ADVERTISEMENTREMOVE AD

कमेटी के जरिए आंदोलन को ठंडे बस्ते में डालना चाहती है सरकार- किसान

किसान नेताओं ने फिर साफ किया कि वो कमेटी को मंजूर नहीं करते हैं, कमेटी के सदस्यों पर उठाए सवाल

छोटा
मध्यम
बड़ा
ADVERTISEMENTREMOVE AD

कृषि कानूनों को लेकर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला आया, जिसमें अगले आदेश तक इनके लागू होने पर रोक लगा दी गई. साथ ही कमेटी बनाने की भी बात कही गई. अब इस फैसले को लेकर किसानों की तरफ से प्रेस कॉन्फ्रेंस कर फिर साफ किया गया है कि वो किसी भी कमेटी को स्वीकार नहीं करते हैं. इसके अलावा संयुक्त किसान मोर्चा की तरफ से कमेटी में शामिल सदस्यों को लेकर भी आपत्ति जताई गई और कहा कि ये तमाम लोग रोजाना कानूनों के समर्थन में लेख लिखते हैं.

0

किसान नेता डॉक्टर दर्शनपाल ने कहा कि, जब सुप्रीम कोर्ट में ऐसी चर्चा हो रही थी कि कमेटी बनने जा रही है, हमें ये पूरा विश्वास था कि सुप्रीम कोर्ट के जरिए सरकार अपने कंधे से बोझ हटाकर कमेटी बनाने जा रही है, जिसका हमने पूरा विरोध किया. जो कमेटी बनाई है उसमें सभी सदस्यों के आर्टिकल आप पढ़ सकते हैं.

सुप्रीम कोर्ट के जरिए कमेटी लाई सरकार- किसान नेता

किसान नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को लेकर कहा कि, ये करतूत और शरारत सरकार की है कि वो सुप्रीम कोर्ट के जरिए कमेटी ले आई है. जिसका हमने कल ही विरोध कर दिया था कि हम ऐसी किसी कमेटी के सामने पेश नहीं होंगे और हमारा आंदोलन पहले की तरह चलता रहेगा. जो कमेटी बनाई गई है, उसमें जो सभी सदस्य हैं वो सरकार के कानूनों को अब तक सही ठहराते रहे हैं. ऐसे लोगों से कभी भी उम्मीद नहीं की जा सकती है कि किसान आंदोलन को लेकर उनकी राय ठीक होगी. ऐसी कमेटी को तो कोई बिल्कुल नहीं मान सकता है.

ADVERTISEMENTREMOVE AD
किसान नेता जगमोहन सिंह ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो नाम दिए हैं, वो सभी कानूनों के पक्ष में हैं. ये लोग बड़े-बड़े अखबारों में कानूनों के पक्ष में रोज आर्टिकल लिखते हैं. तो ये कमेटी पूरी तरह कानूनों की समर्थक है, लेकिन अगर कानूनों के खिलाफ भी लोग कमेटी में हों तब भी हम इसे स्वीकार नहीं करेंगे. कमेटी का मतलब ही ये है कि हमारे पूरे आंदोलन को ठंडे बस्ते में डालना, जो हम कतई नहीं चाहते हैं. हम अनिश्तिकाल के लिए आए हैं. ये संघर्ष और ज्यादा बढ़ेगा और शांतिपूर्ण तरीके से चलेगा.
ADVERTISEMENTREMOVE AD

26 जनवरी के प्रदर्शन को लेकर अफवाहें

किसान नेता रमिंदर पटियाला ने कहा कि 26 जनवरी के प्रदर्शन को लेकर कई तरह की बातें हो रही हैं. कहा जा रहा है कि किसान लाल किले पर झंडा फहराना चाहते हैं, इस तरह की कोई बात नहीं है. हमारा 26 जनवरी का प्रोग्राम ऐतिहासिक जरूर होगा, लेकिन ये आंदोलन 26 को खत्म नहीं होने जा रहा है. इसके बाद भी प्रदर्शन जारी रहेगा.

किसानों ने साफ किया कि 26 जनवरी को शांतिपूर्ण प्रदर्शन होगा. इसकी रूपरेखा 15 जनवरी के बाद तय होगी. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है कि 26 जनवरी का प्रदर्शन न हो, इसे रुकवाया जाए. ये अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि किसान संसद भवन पर, लाल किले पर कब्जा कर लेंगे. ऐसा कुछ भी नहीं होने वाला है.

नेताओं ने कहा कि, हमारी लड़ाई सरकार से है. सरकार की नीति और नीयत जो कानून बनाते हुए रही है, वो कमेटी बनाते हुए भी है. ये काम किया जा रहा है कि कानून किसी भी हाल में रद्द न हों.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

किसानों ने कहा कि कानूनों को सुप्रीम कोर्ट ने नहीं बल्कि सरकार ने बनाया है. इसीलिए सरकार को ही कानून रद्द करने हैं. हमारी लड़ाई सरकार के साथ है, इसीलिए हमें कोई कमेटी नहीं चाहिए. कानून रद्द करने से नीचे कुछ नहीं होगा.

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

Published: 
सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×