दिल्ली के शाहीन बाग इलाके में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों से बात करने की जिम्मेदारी सुप्रीम कोर्ट ने तीन लोगों को दी है. कोर्ट ने ने वरिष्ठ वकील संजय हेगड़े, साधना रामचंद्रन और पूर्व मुख्य सूचना आयुक्त वजाहत हबीबुल्ला को प्रदर्शनकारियों को ये जिम्मेदारी सौंपी है. ये तीनों लोगों से किसी ऐसी जगह जाने के लिए राजी करने की कोशिश करेंगे, जहां कोई सार्वजनिक जगह या सड़क ब्लॉक ना हो.
इससे पहले जान लेते हैं कि ये तीनों लोग कौन हैं-
संजय हेगड़े
संजय हेगड़े सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील हैं. हेगड़े ने अपनी प्रैक्टिस 1989 में शुरू की थी. हाल के समय में उन्हें आरे जंगल केस, NRC से बाहर हुए लोगों, कश्मीर के एक बंदी प्रत्यक्षीकरण जैसे केस की वकालत करते हुए देखा गया है.
संजय हेगड़े पिछले साल के आखिर में काफी चर्चा में रहे थे. 2019 के अक्टूबर में हेगड़े ने एक तस्वीर ट्वीट की थी जिसके बाद ट्विटर ने उनके अकाउंट को सस्पेंड कर दिया था. इसे लेकर हेगड़े ने ट्विटर को अभिव्यक्ति की आजादी के उल्लंघन मामले में लीगल नोटिस भेजा था.
साधना रामचंद्रन
साधना रामचंद्रन सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील हैं. रामचंद्रन दिल्ली हाई कोर्ट में समाधान मध्यस्थता विभाग की सचिव भी रह चुकी हैं.
वजाहत हबीबुल्लाह
वजाहत हबीबुल्लाह देश के पहले मुख्य सूचना आयुक्त रहे हैं. वो राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के चेयरपर्सन भी रह चुके हैं. हबीबुल्लाह को जम्मू-कश्मीर में भी काम करने का अनुभव है. वो 1991 से 1993 तक तब के जम्मू-कश्मीर राज्य के कश्मीर डिवीजन में 8 जिलों के डिविजनल कमिश्नर रहे हैं.
हबीबुल्लाह आर्टिकल 370 हटाए जाने के खिलाफ केंद्र सरकार की आलोचना करते आए हैं. उन्होंने केंद्र सरकार के इस फैसले को 'मूर्खतापूर्ण' बताया था. हबीबुल्लाह कश्मीर पर तीन किताबें लिख चुके हैं.
सुप्रीम कोर्ट में 17 फरवरी को शाहीन बाग से प्रदर्शनकारियों को हटाने की मांग वाली याचिकाओं पर सुनवाई हुई. कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों से बात करने के लिए वार्ताकार नियुक्त कर दिए. अब मामले में अगली सुनवाई 24 फरवरी को होगी.
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