प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को वाराणसी में अपने ड्रीम प्रोजेक्ट की शुरुआत कर रहे हैं. संसदीय क्षेत्र में ये उनकी 15वीं यात्रा है और हर बार की तरह इस बार भी अपने संसदीय क्षेत्र को 2400 करोड़ रुपए के प्रोजेक्ट की सौगात दे रहे हैं. इसमें कुछ ऐसी परियोजनाएं हैं जिसे देखकर कोई भी कहेगा कि हां वाकई बनारस बदल रहा है.
बदलते बनारस की इस तस्वीर को बीजेपी और मोदी देश के विकास के मॉडल के तौर पर पेश करें, तो कोई बड़ी बात नहीं होगी.
2019 के आम चुनाव में उत्तर प्रदेश एक बार फिर से केंद्र में रहेगा. 2014 में जब नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किए गए थे. तब हिंदू चेहरा और विकास के मॉडल के तौर पर उन्हें पेश किया गया था, जिसका असर 2014 के आम चुनाव में खूब दिखा. इस बार भी बीजेपी कुछ ऐसा ही रंग दिखाना चाहती है.
हिंदू रंग के लिए बीजेपी के पास मोदी के साथ-साथ योगी का भी मजबूत चेहरा है लेकिन इसके साथ ही विकास का चेहरा भी चाहिए. जिसकी बदौलत वो सत्ता में आए थे. प्रधानमंत्री बनने के बाद मोदी ने तमाम योजनाओं परियोजनाओं का शिलान्यास किया और कई का लोकार्पण भी कर चुके है और कुछ पर काम भी चल रहा हैं.
आंकड़ों में तो सरकार बहुत कुछ दिखा और बता रही है लेकिन अब चुनाव सर पर है तो सिर्फ आंकड़ों से पब्लिक को समझाना मुश्किल है. क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बनारस के सांसद हैं और बनारस उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में जाना जाता है लिहाजा बनारस के विकास से जनता मोदी के काम को अपनी कसौटी पर कसेगी, जिसे बीजेपी बखूबी समझती है, मोदी जिन-जिन परियोजनाओं का उद्घाटन करने जा रहे हैं वो इसमें बहुत महत्वपूर्ण साबित होंगे.
बाबतपुर-बनारस फोर लेन परियोजना
- लागत- 812.59 करोड़
- सड़क की लंबाई- 17.25 किलोमीटर
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सितंबर 2015 को इसका शिलान्यास किया था. शुरू से ही इसे पीएम का ड्रीम प्रोजेक्ट के तौर पर जाना जाता है और यह सीधे पीएमओ से मॉनिटर होता रहा. 17 किलोमीटर लंबे इस फोरलेन की खास बात यह है कि रास्ते में पड़ने वाले संकरे रास्तों और बाजारों को बिना ज्यादा तोड़े फ्लाईओवर बनाया गया. जिसकी उम्मीद बनारस के लोगों ने नहीं की थी.
इस फोरलेन में उन सब चीजों का विशेष ध्यान दिया गया है जो मोदी के विकास के मॉडल के तौर पर दिख सके, फोरलेन पर कई फुट ब्रिज बनाए गए हैं जो इसकी खूबसूरती को बढ़ा रहे हैं और कहीं ना कहीं बदलते बनारस का आभास करा रहे हैं देश के दूसरे बड़े महानगरों की तरह डिवाइडर पर कई किलोमीटर तक पेड़ लगाए गए हैं इसके साथ ही गांव के बीच फव्वारे शहर का विकास दिखा रहे हैं.
फोरलेन के फायदे
फोरलेन के जरिए आप एयरपोर्ट से बनारस तक की दूरी नार्मल स्पीड पर भी 15 से 20 मिनट में तय कर लेंगे, बनारस एयरपोर्ट पूर्वांचल के साथ-साथ बिहार और मध्य प्रदेश के कई जिलों को प्रभावित करता है. साथ ही पूरी दुनिया से बनारस में सैलानी आते हैं. अभी हाल ही में महाकुंभ का मेला इलाहाबाद में लगना है ज्यादातर लोग बनारस आकर ही इलाहाबाद जाएंगे या फिर लौटते समय बनारस जरूर आते हैं. जो कोई भी बनारस में प्रवेश करेगा तो उसे मोदी के इस विकास के मॉडल से होकर ही गुजारना होगा. जिसे देखने के बाद कोई भी यह कहेगा की मोदी ने बनारस को बदल दिया.
रिंग रोड
- लागत- 759.36 करोड़
- लंबाई- 16.55 किलोमीटर
रिंग रोड फेज वन बनकर तैयार हो गया है. इस योजना की कल्पना अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में की गई थी लेकिन सरकार जाने के बाद यह योजना ठंडे बस्ते में चली गई. 2014 में नरेंद्र मोदी जब यहां से सांसद बने तो उन्होंने बनारस की लाइफ लाइन कहे जाने वाली इस रिंग रोड की योजना की फाइल को एक बार फिर से बाहर निकाला और उसमें तेजी लाई. ये रिंग रोड जौनपुर आजमगढ़ गाजीपुर जाने वाले रास्तों को आपस में कनेक्ट करेगी.
वाराणसी हल्दिया जल परिवहन योजना
- लागत- 200 6.84 करोड़
- टर्मिनल की छमता- 1.2 6 एमपीटीए
बनारस से हल्दिया तक गंगा में जल परिवहन की भी शुरुआत होगी. इस परियोजना को भी अटल बिहारी वाजपेई की सरकार में जहाजरानी मंत्री रहे राजनाथ सिंह ने की थी लेकिन सरकार जाने के बाद यह योजना भी ठप हो गई जिसे मोदी सरकार ने मूर्त रूप दिया. तकरीबन 1620 किलोमीटर लंबी इस इनलैंड वाटर हाईवे योजना पर 1982 में काम शुरू हुआ था, जो बाद में बंद हो गया था फिर 2014 में इस योजना की शुरुआत हुई.
रामनगर के बंदरगाह की लंबाई 200 मीटर और चौड़ाई 42 मीटर है. बनारस से हल्दिया तक गंगा में 30 मीटर चौड़ा चैनल भी बनने वाला है जिसके लिए ड्रेजिंग का काम भी शुरू हो गया है.
सीवेज पंपिंग स्टेशन प्रोजेक्ट
इसके साथ ही गंगा एक्शन प्लान की तरह गंगा में गिरने वाले सीवर को रोकने के लिए 34 करोड़ की लागत सीवेज पंपिंग स्टेशन प्रोजेक्ट को भी शुरू करेगें.
दीनापुर सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट लागत 186.48 करोड क्षमता 140 एमएलडी प्रतिदिन
सांसद बनने के बाद मोदी 14 बार बनारस आ चुके हैं. इस दौरान उन्होंने बनारस को बदलने के लिए हजारों करोड़ रुपये की परियोजनाएं दी हैं. साफ है कि 2014 में मोदी गुजरात मॉडल पर चुनाव लड़ रहे थे, तो इस बार उन्हें बनारस को मॉडल के तौर पर मजबूत करना ही पड़ेगा. इस ब्रांडिग की ये शुरूआत है. चुनाव आते-आते ये मॉडल कई पड़ावों से गुजरेगा. जिसमें अप्रवासीय भारतीय सम्मेलन भी ब्रांडिग का जरिया होगा.
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