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‘तारीख पर तारीख मिलती है, सरकारें बदलती हैं, नौकरी नहीं मिलती’

विभिन्न भर्ती एजेंसियों और आयोगों के माध्यम से नौकरी के इच्छुक प्रतिनिधियों ने युवाओं के समस्याओं को बताया. 

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भारत
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पिछले कुछ साल से रोजगार के मुद्दे पर सरकार तो घिरी ही है, साथ ही बड़े पैमाने पर युवाओं के आंदोलन भी देखने को मिले हैं. ऐसे में दिल्ली के कॉन्स्टिट्यूशन क्लब में यूथ समिट नाम से एक कार्यक्राम कराया गया. दावा है कि इसमें 60 से अधिक छात्र और युवा संगठनों के लोग शामिल हुए. इस कार्यक्रम को 'युवा हल्ला बोल' नाम दिया गया है. क्विंट हिंदी से बात करते हुए कई छात्रों ने अपनी परेशानियां गिनाईं. किसी को नौकरी मिली है तो अप्वॉइंटमेंट का इंतजार है, कोई फॉर्म भरकर कई साल से एडमिट कार्ड की राह देख रहा है.

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अरविंद को परीक्षा की डेट का है इंतजार...

पूर्वी दिल्ली के रहने वाले 31 साल के अरविंद बताते हैं कि उन्होंने गुरु तेगबहादुर इंस्टीट्यूट से 2011 में इलेक्ट्रिकल में डिप्लोमा किया है. पिछले 8 सालों से नौकरी की तलाश में अरविन्द ने कई कंपनियों में नौकरी के लिए आवेदन दिया. कई बार तो वो इंटरव्यू राउंड में पहुंचे मगर नौकरी नहीं मिल पाई है.

अरविंद ने बताया कि उन्होंने 2012 में दिल्ली सबॉर्डिनेट सर्विसेस सेलेक्शन बोर्ड (डी एस एस एस बी) की परीक्षा के लिए फॉर्म भरा था, लेकिन आज तक उनको परीक्षा देने का इंतजार है. इस समस्या को लेकर अरविंद ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया तथा लेफ्टिनेंट गवर्नर सब को मेल किया मगर जवाब में उन्हें अब तक सिर्फ "आपके मेल को संबंधित विभाग में भेज दिया गया है " के अतिरिक्त कुछ और नहीं मिला है.

युवा हल्ला बोल कार्यक्रम में आने के सवाल पर अरविन्द ने कहा,

सब जगह कोशिश कर लिया,सरकार सिर्फ माइंड गेम खेल रही है नौकरी की सीट कम होती जा रही है, यहां आने से एक उम्मीद है की हमारे मुद्दे को इस प्लेटफॉर्म से उठाने पर शायद कुछ हो सकता है ऐसा मुझे उम्मीद है.
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FCI में ज्वाइनिंग लेटर का इंतजार कर रहे हैं लकी सिंह

राजस्थान के जयपुर से आए 21 साल के लकी सिंह ने क्विंट हिंदी से कहा, "मैं पिछले एक साल से फूड कॉर्पोरेशन ऑफ  इंडिया (FCI) में वॉचमैन की पोस्ट के भर्ती का इंतजार कर रहा हूं, हर बार अगली तारीख का इंतजार करता हूं, मगर इस मामले पर अब तक कोई भी प्रोग्रेस देखने को नहीं मिला है’’

फिलहाल लकी जयपुर में एक कोचिंग चलाते हैं और इस उम्मीद में हैं कि जल्द ही उन्हें अपना जॉयनिंग लेटर मिलेगा.

विभिन्न भर्ती एजेंसियों और आयोगों के माध्यम से नौकरी के इच्छुक  प्रतिनिधियों ने युवाओं के  समस्याओं को बताया. 
राजस्थान के अनिल मीणा, सुघर सिंह,लकी सिंह (बाएं से दाएं) 
(फोटो: अभिमन्यु\ क्विंट हिंदी)

SSC के मारे भी कई सारे....

राजस्थान के दौसा से आये हुए 18 साल के युवा सुघर सिंह ने कहा कि उनके कई दोस्त SSC की परीक्षा पास करने के बाद भी सालों से अपने अपॉइंटमेंट का इंतजार कर रहे हैं. सुघर अभी आई टी आई से इलेक्ट्रिकल में डिप्लोमा कर रहे हैं और ये उनका आखिरी सेमेस्टर है. दिल्ली में इस कार्यक्रम में आने के सवाल पर सुघर ने कहा,"मैंने अपने दोस्तों को नौकरी के लिए परेशान देखा है. परेशानी में फंसने से बेहतर है कि जागरुक होना."

राजस्थान के करौली से आये 22 साल के अनिल मीणा ने बताया कि उन्होंने इतिहास से BA किया है और पहली बार एसएससी ग्रुप बी की परीक्षा दी है और अभी उन्हें रिजल्ट का इंतजार है. इस प्रोग्राम में आने के सवाल पर अनिल ने बताया की, उनके शहर के कई अन्य छात्र रोजगार की समस्या से ग्रसित हैं और कई दोस्तों को प्रतियोगी परीक्षा में पास करने के बाद भी सालों से अपॉइंटमेंट लेटर नहीं मिला है. यहां आने से काफी कॉन्फिडेंस मिला है और लगता है कि इस प्लेटफार्म से उनका सवाल अगर उठाया जायेगा तो उसका कुछ न कुछ समाधान निकलेगा. यूपी के लखनऊ से आये सरफराज अहमद ने कहा -

