आम आदमी पार्टी (AAP) ने भारतीय जनता पार्टी (BJP) पर चौंकाने वाले आरोप लगाए हैं. उसने कहा है कि नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ शाहीन बाग में प्रदर्शन BJP के दिमाग की उपज था.
AAP ने ये आरोप 17 अगस्त को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में लगाए, जिसे ग्रेटर कैलाश के MLA सौरभ भारद्वाज ने संबोधित किया. अब दो सवाल उठते हैं जिन पर ध्यान दिया जाना जरूरी है:
- क्या ये आरोप सही हैं?
- आम आदमी पार्टी ये आरोप क्यों लगा रही है?
लेकिन पहले देखते हैं कि आम आदमी पार्टी के MLA सौरभ भारद्वाज ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में क्या-क्या कहा था.
सौरभ भारद्वाज ने क्या कहा?
प्रेस कॉन्फ्रेंस से सौरभ भारद्वाज के कुछ बयान:
- ''BJP का पूरा चुनाव प्रचार शाहीन बाग प्रदर्शन के इर्द गिर्द ही था. अगर किसी पार्टी ने शाहीन बाग से अपनी राजनीति चमकाई है तो वो सिर्फ BJP ही है. काफी विचार विमर्श के बाद ऐसी स्क्रिप्ट बनाई होगी.”
- ''बड़ी संख्या में लोग इस प्रदर्शन में लोकतंत्र की भावना बचाने के लिए जुड़े थे. उन्हें तब समझ नहीं आया कि ये धरना BJP के दिमाग की उपज और उसी की रची हुई स्क्रिप्ट है.”
- ''केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रचार के दौरान कहा था कि जब आप कमल का बटन दबाएंगे तो करंट शाहीन बाग तक जाएगा. इसका मतलब साफ है कि कोई कनेक्शन तो है. और वही अब साबित हो गया है.''
- ''दिल्ली पुलिस ने किसी भी अन्य प्रदर्शन को 3 घंटे से ज्यादा चलने नहीं दिया. लेकिन शाहीन बाग का प्रदर्शन 101 दिन तक चलने दिया.''
- ''शाहीन बाग प्रदर्शन से जुड़े कुछ प्रमुख लोग बड़े नेताओं के नेतृत्व में बाद में BJP से जुड़ गए. इससे भी साफ होता है कि शाहीन बाग प्रदर्शन में BJP का हाथ था.
- ''हमने शाहीन बाग प्रदर्शन को काफी बारीकी से नोटिस किया था. हमने ये पाया कि कुछ अनजान लोग प्रदर्शन में पहुंच कर एंटी नेशनल नारे लगाते, भारत को बांटने की बातें करते, दंगे की बातें करते. लेकिन दिल्ली पुलिस ने इन लोगों पर कभी कोई कार्रवाई नहीं की.''
- ''मैं दिल्ली के BJP समर्थकों को बताना चाहूंगा कि आपने जिस शाहीन बाग का विरोध किया था, वो BJP का ही किया धरा था.''
क्या ये आरोप सही हैं?
AAP के आरोप तीन हिस्सों में सामने आए हैं:
- BJP ने दिल्ली चुनाव में शाहीन बाग के मुद्दे पर ही अपना पूरा प्रचार किया.
- प्रदर्शन BJP के दिमाग की उपज था.
- BJP ने ही शाहीन बाग के मुद्दे से अपनी राजनीति चमकाई.
अब इन पर बारी-बारी से नजर डालते हैं.
क्या BJP ने अपना चुनाव प्रचार शाहीन बाग के मुद्दे पर ही किया?
ये आरोप लगभग सच है.
- सीलमपुर में अपनी रैली के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शाहीन बाग को एक “प्रयोग” कहा था.
- केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने प्रचार के दौरान, लोगों से इस तरह कमल का बटन दबाने के लिए अनुरोध किया था कि ''शाहीन बाग तक करंट लगे.''
- BJP के प्रवेश वर्मा ने लोगों को डराने के लिए यहां तक कह दिया कि, “शाहीन बाग के लोग आपके घरों में घुसकर महिलाओं का रेप करेंगे.”.
क्या कोई सबूत है कि शाहीन बाग प्रदर्शन के पीछे BJP का हाथ था?
AAP नेता भारद्वाज के इस आरोप पर अभी स्थिति साफ नहीं हो पाई है.
- अब तक इस बात का कोई सबूत नहीं है कि शाहीन बाग प्रदर्शन का कोई भी आयोजक BJP से जुड़ा हो.
- सार्वजनिक तौर पर ऐसा कुछ नहीं दिखता, जो दर्शाता हो कि शहजाद अली, जिन्होंने अभी अभी BJP ज्वाइन की है, शाहीन बाग प्रदर्शन के आयोजकों में से एक थे. वह जसोला विलेज के निवासी हैं, शाहीन बाग के नहीं.
- अगर शहजाद शाहीन बाग प्रदर्शन के आयोजनकर्ता थे भी, तो भी इससे ये साबित नहीं होता कि शाहीन बाग के पीछे BJP का हाथ है. बल्कि इसी तर्क से सीधे-सीधे आम आदमी पार्टी भी निशाने पर आ सकती है. जैसे किरण बेदी के BJP ज्वाइन कर लेने से इंडिया अगेंस्ट करप्शन के पीछे BJP का हाथ नहीं हो जाएगा.
