ADVERTISEMENTREMOVE AD

बंगाल में BJP और TMC का प्रचार, नई बोतल में पुरानी शराब

BJP ने शोनार बांग्ला का राग छेड़ा तो TMC ने ‘बांग्ला निजेर मेय के चाए’ (बंगाल अपनी बेटी को चाहता) कैंपेन चला रही है.

Published
story-hero-img
i
छोटा
मध्यम
बड़ा
Hindi Female

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड से अपनी पार्टी के चुनाव अभियान की शुरुआत कर दी है. बीजेपी का दावा है कि बंगाल के इस भव्य मैदान में रविवार 7 मार्च को करीब-करीब दस लाख लोग जुटे थे. देश के अलग-अलग राज्यों से वे अपने ‘प्यारे प्रधानमंत्री’ के दर्शन करने पहुंचे थे.

इस मैदान में भाषण के दौरान मोदी ने अपनी चिरपरिचित शैली में ममता पर हर तरफ से वार किया.

“केंद्र जो पैसा बंगाल के गरीब के कल्याण के लिए भेजता है, उसे राज्य सरकार रोककर रखती है. दीदी काम नहीं करना चाहतीं और किसी दूसरे को भी काम करने नहीं देना चाहतीं.”

ADVERTISEMENTREMOVE AD

इसके बाद उन्होंने बीजेपी के ‘शोनार बांग्ला मिशन’ की बात दोहराई.

“अगले 25 साल बंगाल के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं. 2047 में जब भारत आजादी के सौ साल पूरे होने का जश्न मनाएगा तब बंगाल पूरे हिंदुस्तान को आगे ले जाने वाला राज्य बन जाएगा.”
नरेंद्र मोदी

मोदी की बंगाल रैली और ‘ममता बिरोधी गल्पो’

प्रधानमंत्री ने तीन मुद्दों के आधार पर ममता को कटघरे में खड़ा किया- भ्रष्टाचार, वंशवादी राजनीति और अल्पसंख्यकों का तुष्टीकरण.

इस बीच ममता ने भी सिलिगुड़ी में एलपीजी सिलिंडर की कीमतों के खिलाफ पदयात्रा की जिसमें उनके साथ सिर्फ औरतें थीं. उन्होंने मोदी पर आरोप लगाया कि वह पश्चिम बंगाल की जनता को बरगलाने के लिए ‘झूठ बोल रहे हैं.’

उन्होंने बीजेपी का मजाक भी उड़ाया कि असल में ‘पोरिबोर्तन’ यानी परिवर्तन दिल्ली में होगा, बंगाल में नहीं.

“खेला होबे! हम खेलने को तैयार हैं. हम दो दो हाथ करने को तैयार हैं... अगर वे लोग (बीजेपी) वोट खरीदना चाहते हैं तो उनसे पैसा लीजिए और टीएमसी को वोट दीजिए.”
ममता बनर्जी

भ्रष्टाचार और वंशवादी राजनीति के जवाब में ममता ने कहा, “भारत एक सिंडिकेट के बारे में जानता है, और वह मोदी और अमित शाह का सिंडिकेट है.”

तो, दोनों दावेदारों ने अपने अपने वोटर्स को लुभाने के लिए सोशल, डिजिटल, प्रिंट और ट्रेडीशनल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर धुंआधार चुनावी मुहिम शुरू की.

यूं बीजेपी का चुनावी बिगुल हर राज्य में अलग स्वर में बजता है. जिस राज्य में उसकी सरकार है, वहां उसकी धुन अलग होती है, जहां वह मुख्य दावेदार हो, वहां एकदम जुदा.

0

बीजेपी के चुनावी अभियान में आम तौर पर मास आउटरीच प्लान, यानी यात्रा होती है, टार्गेटेड आउटरीच प्रोग्राम यानी घर-घर जाकर कैंपेन किया जाता है. सिंबल बेस्ड कैंपेन होता है, घोषणापत्र के लिए क्राउडसोर्सिंग अभियान चला जाता है और वर्कर्स-कार्यकर्ताओं के लिए कनेक्ट प्रोग्राम होता है.

रविवार को बंगाल में प्रधानमंत्री की पहली रैली से पहले बीजेपी ने टीएमसी सरकार की ‘पोल खोलने’ के लिए पोरिबोर्तन यात्रा की शुरुआत की थी. इस अभियान में पांच रथ यात्राएं शामिल हैं जोकि राज्य की सभी 294 सीटों को कवर करेंगी.

इससे पहले दिल्ली विधानसभा चुनावों के दौरान भी बीजेपी ऐसी ही दिल्ली बचाओ परिवर्तन यात्रा निकाल चुकी है. इससे एकदम उलट, जिन राज्यों में बीजेपी की सरकारें रही हैं, जैसे मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़, वहां वह क्रमशः जन आशीर्वाद यात्रा और विकास यात्रा कर चुकी है.

क्या बीजेपी की रणनीति ‘बंगाल का गौरव’ लौटा पाएगी?

बीजेपी ने शोनार बांग्ला का राग छेड़ा है और वादा किया है कि वह ‘बंगाल का गौरव लौटाएगी.’ 2018 के चुनावों में मध्य प्रदेश में भी ऐसे ही ‘समृद्ध मध्य प्रदेश’ की बात कही गई थी.

इस अभियान के साथ पार्टी ने ‘लोक्खो शोनार बांग्ला’ कैंपेन भी शुरू किया है. इसमें 2 से 20 मार्च के बीच सभी मुद्दों पर लोगों की राय मांगी गई है. राज्य की सभी 294 सीटें पर डिब्बे रखे गए हैं जिनमें लोग अपने सुझाव लिखकर डाल सकते हैं.