आज इस समिट में आये युवा बेरोजगारों ने मांग किया कि प्रधानमंत्री चीट फंड ( Cheat Fund) योजना आनी चाहिए ताकि देश का युवा बेरोजगार इस से लोन लेकर पेपरलीक में उत्तरपुस्तिका खरीद सके.
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विभिन्न भर्ती एजेंसियों और आयोगों के माध्यम से नौकरी के इच्छुक  प्रतिनिधियों ने युवाओं के  समस्याओं को बताया. 
युवा-हल्लाबोल बेरोजगारी के खिलाफ युवा आंदोलन के अगली कार्रवाई की घोषणा भी करेगा
(फोटो: अभिमन्यु\ क्विंट हिंदी)

यूपी शिक्षक भर्ती का इंतजार कर रहे लोगों की कमी नहीं...

उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा से आए 24 साल के सुशांत मिश्रा ने बताया कि वो प्राइमरी टीचर की नौकरी के लिए दो साल का बेसिक ट्रेनिंग सर्टिफिकेट (BTC) कोर्स करके 2017 से नौकरी के इंतजार में हैं. यूपी में प्राइमरी टीचर की नियुक्ति का मामला 2015 से लंबित है और इससे लाखों छात्र अपनी नियुक्ति के इंतजार में हैं. सुशांत ने क्विंट हिंदी को बताया कि,"2015 बैच के करीब 80000 छात्र, 2017 बैच के करीब ढाई लाख प्रतिभागी और लगभग इतने ही संख्यां में 2018 बैच के छात्र अपने भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं."

इसी मामले को लेकर दादरी, यूपी से आयी चित्रा शर्मा, 20 ने क्विंट हिंदी को बताया कि ये मामला असल में बी एड की डिग्री वाले लोगों को 6 महीने के एक ब्रिज कोर्स के द्वारा प्राइमरी टीचर की नियुक्ति से संबंधित है.

चित्रा का कहना है कि बीटीसी की डिग्री वाले लोगों को प्राइमरी टीचर और बीएड की डिग्री वाले लोगों के लिए अपर प्राइमरी और सीनियर क्लास टीचर की व्यवस्था थी. मौजूदा बीजेपी की सरकार ने एनसीटी के आदेश के बाद अवैध रूप से बीटीसी ट्रेंड लोगों को टीचर भर्ती में प्राथमिकता दे रही है.

चित्रा ने आगे बताया की इस मामले को लेकर MHRD , NCT, यूपी के सभी सांसद और विधायक समेत सभी जिलाधिकारियों को ज्ञापन सौंपा मगर कोई हमारी बात नहीं सुन रहा है. "

या तो सरकार हमारी डिग्री बीएड के बराबर करे या फिर प्राइमरी टीचर की नियुक्ति में हमें प्राथमिकता दी जाये,साथ ही पिछले बैच के लोगों का बैकलॉग क्लियर हो तभी नया बैच चालू किया जाए.

2018 में दिल्ली में संसद मार्ग पर हुए प्रदर्शन कर चुके सुशांत मिश्रा और चित्रा शर्मा ने संसद मार्ग पुलिस स्टेशन में हिरासत में भी रह चुके हैं, मगर उनकी लड़ाई अभी जारी है.

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विभिन्न भर्ती एजेंसियों और आयोगों के माध्यम से नौकरी के इच्छुक  प्रतिनिधियों ने युवाओं के  समस्याओं को बताया. 
युवा-हल्लाबोल से जुड़े छात्र और सरकारी नौकरियों के उम्मीदवार हैं
(फोटो: अभिमन्यु\ क्विंट हिंदी)

अब बारी थी यूपी पुलिस भर्ती की...

इस अवसर पर सैकड़ों युवा मौजूद थे और सब अपने सवाल के जवाब तलाश रहे थे. इसी दौरान हमारी बातचीत हुई 24 साल के प्रदीप कुमार यादव जो यूपी के भदोही से आये थे. प्रदीप यादव ने बताया कि उनहोंने 2013 में यूपी पुलिस की परीक्षा दी.

पहली बार इस परीक्षा में प्री और मेंस टेस्ट लिया गया. 2015 में इसका रिजल्ट आया. 41610 सीट की कुल वैकंसी निकली थी मगर रिजल्ट सिर्फ 38315 लोगों का आया, 3295 सीट खली रह गयी. इस मामले को लेकर 2015 से आंदोलन चल रहा है. मामला अदालत तक भी पहुंचा मगर अभी तक कोई फैसला हमारी नौकरी को लेकर इम्प्लीमेंट नहीं हुआ है.

प्रदीप यादव ने क्विंट हिंदी को इस प्लेटफॉर्म पर जुड़ने की वजह बताते हुए कहा कि, "यूपी की योगी सरकार का रवैया इस मामले को लेकर बेहद कन्फ्यूजिंग है और वो खुद नहीं चाहते की ये लंबित भर्ती प्रक्रिया आगे बढ़े. इस मुद्दे पे अब संगठित होने के लिए यहां आये हैं."

विभिन्न भर्ती एजेंसियों और आयोगों के माध्यम से नौकरी के इच्छुक  प्रतिनिधियों ने युवाओं के  समस्याओं को बताया. 
रोजगार की चिंता, बेरोजगारी की समस्या 

युवा हल्ला बोल के इस कार्यक्रम में स्वराज अभियान के योगेंद्र यादव, वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण भी इस अवसर पर कार्यक्रम में मौजूद थे.

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