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ड्रग्स केस में नवाब मलिक के दामाद को किस आधार पर बेल, कोर्ट ऑर्डर में क्या है?

Aryan Khan खान की तरह समीर खान के खिलाफ भी पुख्ता सबूत मिलने की बात NCB ने की थी

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मुंबई क्रूज ड्रग्स मामले में जहां आर्यन खान (Aryan Khan) की जमानत अर्जी फिर एक बार टल गई है, वहां दूसरी तरफ एनसीपी नेता और मंत्री नवाब मलिक (Nawab Malik) के दामाद समीर खान को साढ़े आठ महीनों बाद सबूत की कमी के कारण जमानत पर रिहा कर दिया गया. जिसे लेकर नवाब मलिक ने मुंबई नारकोटिक्स ब्यूरो (NCB) को फिर एक बार निशाने पर लिया.

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मलिक ने अपने दामाद समीर खान को फर्जी ड्रग्स केस में फंसाने का आरोप NCB पर लगाया है. हालांकि NCB ने समीर खान को मिली जमानत को रद्द करने के लिए बॉम्बे हाई कोर्ट में अर्जी दायर की है. जिसका मलिक ने स्वागत किया है और NCB के और कारनामे सामने लाने की चुनौती दी है.

एक प्रेस कांफ्रेंस में मलिक ने कोर्ट की जमानत ऑर्डर के साथ कुछ सबूत भी पेश किए. समीर खान को 13 जनवरी 2021 को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था. 27 सितंबर 2021 को समीर और अन्य दो लोगों को जमानत मंजूर हुई. लेकिन साढ़े आठ महीने जेल में रखने के बाद कोर्ट ने आखिर किन आधारों पर जमानत दी, आइये देखते है.

बेल ऑर्डर में क्या है ?

12 अक्टूबर को कोर्ट के पोर्टल पर अपलोड हुई बेल ऑर्डर में कहा गया है कि कार्रवाई के दौरान बरामद किए 194.265 किलोग्राम कथित प्रतिबंधित सामग्री की केमिकल जांच की गई. केमिकल एनालिसिस (CA) रिपोर्ट के मुताबिक इसमे 18 में से 11 सैम्पल्स नेगेटिव पाए गए. 1199.5 ग्राम के पदार्थ पॉजिटिव मिले जो निसंदेह कमर्शियल क्वांटिटी से कम है.

इसके अलावा संदिग्ध ने बयान में मान लिया है कि वो तंबाखू और निकोटिन से जुड़े पदार्थो के व्यापार में होने के कारण इसके पीछे आपराधिक मानसिकता, इरादा, तैयारी या किमीशन लेने हेतु प्रथम दृष्टया आरोप लगाना मुश्किल है.

इसीलिए समीर खान की 50 हजार रुपये की बॉन्ड पर जमानत मंजूर की गई. साथ ही उन्हें हर सुनवाई में कोर्ट में पेश होने और कोर्ट की इजाजत के बिना मुंबई ना छोड़ने के आदेश दिए है.

बता दे कि NCB ने समीर खान को भी एक बड़े ड्रग्स कार्टेल में शामिल होने के आरोपों के तहत गिरफ्तार किया था. समीर के व्हाट्सएप चैट्स, घर और दफ्तर में कई छापेमारी में कई अहम सुराग मिलने का दावा किया गया था. इसी आधार पर NCB ने कोर्ट में समीर के जमानत अर्जी को कड़ा विरोध किया. उनकी दलील थी कि समीर एक प्रभावशाली व्यक्ति के रिश्तेदार होने के चलते सबूतों से छेड़छाड़ और गवाहों पर दबाव डाल सकते है. हालांकि जमानत अर्जी की सुनवाई में NCB अपने दलीलों को साबित करने में विफल रही.

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