- दिल्ली पुलिस की पूर्वी दिल्ली में हुए दंगे की चार्जशीट में भी शाहीन बाग जैसे सभी प्रदर्शनों को दंगा भड़काने वाला बताया गया है. अगर BJP शाहीन बाग के पीछे होती तो ऐसी चार्जशीट कभी दायर ही नहीं होती. क्योंकि BJP अपने ही लोगों को जेल क्यों भेजना चाहेगी.
- भारद्वाज ने कहा कि 24 मार्च 2020 को शाहीन बाग प्रदर्शन खत्म किया गया क्योंकि BJP के मंसूबे पूरे हो गए थे. जबकि शाहीन बाग प्रदर्शन के खत्म होने की वजह कोरोना वायरस था.
- साथ ही भारद्वाज के एंटी नेशनल नारों और भारत के बांटने के नारों का कोई पुख्ता सबूत और आधार भी नहीं है.
क्या BJP एकलौती पार्टी है जिसे शाहीन बाग धरने से फायदा हुआ?
ये आरोप भी लगभग सही है.
- ये बात बिल्कुल सही है कि BJP ने शाहीन बाग के मुद्दे को अपने तरीके से बहुत भुनाया है. 'लोकनीति CSDS' के एक सर्वे के मुताबिक, BJP के पास हिंदू वोटरों का समर्थन AAP से 3 फीसदी ज्यादा था.
- वहीं दूसरी तरफ, AAP को 15 फीसदी समर्थन ऐसे हिंदू वोटरों का था जिन्होंने शाहीन बाग धरने के बारे में नहीं सुना था.
लेकिन कुछ और भी प्वाइंट हैं, जिन पर गौर करना जरूरी है.
- लोकनीति CSDS के सर्वेकर्ताओं ने ये भी निष्कर्ष निकाला है कि BJP का हिंदू वोटरों की तरफ से सशक्त होने का एक कारण ये भी है कि BJP ने हमेशा से मीडिया और सोशल मीडिया से जुड़े समूहों को ही टारगेट किया है.
- उनके ही एक सर्वे के मुताबिक, AAP को मुस्लिमों के 83 फीसदी वोट मिले थे, जो कि 2015 के मुकाबले 6 फीसदी ज्यादा थे. इससे ये भी माना जा सकता है कि नागरिकता कानून के प्रदर्शनों के आधार पर ही मुस्लिमों ने BJP को हराने के लिए AAP को वोट देना चुना.
- यही पैटर्न सीलमपुर, मुस्तफाबाद और ओखला जैसी बड़ी सीटों पर फॉलो हुआ.
- ओखला का मामला थोड़ा और रोचक है. वहां से अमानतुल्लाह खान ने 70 फीसदी वोटों के साथ जीत दर्ज की. जबकि ओखला में मुस्लिम आबादी सिर्फ 50 फीसदी है. ये जीत धार्मिक ध्रुवीकरण की सारी बातें खारिज कर देती है.
आम आदमी पार्टी ये आरोप क्यों लगा रही है?
क्विंट ने पहले रिपोर्ट किया था कि AAP अपने विस्तार के लिए BJP के नाराज वोटरों को लुभाने की पूरी कोशिश कर रही है. भारद्वाज के आरोपों से ये बात साबित हो रही है.
- अपनी प्रेस कॉन्फ्रेंस के पहले हिस्से में भारद्वाज ने पूरा जोर इस बात पर लगाया कि कैसे BJP ने अकेले ही शाहीन बाग प्रदर्शन का पूरा फायदा उठाया. वह BJP के वोटरों को ठगा हुआ महसूस कराने की कोशिश कर रहे थे.
- दरअसल भारद्वाज ने कहा था, “मैं BJP समर्थकों को ये बताना चाहता हूं कि आप जिनका विरोध कर रहे थे, वो BJP के ही लोग थे.”
- भारद्वाज से ही ये आरोप लगवाने के पीछे AAP का सॉफ्ट हिंदू कार्ड है. भारद्वाज हमेशा से AAP के बड़े चेहरे हैं, जिन्होंने नाराज BJP वोटरों को लुभाने का काम किया है. चाहे चीनी घुसपैठ पर BJP को घेरना हो, या अपने क्षेत्र में सुंदरकांड पाठ करवाना हो.
- लोकसभा चुनावों में 20 फीसदी से भी कम वोट पाने वाली AAP, पार्टी के विस्तार के लिए BJP के वोटरों को ही अपने पाले में लाने की कोशिश कर रही है.
- रही बात मुस्लिम वोटरों की तो, AAP का मानना यह होगा कि ये वोट स्वाभाविक रूप से उसकी तरफ ही आएंगे अगर वो उस विशेष सीट पर BJP विरोधी ताकत बन जाती है.
जहां AAP ने पूरी कैलकुलेशन कर ये आरोप लगाए हैं, वहीं इन आरोपों के बाद दिल्ली के मुस्लिम दुविधा में आ सकते हैं. ऐसे में क्या AAP को लेकर मुस्लिमों का नजरिया बदल जाएगा?
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