शाम की तकरीबन 7 बजने वाले थे और लखनऊ का दिल कहे जाने वाले हजरतगंज के वजीर हसन रोड पर रोजाना की तरह आसपास के बहुमंजिला इमारतों में रहने वाले लोगों की चहलकदमी थी. इन इमारतों में एक था चार मंजिला अलाया अपार्टमेंट जो बुधवार की शाम महसूस किए गए भूकंप के झटकों के बाद अचानक से ताश के पत्तों की तरह जमींदोज हो गया.
इस घटना में अभी तक दो लोगों की मौत हो चुकी है. पुलिस अधिकारियों की माने तो रेस्क्यू ऑपरेशन में अभी तक 14 लोगों को निकाला जा चुका है, जिनका इलाज जारी है. जहां एक तरफ एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, सेना और पुलिस के जवान रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे हैं. वहीं दूसरी तरफ प्रशासन घटना के कारणों की पड़ताल करने में लग गया है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लेते हुए कारणों की जांच के लिए 3 सदस्य कमेटी का गठन किया है, जो एक हफ्ते में अपनी रिपोर्ट सौंप देगी.
FIR में लगे गंभीर आरोप
अलाया अपार्टमेंट के धराशाई होने के मामले में लखनऊ पुलिस ने पहला मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस के द्वारा दर्ज कराए गए इस मुकदमे में तीन नामजद आरोपी हैं, जिनमें मेरठ के किठौर से एसपी विधायक शाहिद मंजूर के बेटे नवाजिश शाहिद और उनका भतीजा मोहम्मद तारिक. मेरठ पुलिस ने नवाजिश शाहिद को बुधवार की रात गिरफ्तार कर लखनऊ के लिए रवाना कर दिया था, जहां पर घंटों चली पूछताछ के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया गया. पुलिस सूत्रों की मानें तो मोहम्मद तारिक की गिरफ्तारी के लिए भी दबिश दी जा रही है.
FIR में दर्ज आरोपों की बात करें तो घटिया निर्माण सामग्री के इस्तेमाल से लेकर भारी ड्रिल मशीनों से ड्रिल करा कर निर्माण कार्य कराए जाने को बिल्डिंग के गिरने का कारण बताया गया है. राज्य की तरफ से दर्ज मुकदमे की वादी वरिष्ठ उप निरीक्षक दयाशंकर द्विवेदी ने आरोप लगाया कि....
"बिल्डिंग का निर्माण अत्यंत निम्न दर्जे का था और मौके पर मौजूद लोगों ने बताया कि निर्माण के दौरान निर्माणकर्ताओं द्वारा ज्यादा पैसा कमाने के चक्कर में उक्त अपार्टमेंट में जानबूझकर घटिया निर्माण की सामग्री का इस्तेमाल किया गया था. लोगों ने यह भी बताया कि बिल्डिंग के मालिक द्वारा एक-दो दिन में बिल्डिंग के भूतल पर अत्यंत खतरनाक ढंग से भारी ड्रिल मशीनों से ड्रिल करा कर कुछ निर्माण कार्य कराया जा रहा था जिसकी धमक से बिल्डिंग हिल डूल रही थी जिस पर कुछ लोगों ने आपत्ति भी की थी."
अलाया अपार्टमेंट की चार मंजिलों में 13 फ्लैट्स थे. इसके 8 फ्लैट में परिवार रह रहे थे. इस अपार्टमेंट की चौथी मंजिल पर रहने वाली रूबी को रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान सबसे पहले निकाला गया था. मीडिया से आज मुखातिब रूबी ने बताया की अपार्टमेंट में रहने वाले हर परिवार से मेंटेनेंस के नाम पर 20- 20 हजार रुपए लिए गए थे. बेसमेंट में मेंटेनेंस का काम चल रहा था जहां पर ड्रिल मशीनों की वजह से पूरे बिल्डिंग में कंपन हो रही थी.
आरोप यह लग रहे हैं कि बिना मानचित्र स्वीकृत कराए बिल्डिंग में निर्माण किए गए थे. ऐसे में लखनऊ विकास प्राधिकरण भी जांच के घेरे में आ जाता है कि लखनऊ के सबसे पॉस इलाके में अनाधिकृत रूप से कैसे बिल्डिंग बनाए जा रहे थे? यह पहली बार नहीं है जब विकास प्राधिकरण की कार्यशैली पर सवाल उठे हैं. पिछले साल हसरतगंज के लेवाना होटल में हुए अग्निकांड के बाद बिल्डिंग में मौजूद अपर्याप्त सुरक्षा संसाधनों को लेकर विकास प्राधिकरण पर गंभीर आरोप लगे थे. बाद में होटल को ढाहने के आदेश भी दिए गए थे. घटना के कुछ दिन बीत जाने के बाद जांच ठंडे बस्ते में चली गई.
24 घंटे से लगातार चल रहा रेस्क्यू ऑपरेशन
JCB ड्रिल मशीन और कटर की मदद से एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और पुलिस के जवान मलबे को हटाने की कोशिश कर रहे हैं. इस अभियान को चलते 24 घंटे का समय हो चुका है और अभी तक 14 जाने बचाई गई हैं. आला अधिकारियों की मानें तो कुछ और लोगों के मलबे में दबे होने की आशंका है और ऐसे में रेस्क्यू ऑपरेशन चलता रहेगा.
इस हादसे में समाजवादी पार्टी प्रवक्ता अब्बास हैदर की मां और पत्नी की मौत हो गई. रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान दोनों को मलबे से निकाला गया था और घायल अवस्था में श्यामा प्रसाद मुखर्जी सिविल अस्पताल भर्ती कराया गया था जहां दोनों ने आखरी सांस ली.
(हैलो दोस्तों! हमारे Telegram चैनल से जुड़े रहिए यहां)