देवभूमि उत्तराखंड (Uttarakhand) में इन दिनों धार्मिक अतिक्रमण के खिलाफ सरकार एक वृहद अभियान चला रही है, जिसमें प्रदेश भर में सरकारी जमीनों पर अवैध रूप से बनी मजारों और मंदिरों को तोड़ा जा रहा है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश भर में अब तक 440 मजार और 45 मंदिर तोड़े जा चुके हैं.
पिछले लगभग 1 महीने से चल रही कार्रवाई का अल्पसंख्यक समुदाय के कई वर्गों ने विरोध किया है. विपक्षी राजनीतिक दल धार्मिक अतिक्रमण के ध्वस्तीकरण की सरकारी कार्रवाई को एकपक्षीय बता रहे हैं.
सरकार ने, बहरहाल, अपना रुख स्पष्ट साफ कर दिया है. प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी खुद कई मौकों पर धार्मिक अतिक्रमण को "लैंड जिहाद" बताकर उसके खिलाफ अपने सख्त तेवर दिखा चुके हैं.
उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है. यहां केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री जैसे चार धाम है, तो वहीं हरिद्वार और ऋषिकेश जैसे तीर्थ भी. साथ ही सिक्खों का बड़ा पूजनीय स्थल हेमकुंड साहिब भी उत्तराखंड की पहाड़ियों की गोद में बसा हुआ है.
इतना ही नहीं मुस्लिम धर्म की आस्था का केंद्र कलियर शरीफ उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में स्थित है. यही कारण है कि न सिर्फ हिंदू बल्कि दूसरे धर्मों के अनुयाई भी उत्तराखंड का रुख करते हैं.
अगर सरकारी आंकड़ों की मानें तो प्रदेश भर में हुए सर्वे के बाद करीब 1 हजार से अधिक जगहों पर धार्मिक अतिक्रमण के आंकड़े सामने आए. इस साल अप्रैल के अंतिम सप्ताह में सबसे पहले वन विभाग ने धार्मिक अतिक्रमण पर बुलडोजर चलाना शुरू किया. उसके बाद सिंचाई विभाग, नगर निगम और पीडब्ल्यूडी की जमीनों पर बनी अवैध मजारों और मंदिरों को तोड़ा गया.
धार्मिक अतिक्रमण को "लैंड जिहाद" बता चुके हैं मुख्यमंत्री
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सरकारी जमीनों पर हुए धार्मिक अतिक्रमण के खिलाफ सख्त रुख अख्तियार किए हुए हैं. मुख्यमंत्री कई मंचों से धार्मिक अतिक्रमण को खुद "लैंड जेहाद" बता चुके हैं. अप्रैल महीने में एक सार्वजनिक मंच से मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा था, "हमने तय किया है उत्तराखंड के अंदर "लैंड जिहाद" के नाम पर, "मजार जिहाद" के नाम पर हम किसी कीमत पर अतिक्रमण नहीं होने देंगे. उसे हर कीमत पर रोकेंगे."
पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि हमने 1000 ऐसे स्थान चिन्हित किए हैं जहां पर इस प्रकार का अतिक्रमण हुआ है और उस अतिक्रमण को हटाने का हमने अभियान प्रारंभ कर दिया है."
उत्तराखंड में डेमोग्राफिकल चेंज यानी जनसांख्यिकीय असंतुलन कभी भी मुद्दा नहीं रहा है. लेकिन पिछले कुछ समय से यहां पर जनसंख्या के असंतुलन का मुद्दा उठ रहा है. कुछ संगठनों ने इसकी आड़ में "लैंड जिहाद" जैसे विवादित मुद्दे को भी हवा दे दी.
ऐसे संगठनों का दावा है कि मुस्लिम धर्म के लोग उत्तराखंड के जंगलों में अवैध रूप से मजार बनाकर कब्जा करने की कोशिश कर रहे हैं. उनका आरोप है पिछले कुछ सालों में मजारों की संख्या तेजी से बढ़ी है जिससे आने वाले समय में देवभूमि के स्वरूप को खतरा हो सकता है.
हरिद्वार में काली सेना नाम के हिंदूवादी संगठन के संस्थापक स्वामी आनंद स्वरूप इस मामले को मुखरता से उठाकर मुख्यमंत्री को कार्यवाही करने के लिए पत्र भी लिख चुके हैं. वहीं पहाड़ी इलाकों में भी अलग-अलग जगहों पर नई बनी मजारों के खिलाफ आवाज उठाने की घटनाएं सामने आई हैं.
मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रदेश के वन विभाग, सिंचाई विभाग, पीडब्ल्यूडी समेत अन्य विभागों से अपनी जमीन पर हुए धार्मिक कब्जों को चिन्हित करने के निर्देश दिए थे.
300 हेक्टेयर जमीन हुई कब्जा मुक्त
अवैध मजारों पर हो रही कार्रवाई पर जब मुस्लिम धर्म से जुड़े लोगों ने सवाल उठाए तो सरकार ने कार्रवाई की निष्पक्षता को दर्शाने के लिए कुछ नए मंदिरों को भी हटाया. मसलन 6 मई को हरिद्वार के ज्वालापुर में बनी दशकों पुरानी चंदन बाबा पीर मजार को ध्वस्त करने के बाद प्रशासन ने सिंहद्वार चौक पर एनएचएआई की जमीन पर बने हनुमान मंदिर को भी तोड़ डाला.
ताजा आंकड़ों के मुताबिक प्रदेश भर में अब तक 440 मजारे और 45 मंदिर तोड़े जा चुके हैं. अवैध धार्मिक अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे अभियान में अब तक 300 हेक्टेयर सरकारी जमीन कब्जे से मुक्त कराई गई है.
शुरुआती सर्वे में 1000 से ज्यादा धार्मिक अतिक्रमण के स्थान चिन्हित करने की बात सामने आई थी. सरकार के रुख को देखकर अंदाजा लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में भी धार्मिक अतिक्रमण के ध्वस्तीकरण की कार्यवाही जारी रह सकती है. जिला प्रशासन के अधिकारी मजारों के ध्वस्तीकरण को कोर्ट के आदेशों के तहत अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई बता रहे हैं.
सरकार की कार्रवाई को बताया मुस्लिम विरोधी
प्रदेश भर में धार्मिक अतिक्रमण के खिलाफ चल रहे अभियान से अलग अल्पसंख्यक समुदाय कुछ वर्गों में रोष है. कई जगहों पर मजार तोड़े जाने के दौरान विरोध देखने के लिए मिला और प्रशासन के साथ विरोध करने वालों की झड़प भी हुई. उत्तराखंड में बीएसपी के उपाध्यक्ष और विधायक मोहम्मद शहजाद का कहना है कि धार्मिक अतिक्रमण के नाम पर सरकार एक समुदाय को टारगेट कर रही है. उन्होंने कहा कि,
"प्रदेश की बीजेपी सरकार आने वाले लोकसभा चुनावों को देखते हुए ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है. अंग्रेजों के जमाने की मजारों को भी आज अचानक अतिक्रमण बताया जा रहा है जोकि पूरी तरह गलत है. साथ ही प्रदेश में बेरोजगारी, महंगाई जैसी समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए सरकार लोगों को हिंदू- मुस्लिम में बांटना चाहती है"
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