पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 26 सितंबर को राज्यपाल जगदीप धनखड़ को पत्र लिखते हुए खुलकर अपना रोष जाहिर किया. दरअसल, महीने की शुरुआत में धनखड़ ने डीजीपी को राज्य में कानून व्यवस्था की स्थिति के बारे में पत्र लिखकर चिंता जाहिर की थी. इसके बदले में ममता ने उन्हें नौ पन्नों का पत्र लिखकर जवाब दिया है. साथ ही राज्यपाल को 'संविधान के आदेश अनुसार कार्य करने की सीख' भी दे डाली.
ममता ने ये दावा किया है कि राज्यपाल द्वारा लिखे पत्र में पुलिस और राज्य सरकार के खिलाफ अपुष्ट निर्णय और कटाक्ष शामिल हैं. जिसे पढ़कर उन्हें काफी आघात पहुंचा है. इस बारे में राज्यपाल ने ट्विटर पर पोस्ट भी किया था जिसे देखकर ममता को काफी दुख भी हुआ.
राज्यपाल को मुख्यमंत्री ममता की ‘सीख’
ममता ने अपने नौ पन्नों के पत्र में राज्यपाल को संविधान का अनुच्छेद 163 याद दिलाते हुए कहा कि, 'आपको अपने मुख्यमंत्री और उसके मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करना अनिवार्य है. जो मुख्य रूप से हमारे लोकतंत्र का सार है.' उन्होंने कहा,
‘’शक्तियों की सीमा पार कर मुख्यमंत्री पद की अनदेखी करने और राज्य के अधिकारियों को आदेश देने से दूर रहें.’’
बनर्जी ने धनखड़ को याद दिलाया कि उन्हें राष्ट्रपति ने नियुक्त किया है, जबकि ममता को खुद जनता ने चुना है. उन्होंने अनुच्छेद 167 के स्पष्टीकरण का उल्लेख किया, जिसमें बीआर अंबेडकर ने कहा था कि "राज्यपाल ब्रिटिश क्राउन की तरह हैं" और उन्हें सरकारी कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए.
जुलाई 2019 में पद संभालने के बाद से ही राज्यपाल धनखड़ और तृणमूल कांग्रेस सरकार के बीच कई बार तनातनी हुई हिअ. कुछ दिनों पहले डीजीपी को पत्र लिखकर धनखड़ ने 'कानून-व्यवस्था में गिरावट' के मद्देनजर जरूरी कदमों का विवरण मांगा था. जिसके बदले में उन्हें मात्र दो लाइन का जवाब मिला. इसके बाद उन्होंने डीजीपी को मुलाकात के लिए भी बुलाया था.
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