उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र में सरकार बनाने के लिए शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस के बीच चुनाव बाद गठबंधन को चुनौती देने वाली याचिका शुक्रवार को खारिज कर दी।
न्यायमूर्ति एनवी रमण, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा कि संवैधानिक नैतिकता और राजनीतिक नैतिकता भिन्न होती हैं।
पीठ ने कहा, ‘‘लोकतंत्र में हम राजनीतिक दलों के दूसरे दलों से गठबंधन के अधिकार में कटौती नहीं कर सकते।’’
शीर्ष अदालत ने अखिल भारत हिंदू महासभा के प्रमोद पंडित जोशी की ओर से पेश अधिवक्ता से कहा, ‘‘लोकतंत्र में अदालत से चुनाव बाद गठबंधन के क्षेत्र में दखल देने की उम्मीद मत कीजिए, यह उसका न्यायिक क्षेत्र में नहीं है।’’
न्यायालय ने कहा कि यह फैसला अदालतों को नहीं बल्कि जनता को करना है।
न्यायालय ने यह भी कहा कि यदि कोई दल सत्ता में आने के बाद अपने घोषणा पत्र में किए वादे पूरे नहीं करता है तो भी अदालत उसे इस बारे में कोई निर्देश जारी नहीं कर सकती है।
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