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ज्यादातर दलों ने लोकसभा, विधानसभाओं में OBC आरक्षण का किया समर्थन

अधिकतर दलों के सदस्यों ने लोकसभा, विधानसभाओं में ओबीसी आरक्षण के सुझाव का किया समर्थन

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नयी दिल्ली, 21 जून (भाषा) लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के वंचित लोगों को आबादी के अनुरूप प्रतिनिधित्व दिये जाने की मांग करने वाले एक निजी विधेयक का शुक्रवार को राज्यसभा में अधिकतर दलों के सदस्यों ने समर्थन किया। हालांकि कुछ सदस्यों ने यह भी सुझाव दिया कि इस वर्ग के विकास के लिए आरक्षण के साथ साथ अन्य प्रभावी उपाय भी किए जाने चाहिए।

वाईएसआर कांग्रेस के विजय साई रेड्डी द्वारा लाये गये गैर सरकारी विधेयक संविधान (संशोधन) विधेयक (नये अनुच्छेद 330 क और 332क का अंत:स्थापन) पर उच्च सदन में चर्चा के दौरान अधिकतर सदस्यों ने इस प्रावधान को समय की मांग बताते हुए इसका समर्थन किया। रेड्डी ने कहा कि देश की आबादी का लगभग 50 प्रतिशत हिस्सा होने के बावजूद संसद और राज्य विधानसभाओं में इस वर्ग का समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है। इससे संविधान की व्यापक भागीदारी वाले लोकतंत्र की अवधारणा साकार नहीं हो पा रही।

उन्होंने सुझाव दिया कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति (एससी, एसटी) उत्पीड़न निषेध कानून की तर्ज पर ओबीसी वर्ग के लिए भी कानून होना चाहिए तथा इस वर्ग के हितों की देखरेख के लिए अलग से एक मंत्रालय बनाया जाना चाहिये।

चर्चा में भाग लेते हुए कांग्रेस के बी के हरिप्रसाद ने कहा कि देश की इस विशाल आबादी का आज भी महत्वपूर्ण स्थानों पर समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है और वे अब भी अपने अधिकारों से वंचित हैं। उन्होंने कहा कि इस काम को किये बिना देश का सही मायने में विकास नहीं किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि स्थानीय निकायों में ओबीसी वर्ग के लोगों को जो प्रतिनिधित्व दिया गया है उसे अब आगे बढ़ाकर लोकसभा एवं राज्यों की विधानसभाओं में भी लागू किया जाना चाहिये।

टीआरएस के के केशव राव ने विधेयक का समर्थन करते हुए कहा कि भारत जैसे देश में, जहां आज भी छुआछूत की भावना है, वहां आबादी के इस बड़े हिस्से को मुख्यधारा का हिस्सा बनाने के लिए समुचित कानूनी प्रावधान की आवश्यकता है।

भाजपा के विकास महात्मे ने कहा कि किसी विधेयक पर गौर करने के पीछे इस भावना को रखना होगा कि क्या इसके लागू होने से हाशिये पर खड़ा आदमी लाभान्वित होगा अथवा नहीं। उन्होंने कहा कि ओबीसी वर्ग की सामाजिक और शैक्षणिक स्थिति का आकलन गहनता से करने की आवश्यकता है ताकि विधेयक की भावना पूरी की जा सके और कोई अपने जायज हक से वंचित न हो।

उन्होंने कहा कि ओबीसी के हितों को पूरा करने के लिए आरक्षण के दायरे से हटकर कुछ अन्य सकारात्मक उपाय भी किये जाने की जरुरत है। उन्होंने कहा कि सरकार का ध्यान इस वर्ग के लोगों के लिए शिक्षा के स्तर में सुधार लाने, रिण उपलब्धता सुविधा बढ़ाने और दक्षता विकास की ओर ध्यान देने जैसी पहल को साकार करने की ओर है।

राजद के मनोज झा ने विधेयक का समर्थन करते हुए जाति आधारित समुचित आंकड़े नहीं होने पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि ओबीसी के तहत 3,743 जातियां आती हैं और उनकी सामाजिक, शैक्षिक स्थिति से अवगत होना आवश्यक है ताकि कोई न्याय से वंचित न होने पाये।

चर्चा में द्रमुक के टीकेएस ईलनगोवन, भाजपा के रामकुमार वर्मा, कांग्रेस के एल हनुमंतैया, छाया वर्मा, सपा के विश्वंभर प्रसाद निषाद, अन्नाद्रमुक के एन गोकुलकृष्णन, आप के संजय सिंह, भाजपा के अजय प्रताप सिंह एवं अमरशंकर साबले ने भी विधेयक की भावना का समर्थन किया। चर्चा अधूरी रही।

(ये खबर सिंडिकेट फीड से ऑटो-पब्लिश की गई है. हेडलाइन को छोड़कर क्विंट हिंदी ने इस खबर में कोई बदलाव नहीं किया है.)

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