एनसीपी नेता अजित पवार पर पार्टी चीफ शरद पवार ने बड़ी कार्रवाई की है. शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार को पार्टी के विधायक दल के नेता के पद से हटा दिया है. अजित पवार की जगह पार्टी ने फिलहाल जयंत पाटिल को विधायक दल के नेता के सभी अधिकार दे दिए हैं.
अजित पवार पर हुई इस कार्रवाई को अनुशासनहीनता के लिए सिर्फ सजा ही नहीं, बल्कि शरद पवार की रणनीति के तौर पर भी देखा जा रहा है.
अजित पवार पर क्यों हुई कार्रवाई?
एनसीपी ने अपने वरिष्ठ नेता अजित पवार के खिलाफ ये कार्रवाई अनुशासनहीनता की वजह से की है. अजित पवार ने शनिवार सुबह पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर सरकार गठन के लिए बीजेपी का समर्थन कर दिया था. अजित पवार एनसीपी विधायकों के साथ राजभवन पहुंचे थे. उन्होंने विधायकों के हस्ताक्षर वाली एक लिस्ट भी राज्यपाल को सौंपी थी. इस समर्थन के बदले बीजेपी ने अजित पवार को उपमुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई है.
एनसीपी विधायक दल के नेता रहे अजित पवार के इस कदम के बाद शरद पवार ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा था कि अजित पवार का फैसला उनका निजी फैसला है, इसका पार्टी से कोई लेनादेना नहीं है. इसके बाद से ही उम्मीद की जा रही थी कि अजित पवार के खिलाफ कार्रवाई हो सकती है.
शपथ ग्रहण से लौटकर क्या बोले थे एनसीपी नेता?
उप-मुख्यमंत्री अजित पवार के शपथ ग्रहण में शामिल होने वाले एनसीपी विधायकों में से सात ने पार्टी प्रमुख शरद पवार के प्रति अपनी वफादारी का दावा किया है. नासिक जिले के विधायकों दिलीप बनकर और माणिकराव कोकाटे ने अलग-अलग ट्वीट कर कहा कि उन्हें शपथ ग्रहण समारोह के बारे में अंधेरे में रखा गया.
दोनों विधायकों ने कहा कि वे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ हैं. उन्होंने एनसीपी चीफ शरद पवार के साथ एकजुटता व्यक्त की है.
शपथ ग्रहण में शामिल होने वाले पांच अन्य एनसीपी विधायकों ने भी पार्टी प्रमुख के प्रति एकजुटता जताई. इनमें राजेंद्र शिंगने (बुलढाणा), संदीप क्षीरसागर (बीड), सुनील शेलके (मावल), सुनील भुसारा (विक्रमगढ़), नरहरि जिरवाल (डिंडोरी) और सुनील तिंगरे (वडगांव-शेरी) शामिल हैं.
पर्ली सीट से विधायक धनंजय मुंडे, जिनके बारे में कहा जा रहा है कि वे भी राजभवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुए थे, पार्टी प्रमुख शरद पवार द्वारा बुलाई गई एनसीपी विधायकों की बैठक में बदल गए. धनंजय मुंडे ने कहा-
“मैं पार्टी लाइन के खिलाफ नहीं गया हूं. अजित पवार के कहने पर मैं राजभवन गया था. मैंने उनके आदेश का पालन किया, क्योंकि वह विधायक दल के नेता हैं.”
सिन्नार सीट से एनसीपी विधायक माणिकराव कोकाटे ने शरद पवार और सांसद सुप्रिया सुले को टैग करते हुए ट्वीट किया-
“मुझे इस बात की कोई भनक तक नहीं थी कि वहां क्या होने वाला है. मैं पार्टी के साथ हूं. कभी भी फैसला नहीं बदलूंगा.”
एनसीपी विधायक दिलीपराव बनकर ने भी कहा है उन्हें शरद पवार के नेतृत्व पर भरोसा है. उन्होंने कहा कि वह भी अजित पवार के कहने पर राजभवन पहुंचे थे और वहां जो कुछ हुआ, उसकी उन्हें जरा भी भनक नहीं थी.
इससे पहले, शरद पवार की प्रेस कॉन्फ्रेंस में एनसीपी विधायक राजेंद्र शिंगने ने कहा-
जब मैं राजभवन पहुंचा, तो मुझे वहां 8 से 10 विधायक पहले से ही मौजूद थे. हममें से किसी को भी एहसास नहीं हुआ कि हमें वहां क्यों लाया गया. शपथ ग्रहण के बाद, हम पवार साहब (शरद पवार) से मिलने गए.
उन्होंने कहा, "यह सब कुछ गलतफहमी के कारण हुआ, क्योंकि अजित पवार ने हमें बुलाया था."
क्या है शरद पवार की रणनीति?
जाहिर है, शरद पवार ने अपने भतीजे अजित पवार पर ये कार्रवाई अनुशासनहीनता की वजह से की है. अजित पवार ने न सिर्फ पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर बीजेपी का समर्थन किया, बल्कि विधायक दल के नेता होने का भी फायदा उठाया. शपथ ग्रहण में शामिल हुए एनसीपी विधायकों में से सात विधायकों ने शरद पवार के नेतृत्व पर भरोसा जताया है. विधायकों का दावा है कि उन्हें शपथ ग्रहण के बारे में कोई जानकारी नहीं थी, वे सिर्फ अजित पवार के बुलावे पर राजभवन पहुंचे थे, क्योंकि अजित पवार विधायक दल के नेता हैं.
शरद पवार ने भी शनिवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा-
“पार्टी की बैठक में उपस्थिति के लिए विधायकों के हस्ताक्षर लिए थे. यही लिस्ट अजित पवार ने राज्यपाल को विधायकों के समर्थन पत्र के रूप में सौंप दी.”
अजित पवार के बीजेपी को समर्थन करने के बाद जिस तरह से शरद पवार के खिलाफ शक का माहौल बना था, उसके बाद अजित पवार के खिलाफ कार्रवाई होना तय माना जा रहा था. अजित पवार पर एक्शन लेकर शरद पवार ने साफ कर दिया है कि बीजेपी को समर्थन देने के मामले से उनका कोई लेनादेना नहीं था और वह कांग्रेस और शिवसेना के साथ हैं.
दूसरा, विधायक दल के नेता के पद से अजित पवार को हटाकर शरद पवार ने ये सुनिश्चित किया है कि अब वे फ्लोर टेस्ट में अपने पद का दुरुपयोग न कर पाएं. अब सवाल ये है कि क्या अजित पवार को एनसीपी से भी निकाला जा सकता है? इस पर पार्टी नेताओं का कहना है कि अजित पवार का मामला अनुशासन समिति को भेज दिया गया है.
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