इराक के मोसुल में ISIS के हाथों मारे गए 39 भारतीयों के शव जल्द भारत लाए जाएंगे. विदेश राज्य मंत्री वीके सिंह एक अप्रैल को शवों को लाने के लिए इराक जा रहे हैं. बता दें कि जून 2014 में इराक में आतंकी संगठन आईएसआईएस ने 40 भारतीयों को अगवा कर लिया था. लेकिन 20 मार्च को विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संसद में 39 लोगों के मारे जाने की जानकारी दी.
सुषमा स्वराज ने बताया कि आईएसआईएस द्वारा अगवा किए गए सभी 39 भारतीयों के शव बादुश में एक साथ एक पहाड़ में दफनाए गए थे. सुषमा स्वराज ने बताया 39 में से 31 लोग अकेले पंजाब से हैं. जबकि चार हिमाचल से और कुछ बिहार और पश्चिम बंगाल से भी हैं.
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 2 अप्रैल को सभी शवों को भारत लाया जायेगा. बताया जा रहा है कि शवों को लेकर जहाज पहले अमृतसर जायेगा.
क्या हुआ था 40 भारतीयों के साथ?
इराक में हजारों भारतीय काम करते थे लेकिन 2014 में इस्लामिक स्टेट की बर्बर हमले के वक्त इनमें से ज्यादातर ने इराक छोड़ दिया था.
इस्लामिक स्टेट (आईएसआईएस) ने 2014 में जब मोसुल में कब्जा किया तो बगदाद के भारतीय अधिकारियों ने बताया कि वहां एक सरकारी प्रोजेक्ट पर काम कर रहे 40 भारतीयों से उनका संपर्क टूट गया है. उसी वक्त आशंका जताई गई थी कि इन भारतीय मजदूरों को आईएस ने किडनैप कर लिया है.
इसके बाद से भारतीय दूतावास और विदेश मंत्रालय लगातार कोशिश कर रहा था कि किसी भी तरह अपहरणकर्ताओं और किडनैप किए गए लोगों से संपर्क हो जाए.
मोसुल पर जब दोबारा इराकी सेनाओं ने कब्जा किया और आईएस की हार हुई तो उम्मीद जगी कि इन लोगों के बारे में पता चल सकेगा.
आईएस के चंगुल से छूटे हरजीत ने उम्मीद बढ़ाई थी
भारतीय मजदूरों के अपहरण के बाद आईएस ने 55 बांग्लादेशी मजदूरों को छोड़ दिया. इन लोगों के साथ मिलकर एक भारतीय हरजीत मसीह भी आईएस के चंगुल से बच निकलने में कामयाब रहा. देखें वीडियो
मसीह ने दावा किया था कि उसे छोड़कर सभी भारतीयों को आईएस आतंकवादियों ने मार डाला है. लेकिन उस वक्त सरकार ने मसीह के दावों पर यकीन नहीं किया. उस वक्त विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा था कि छह दूसरे सूत्र कह रहे हैं कि वो भारतीय अभी भी जिंदा हैं.
सरकार को सबूत का इंतजार था
जुलाई में स्वराज ने दावा किया था कि विदेश राज्य मंत्री जनरल वी के सिंह को उस वक्त इराक यात्रा के दौरान सूचना मिली थी कि अगवा किए गए भारतीय इराक की बादुश जेल में हैं.
विदेश मंत्री ने खुफिया जानकारी के हवाले से बताया था कि भारतीयों से आईएस खेतों में काम करा रही थी. उनको कब्जे में लेकर बादुश जेल में डाल दिया गया. अंतिम जानकारी यही थी.
इसके बाद जब आईएस और इराकी फौजों के बीच लड़ाई शुरू हुई तो उसमें बादुश जेल पूरी तरह नष्ट हो गया. और उस वक्त इराकी सरकार ने ऐलान किया था कि जेल में कोई भी कैदी नहीं था
‘पहाड़ खोदकर निकाले गए 39 भारतीयों के शव’
सुषमा स्वराज ने कहा कि आईएसआईएस के चुंगल में 39 भारतीय थे. जिन्हें मोसुल से बादुश ले जाया गया. स्वराज के मुताबिक, जनरल वीके सिंह, भारतीय राजदूत और इराक के एक अफसर ने बलूच में जाकर लापता भारतीयों की खोज की. जहां, जानकारी मिली कि एक पहाड़ के नीचे कई शवों को एक साथ दफनाया गया है.
स्वराज ने बताया कि मिली जानकारी के आधार पर डीप पेनिट्रेशन रडार के जरिए पहाड़ में दफनाए गए लोगों का पता लगाया गया. इसके बाद पहाड़ खोदकर सभी शव निकाले गए. शवों के साथ कुछ आईकार्ड और कुछ जूते मिले.
DNA से हुई शवों की पहचान
विदेश मंत्री ने बताया कि सभी शवों को निकलवाकर बगदाद भेजा गया. उन्होंने कहा कि मोसुल के कब्जा मुक्त होने के बाद से अगवा किए हुए लोगों का कोई फोन नहीं आया था, ऐसे में उनके जिंदा होने की उम्मीद कम होती जा रही थी. लिहाजा, लापता लोगों को मृतकों में ढूंढा जा रहा था.
सुषमा ने बताया कि इराक के मार्टिअस फांउडेशन से हमने गुजारिश की, कि वह हमारे लोगों को ढूंढ दे. उन्होंने हमसे लापता लोगों का डीएनए सैंपल मांगा. हमने चार राज्यों पंजाब, हिमाचल, पश्चिम बंगाल और बिहार से संपर्क किया और लापता लोगों का डीएनए जमा करके भेज दिए.
विदेश मंत्री ने कहा कि पहाड़ से जो शव मिले थे. उन पर विशेष ध्यान इसलिए भी था क्योंकि हमारे 39 लोग लापता थे और पहाड़ से जो शव बरामद हुए वो भी 39 ही थे. सुषमा ने बताया कि मार्टिअस फाउंडेशन ने शवों के साथ भेजे गए डीएनए का मिलान किया. इसमें सबसे पहला डीएनए संदीप नाम के लड़के का मिला. इसके बाद बाकी लोगों के भी डीएनए मिले.
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