पार्टी इस बारे में राय मांग रही है कि राज्य में उद्योग, खेती, स्वास्थ्य, धार्मिक पर्यटन जैसे क्षेत्रों को कैसे बढ़ावा दिया जा सकता है. इनमें सबसे आइडिया को बीजेपी के पश्चिम बंगाल घोषणापत्र में शामिल किया जाएगा.

दिल्ली में भी ऐसा ही एक कैंपेन चलाया गया था- ‘मेरी दिल्ली, मेरा सुझाव’.

2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान ‘भारत के मन की बात, मोदी के साथ’ को शुरू किया गया था. इसमें देश के 10 करोड़ लोगों से सुझाव मांगे गए थे ताकि पार्टी अपना ‘संकल्प पत्र’ यानी घोषणापत्र बना सके.

इसके अभियानों का मकसद यह है कि चुनावों में लोगों की भागीदारी बढ़े. इस पूरी प्रक्रिया को लोकतांत्रिक बनाया जा सके.

बीजेपी ने अपने समर्थकों और वॉलंटियर्स के लिए मोदीपाड़ा (मोदी का पड़ोस) ऐप भी शुरू किया है. यह ऐप बांग्ला में है और पश्चिम बंगाल में पार्टी की सभी चुनावी गतिविधियों के लिए ‘वन स्टॉप डेस्टिनेशन’ का काम करता है. इसमे कंटेंट शेयर किया जा सकता है, और मर्केंडाइज भी ऑफर किए गए हैं.

इसी से यह याद आता है कि बिहार के चुनावों से पहले ‘कमल कनेक्ट’ नाम का एक ऐप शुरू किया गया था. इसमें राज्य के साथ-साथ केंद्र सरकार के कामों का भी लेखा जोखा था.

ADVERTISEMENTREMOVE AD

पर शराब तो पुरानी ही है, बस बोतल नई लेकर आए हैं

टीएमसी ने अपने अभियान में कहा है, ‘बांग्ला निजेर मेय के चाए’ (बंगाल अपनी बेटी को चाहता है). वह ममता बैनर्जी को राज्य की ‘बेटी’ बता रही है. पार्टी ने इस स्लोगन के साथ एक वेबसाइट शुरू की है और 23 जिलों में एक आउटरीच प्रोग्राम कर रही है.

इसे प्रशांत किशोर के आई-पैक ने तैयार किया है और इस स्लोगन का इरादा महिला वोटर्स को रिझाना है. इसके अलावा बीजेपी के राष्ट्रवाद के नहले पर बंगाली उप राष्ट्रवाद का दहला भी चला गया है.

साथ ही साथ, टीएमसी ने ‘आमरा बनाम ओरा’ (भीतरी बनाम बाहरी) का अभियान भी छेड़ा है. वह बीजेपी को हिंदी भाषी उत्तर भारतीय और गुजराती पार्टी बता रही है जिसे पश्चिम बंगाल की समृद्ध संस्कृति और विरासत का न तो इल्म है और न ही उसके लिए इज्जत.

दूसरी कई पार्टियों ने भी दूसरे राज्यों में ऐसे अभियान चलाए हैं. बीजेपी ने असम में स्थानीय बनाम बाहरी का नारा दिया था, और अब बंगाल में दूसरे अर्थों में स्थानीय बनाम प्रवासियों का पैंतरा चल रही है.

बंगाल में ‘दुआरे सरकार’ प्रोग्राम भी चलाया जा रहा है, मतलब सरकार आपके दरवाजे पर. इसमें हर ग्राम पंचायत और म्यूनिसिपल एरिया में कैंप्स के जरिए लोगों को सरकारी सेवाओं और योजनाओं का लाभ पहुंचाया जा रहा है.

प्रशांत किशोर ने अरविंद केजरीवाल को भी यही सलाह दी थी कि दिल्ली सरकार होम डिलिवरी ऑफ सर्विस कैंपेन चलाए. छत्तीगढ़ में 2018 में मुख्यमंत्री रमन सिंह का ‘लोक सुराज’ कैंपेन भी इसी तर्ज पर शुरू किया गया था.

इसके अलावा टीएमसी ने ‘दीदीर दूत’ नाम एप्लिकेशन भी चालू किया है. इस ऐप के जरिए आम लोग दीदी यानी ममता बैनर्जी से सीधे कनेक्ट कर सकते हैं और राज्य को लेकर जो सपना दीदी ने देखा है, उसे पूरा करने में उनकी मदद सकते हैं. मध्य प्रदेश में ‘शिवराज के सिपाही’ भी ऐसा ही एक अभियान था.

कुल मिलाकर पश्चिम बंगाल में सत्ता के दो बड़े दावेदार पुरानी सी शराब ही परोस रहे हैं, बस बोतल नई ले आए हैं. उनके पास राजनैतिक सलाहकारों की चतुराई है, साथ ही अपार संसाधन भी, लेकिन फिर भी फूंक-फूंककर कदम रख रहे हैं. उनके पास कोई नया ख्याल नहीं है, सिर्फ घिसा पिटा सा सांचा है जिसे बार-बार इस्तेमाल किए जा रहे हैं.

(लेखक एक स्वतंत्र राजनैतिक टिप्पणीकार हैं और @ politicalbaaba पर ट्विट करते हैं. यह एक ओपनियन पीस है. यहां व्यक्त विचार लेखक के अपने हैं. क्विंट का उनसे सहमत होना जरूरी नहीं है.)

(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)

सत्ता से सच बोलने के लिए आप जैसे सहयोगियों की जरूरत होती है
मेंबर बनें
अधिक पढ़ें
×
×