सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को मेहसाणा दंगा मामले में गुजरात कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल की दोषसिद्धि पर रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर और न्यायमूर्ति विक्रम नाथ की पीठ ने कहा, दोषसिद्धि पर तब तक रोक लगाई जाती है, जब तक कि अपीलों पर तदनुसार निर्णय नहीं हो जाता।
पीठ ने कहा कि गुजरात उच्च न्यायालय के लिए इस मामले में पटेल की दोषसिद्धि पर रोक लगाना उचित मामला है। पीठ ने कहा, वरिष्ठ वकील मनिंदर सिंह को सुनने और तथ्यों और परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए, हमारा विचार है कि उच्च न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर रोक लगाने के लिए यह उपयुक्त मामला है।
पटेल का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मनिंदर सिंह ने कहा कि उनके मुवक्किल को चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं देना उनके अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन है। सिंह ने कहा, यह उल्लंघन है। मैं 2019 में चुनाव लड़ने का एक मौका पहले ही गंवा चुका हूं। हम अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत अपने अधिकारों को लागू करने के लिए आपके आधिपत्य के समक्ष हैं।
गुजरात सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि पटेल का चुनाव लड़ना अदालत के सामने मुद्दा नहीं है, बल्कि आपराधिक कानून के मापदंडों के आधार पर मामला तय किया जाना चाहिए।
सिंह ने प्रस्तुत किया कि राज्य पुलिस शक्तियों का दुरुपयोग कर रही है। सिंह ने कहा, मुझे नहीं पता कि उन्हें क्या कहना है, लेकिन माई लॉर्डस को जल्द ही इस मामले का फैसला करना चाहिए।
पटेल ने 2019 के आम चुनावों से पहले गुजरात उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और दोषसिद्धि पर रोक लगाने की मांग की थी। उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका खारिज कर दी और वह चुनाव नहीं लड़ सके। इस आदेश को चुनौती देते हुए पटेल ने शीर्ष अदालत का रुख किया।
2015 में, पटेल ने पाटीदार समुदाय के लिए आरक्षण की मांग को लेकर पाटीदार आंदोलन का नेतृत्व किया था। इस आंदोलन के कारण हिंसा हुई थी और भाजपा विधायक के कार्यालय में तोड़फोड़ की गई थी।
पटेल ने जुलाई 2018 में मेहसाणा की एक सत्र अदालत द्वारा पारित दोषसिद्धि आदेश को निलंबित करने का निर्देश देने की मांग की थी।
--आईएएनएस
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