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बांग्लादेश सत्याग्रह के लिए अरेस्ट हुए थे मोदी? पहले भी किया जिक्र

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बांग्लादेश में दिया गया एक हालिया बयान काफी चर्चा में है

Published
भारत
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का बांग्लादेश में दिया गया एक हालिया बयान काफी चर्चा में है. कोरोना वायरस महामारी की शुरुआत के बाद से अपनी पहली विदेश यात्रा पर बांग्लादेश पहुंचने के बाद उन्होंने यह बयान दिया.

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पीएम मोदी ने बांग्लादेश के राष्ट्रपति अब्दुल हमीद और प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ देश की स्वतंत्रता की 50वीं वर्षगांठ पर आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया था.

इस दौरान उन्होंने कहा, ‘‘बांग्लादेश की आजादी के लिए संघर्ष में शामिल होना मेरे जीवन के भी पहले आंदोलनों में से एक था. मेरी उम्र 20-22 साल रही होगी जब मैंने और मेरे कई साथियों ने बांग्लादेश के लोगों की आजादी के लिए सत्याग्रह किया था. बांग्लादेश की आजादी के समर्थन में तब मैंने गिरफ्तारी भी दी थी और जेल जाने का अवसर भी आया था. यानी बांग्लादेश की आजादी के लिए जितनी तड़प इधर थी, उतनी ही तड़प उधर भी थी.’’
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इस बयान के बाद से, राजनीतिक हलकों और सोशल मीडिया पर प्रधानमंत्री के दावे को लेकर बहस छिड़ गई. हालांकि, यह पहली बार नहीं था जब उन्होंने ऐसा कहा.

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जीवनी में भी है इस घटना का जिक्र

1971 के बांग्लादेश युद्ध के दौरान मोदी के गिरफ्तारी देने का जिक्र उन्होंने लेखक नीलांजन मुखोपाध्याय के साथ बातचीत में भी किया था, जिन्होंने उनकी जीवनी 'नरेंद्र मोदी: द मैन, द टाइम्स' को लिखा है.

किताब में, मोदी ने 1971 के बांग्लादेश युद्ध के दौरान सत्याग्रह को अपने पॉलिटिकल करियर के शुरुआती बिंदुओं में से एक बताया था.

मोदी के हवाले से किताब में लिखा गया है, ‘’उस समय तक, 1971 का युद्ध जारी था. मैं उस अवधि के दौरान दिल्ली आया. कुछ समय के लिए सत्याग्रह चल रहा था. मैंने वहां जाकर युद्ध में शामिल होने के लिए सत्याग्रह में हिस्सा लिया. लेकिन सरकार ने हमें युद्ध के मोर्चे पर भेजने के बजाय गिरफ्तार कर लिया और तिहाड़ जेल भेज दिया.’’

बाद में मुखोपाध्याय ने मोदी पर लिखे एक लेख में इस घटना का जिक्र किया, जो उन्होंने द इकनॉमिक टाइम्स के लिए लिखा था.

इस लेख में मुखोपाध्याय ने लिखा, ''एक वयस्क के रूप में मोदी की पहली ज्ञात राजनीतिक गतिविधि 1971 में थी, जब वह अटल बिहारी वाजपेयी की अगुवाई में दिल्ली में जनसंघ के सत्याग्रह में शामिल हुए, ताकि युद्ध के मैदान में हिस्सा लिया जा सके. लेकिन सरकार ने मुक्ति बाहिनी को खुला समर्थन नहीं दिया और मोदी को थोड़े समय के लिए तिहाड़ जेल में रखा गया.''

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पीएम मोदी के बयान पर राजनीतिक बहस

प्रधानमंत्री के बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने ट्वीट कर कहा कि "सभी जानते हैं कि बांग्लादेश को किसने आजाद कराया था."

26 मार्च के एक ट्वीट में थरूर ने कहा, ''अंतरराष्ट्रीय शिक्षा: हमारे पीएम बांग्लादेश को भारतीय 'फेक न्यूज' का एक स्वाद दे रहे हैं. अनर्थकता यह है कि हर कोई जानता है कि बांग्लादेश को किसने आजाद कराया था.''

हालांकि, बाद में, उन्होंने माफी मांगते हुए कहा कि उनकी प्रतिक्रिया "हेडलाइन्स और ट्वीट्स की क्विक रीडिंग'' पर आधारित थी. थरूर ने कहा कि उन्होंने यह समझकर वो ट्वीट किया था कि नरेंद्र मोदी ने इंदिरा गांधी की भूमिका को दरकिनार कर दिया.

कांग्रेस नेता जयराम रमेश भी एक ट्वीट कर पीएम मोदी के बयान पर चुटकी लेने की कोशिश करते दिखे.

उधर, बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने उन आरोपों को खारिज किया, जो ट्विटर पर #LieLikeModi के साथ ट्रेंड हो रहे थे.

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