थी.

बता दें कि एसआईटी कानपुर कमिश्नरेट और कानपुर आउटर पुलिस ने संयुक्त अभियान चलाकर इस कार्रवाई को अंजाम दिया है.

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एसआइटी के एसपी बालेंदु भूषण के मुताबिक मुकदमे में वादी और पीड़ित परिवार के सदस्यों ने इन लोगों को घटना को अंजाम देते हुए देखा था, उनके बयान के आधार पर मुल्जिम बनाया गया और जेल भेजा गया है. फाइनल रिपोर्ट में 20 मुकदमों को अग्रिम विवेचना के लायक माना गया और जांच शुरू की गई. इसमें 11 की विवेचना पूरी हो गई है.

बालेंदु भूषण ने आगे बताया कि 74 की गिरफ्तारी होनी है, जल्द ही बाकी आरोपियों की गिरफ्तारी सुनिश्चित की जाएगी.

मामले की विवेचना कर रहे सब इंस्पेक्टर सूर्य प्रताप सिंह ने कहा कि

पड़ोस में रहने वाले वीरेंद्र सिंह ने किदवईनगर थाने में हत्या, डकैती की रिपोर्ट दर्ज कराई थी. इस मामले में 28 आरोपियों को चिन्हित किया गया था, जिसमें से 4 लोगों- सफीउल्ला, योगेंद्र सिंह, विजय नारायण सिंह और अब्दुल रहमान की गिरफ्तारी की गई है. बता दें कि अभी 74 आरोपियों की गिरफ्तारी होनी है.

इनपुट- विवेक मिश्रा

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