पंजाब के सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह ने रविवार को उन सारी अटकलों पर विराम लगा दिया जिसमें नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफा देने की बात कही जा रही थी. सीएम अमरिंदर ने कहा कि पर्यटन और संस्कृति मंत्री सिद्धू से इस्तीफा देने को कहने का कोई सवाल ही नहीं उठता था. दरअसल, 30 साल पुराने रोड रोज केस के मामले में विपक्ष सिद्धू पर लगातार हमलवार है और पिछले हफ्ते राज्य की अमरिंदर सरकार ने ही सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन हत्या के मामले में सजा को बनाए रखने का समर्थन किया था.
रोड रेज केस पर अमरिंदर की सफाई
कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि 30 साल पुराने केस में सुप्रीम कोर्ट में राज्य सरकार के महज अपना रूख दोहराने मात्र से मंत्री के इस्तीफा देने का सवाल नहीं पैदा हो जाता है. बता दें कि विपक्ष की इस्तीफे की मांग को लेकर खबरों में कहा गया था कि सिद्धू से इस्तीफा देने को कहा गया है. हालांकि , मुख्यमंत्री ने एक बार फिर से आशा जताई कि न्यायाधीश मामले का फैसला करने में समाज और देश के लिए सिद्धू के योगदान का संज्ञान लेंगे.
सुप्रीम कोर्ट में मंत्री का जानबूझ कर समर्थन नहीं करने की खबरों पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि जब तक अभियोजन को नया साक्ष्य नहीं मिल जाता , इसके लिए अपनी दलीलों में नयी चीज जोड़ना कानूनन संभव नहीं होगा.
क्या है मामला?
दिसंबर 1988 को सिद्धू की कार पार्किंग को लेकर एक बुजुर्ग शख्स गुरनाम सिंह से कहासुनी हो गई थी. धीरे-धीरे बात इतनी बढ़ गई मामला हाथापायी तक पहुंच गया. बुजुर्ग शख्स के साथ उसका एक रिश्तेदार भी था. जिसने आरोप लगाया था कि झड़प के दौरान सिद्धू ने उसके अंकल को धक्का दिया, जिसके बाद वो बेहोश गए.
बेहोश गुरनाम को अस्पताल ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई. इसके बाद सिद्धू के खिलाफ गैरइरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया. सिद्धू के साथ उनके साथ मौजूद उनके दोस्त रुपिंदर सिंह के खिलाफ भी केस दर्ज हुआ. 2006 में पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने सिद्धू और उनके दोस्त को दोषी मानते हुए 3 साल की सजा सुनाई. सिद्धू ने इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है.
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