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सपा प्रदेश अध्‍यक्ष बनते ही एक्शन में शिवपाल, पार्टी में खलबली

उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव पारी की शुरुआत से ही धुआंधार बैटिंग कर रहे हैं

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उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव पारी की शुरुआत से ही धुआंधार बैटिंग कर रहे हैं. सोमवार को मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के सात बेहद करीबी नेताओं को उन्होंने पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया. इनमें से तीन विधान परिषद के सदस्‍य यानी एमएलसी हैं.

निकाले गए नेताओं के नाम हैं सुनील सिंह साजन (एमएलसी), आनन्द भदोरिया (एमएलसी), संजय लाठर (एमएलसी), मोहम्मद ऐबाद (प्रदेश अध्यक्ष, समाजवादी यूथ ब्रिगेड), ब्रजेश यादव (प्रदेश अध्यक्ष, समाजवादी युवजन सभा), गौरव दूबे (राष्ट्रीय अध्यक्ष समाजवादी यूथ ब्रिगेड) और दिग्विजय सिंह (प्रदेश अध्यक्ष, समाजवादी छात्र सभा).

इन सभी पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष (मुलायम सिंह यादव) के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी करने, पार्टी विरोधी गतिविधियां और अनुशासनहीनता का आरोप लगा है. इन सभी को छह साल के लिए पार्टी से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है. इसके बाद से पार्टी में भारी खलबली मच गई है.

इस्तीफों की बाढ़

शिवपाल के यूथ विंग पर कार्रवाई के बाद इस्तीफों की बाढ़ आ गई. मुलायम यूथ ब्रिगेड के सचिव अभय यादव ने अपने पद से इस्तीफा दिया, फिर लोहिया वाहिनी के अध्यक्ष, प्रदीप तिवारी ने भी प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया.

इसके अलावा इलाहबाद विश्वविद्यालय के बड़े छात्रनेता और अखिलेश के करीबी अभिषेक यादव ने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ दी. साथ ही यूथ नेता संतोष यादव, राजू यादव, राहुल सिंह, फैजाबाद के युवजन सभा जिलाध्यक्ष अनूप सिंह ने भी अपने अपने पदों से इस्तीफा दे दिया.



उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी अध्यक्ष शिवपाल सिंह यादव पारी की शुरुआत से ही धुआंधार बैटिंग कर रहे हैं
(फोटो: द क्विंट)
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अखिलेश के लिए बड़ा झटका

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की कोर टीम पर वार कर शिवपाल यादव ने अपनी अध्यक्षीय पारी का दूसरा छक्का मारा है. उनका पहला बडा शॅाट रविवार को लगा था, जब इन्होंने पार्टी के विधायक एमएलसी अरविन्द यादव को बाहर निकाल दिया था. अरविन्द यादव पार्टी के बड़े नेता रामगोपाल यादव के सगे भांजे हैं.

राजनैतिक गलियारों में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए इसे एक बड़ा झटका माना जा रहा है. पिछले साल दिसंबर में मुलायम सिंह यादव ने सुनील सिंह साजन, आनंद भदोरिया और संजय लाठर को पार्टी से निकाल दिया था. वक्त था सैफई महोत्सव का. इस फैसले से नाराज मुख्यमंत्री अखिलेश यादव पारिवारिक जश्न और जलसे से दूरी बना कर उद्घाटन समारोह में शरीक नहीं हुए थे. परिवार में फिर एक बैठक का दौर चला और उनके तीनों करीबियों के निष्कासन को वापस ले लिया गया, तब जाकर रूठे अखिलेश माने और उन्होंने सैफई महोत्सव में शिरकत की.

विपक्ष को मिला मुद्दा

पार्टी के भीतर प्रदेश अध्यक्ष पद पर आसीन शिवपाल के आक्रामक तेवर देखकर पार्टी में खलबली मची हुई है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का परेशान होना भी लाजमी है, लेकिन शिवपाल के फैसलों को पलटना उनके अख्तियार में नहीं है. जाहिर-सी बात है कि अब नेताजी यानी मुलायम सिंह यादव के सामने परिवार की एक और पंचायत जल्द बैठेगी.

लेकिन इन निष्कासनों का कारण मूलतः नेताजी के खिलाफ अपशब्द निकालने का है और इस लिए निकाले गए नेता उनसे रहम की उम्मीद कम ही रखेंगे.

समाजवादी पार्टी के भीतर मचे घमासान से विपक्ष को एक मुद्दा ही नहीं मिला है, बल्कि उनकी बांछें भी खिल गई हैं. अब सभी विपक्षी दल जल्द ही इस मुद्दे पर राजनैतिक रोटियां सेंकते नजर आ सकते हैं.

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