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आदिवासियों को भोज के लिए 100 kg फ्री चावल, महाजन को नहीं चुकाना होगा कर्ज- सोरेन

Jharkhand: "छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए राज्य में जल्द ही गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत होगी."

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न्यूज
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विश्व आदिवासी दिवस (World Tribal Day) के मौके पर झारखंड (Jharkhand) के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (CM Hemant Soren) ने आदिवासी समाज के लिए कई ऐलान किए हैं. उन्होंने कहा है कि विवाह या मृत्यु होने पर होने वाले सामूहिक भोज के लिए राज्य सरकार 100 किलोग्राम चावल और 10 किलोग्राम दाल मुहैया कराएगी. इसके अलावा महाजनों से लिया गया कर्ज भी आदिवासियों को वापस नहीं करना होगा.

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झारखंड में विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर दो दिवसीय जनजातीय महाेत्सव की शुरुआत हुई है जिसकी अध्यक्षता मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन कर रहे हैं. इस मौके पर सीएम सोरेन ने कई योजनाओं का ऐलान करते हुए केंद्र सरकार से मांग की है कि नौ अगस्त को सार्वजनिक अवकाश की घोषणा की जाए.

कार्यक्रम को संबोधित करते वक्त उन्होंने घोषणा की - आदिवासी समाज में किसी का विवाह होता है या फिर किसी की मृत्यु होने पर जो सामूहिक भोज करवाना होता है, सरकार इसके लिए 100 किलोग्राम चावल और 10 किलोग्राम दाल देगी.

यही नहीं महाजनों से ऊंचे ब्याज पर कर्ज लेने के संबंध में कहा कि महाजनों से कर्ज ना ले इसकी जगह ग्रामीण बैंक से लोन ले. साथ ही उन्होंने कहा कि जो कर्ज लिया गया है उसका भुगतान न करें, अगर कोई वसूली करता है तो शिकायत मिलने पर कार्रवाई करने को भी कहा है.

वन अधिकार के पट्टे जो खारिज किये गये थे, उसे रिन्यू करके लंबित पट्टे को तीन महीने के अंदर पूरा किया जाएगा. उन्होंने कहा कि हम देश के मूलवासी हैं. आज आदिवासी समाज बिखरा हुआ है. वर्तमान समय में इस आदिवासी समाज को एकजुट करना बहुत जरूरी है.

जल्द शुरू होगी गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना

मुख्यमंत्री ने कहा कि छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने में भी सरकार मदद करेगी, इसके लिए राज्य में जल्द ही गुरुजी क्रेडिट कार्ड योजना की शुरुआत होगी. इसके तहत छात्रों को उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कम ब्याज दर पर लोन मिलने की सुविधा मिलेगी.

उन्होंने यह भी कहा कि, आदिवासी समाज के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि हमारी हर चीज आम जन तक चलती रहे. आदिवासी समाज के लोग अपनी भाषा और सामाजिक नीति-नियम के साथ आगे बढ़ रहे हैं. इसके लिए जरूरी है कि सामाजिक चेतना बनी रहे और लोगों तक आदिवासी विकास की मूल भाषा और भावना पहुंचती रहे.

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