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आजम खान को तो सजा मिल गई, लेकिन हेट स्पीच के आरोपियों की लिस्ट लंबी

Azam khan hate speech case: आजम खान को कोर्ट ने तीन साल की सजा सुनाई है, उनकी विधायकी भी जा सकती है

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समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और रामपुर से विधायक आजम खान को MP-MLA कोर्ट ने 3 साल की जेल की सजा सुनाई है. आजम खान के अलावा कोर्ट ने 2 अन्य लोगों को भी सजा सुनाई है और 2000 रुपए का जुर्माना लगाया है. हालांकि, आजम खान को जमानत मिल गई है. जमानत मिलने पर आजम खान ने कहा कि “मैं इंसाफ का कायल हो गया”. सवाल है कि कानून के मुताबिक क्या अब आजम की विधायकी पर भी खतरा पैदा हो गया और सवाल ये भी है कि आजम खान के अलावा देश में हेट स्पीच देने वाले नेताओं की एक लंबी जमात है, जिसमें विधायक, सांसद से लेकर केंद्रीय मंत्री तक शामिल हैं, क्या उन्हें भी सजा मिलेगी?

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हेट स्पीच को लेकर देश का सर्वोच्च न्यायालय सुप्रीम कोर्ट भी अपनी चिंता जाहिर कर चुका है. कुछ दिन पहले ही हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख टिप्पणी की. जस्टिस केएम जोसफ ने कहा कि “यह 21वीं सदी है. हम धर्म के नाम पर कहां आ पहुंचे हैं? हमें एक धर्मनिरपेक्ष और सहिष्णु समाज होना चाहिए, लेकिन आज घृणा का माहौल है. सामाजिक तानाबाना बिखरा जा रहा है. हमने ईश्वर को कितना छोटा कर दिया है. उसके नाम पर विवाद हो रहे हैं.”

क्या कहती है ADR की रिपोर्ट?

ADR की रिपोर्ट (2018) में देश के 58 विधायक और सांसदों ने खुलासा किया कि उनके ऊपर नफरत फैलाने वाले भाषण देने के मामले दर्ज हैं. इनमें बीजेपी नेताओं की संख्या सबसे अधिक है. रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा के 15 मौजूदा सदस्यों ने अपने खिलाफ नफरत फैलाने वाले भाषण को लेकर मामला दर्ज होने की बात स्वीकारी है. इनमें से 10 लोकसभा सांसद बीजेपी से ताल्लुक रखते हैं, जबकि एक-एक सांसद AIUDF, TRS, PMK, AIMIM और शिवसेना से हैं. 2018 की ADR रिपोर्ट में कहा गया था कि बीजेपी के 27, AIMIM और TRS के 6-6, TDP और शिवसेना के 3-3, TMC, कांग्रेस और JDU के 2-2, AIUDF, BSP, DMK, PMK और SP के 1-1 सांसदों और विधायकों पर हेट स्पीच से जुड़े मामले दर्ज हैं.

जानिए कब किसने क्या भड़काऊ भाषण दिए?

अक्टूबर 2022

दिल्ली में विश्व हिंदू परिषद ने एक कार्यक्रम आयोजित किया था. इसमें बीजेपी सांसद परवेश वर्मा ने भाषण दिया था और एक समुदाय विशेष को निशाना बनाया था. उन्होंने विशेष समुदाय के लोगों की दुकानों, रेहड़ी से सामान ना लेने और पूर्ण बहिष्कार करने की अपील की थी. इस दौरान गाजियाबाद के लोनी विधानसभा से बीजेपी विधायक नंदकिशोर गुर्जर ने भी विवादित बयान दिया था. उन्होंने दादरी में मारे गए अखलाक को सुअर कहा और फिर कहा-हमें जेहादियों को मारना होगा.

इस महीने की शुरुआत में पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बीजेपी नेता संगीत सोम ने विवादित बयान दिया था. संगीत सोम ने कहा था कि "जिस तरह एक वर्ग की आबादी बढ़ती जा रही है, जिस तरह से आतंक फैलता जा रहा है, ऐसे में राजपूत समाज को फिर से शस्त्र उठाने पड़ेंगे. सोम साल 2013 में मुजफ्फरनगर में हुए दंगों के अभियुक्त भी हैं.

जून 2022

तेलंगाना के बीजेपी विधायक राजा सिंह ने पैगंबर मोहम्मद पर एक विवादित बयान दिया था. उनके बयान के खिलाफ हैदराबाद में धार्मिक भावनाएं आहत करने का केस दर्ज किया गया था. राजा सिंह का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसे लेकर मुस्लिम समुदाय ने राजा सिंह की गिरफ्तारी की मांग की थी. राजा सिंह को गिरफ्तार किया गया था. बीजेपी ने उन्हें निलंबित कर दिया था, लेकिन पार्टी से बाहर का रास्ता नहीं दिखाया.

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मई 2022

बीजेपी प्रवक्ता नुपुर शर्मा ने पैगंबर मोहम्मद पर विवादित बयान दिया था. इनके साथ ही दिल्ली बीजेपी के मीडिया प्रमुख रहे नवीन जिंदल ने भी मुसलिम समुदाय को लेकर आपत्तिजनक बयानबाजी की थी. इसके बाद मुसलिम समुदाय ने जोरदार प्रदर्शन किए थे, और बीजेपी को नुपूर और नवीन को पार्टी से बाहर निकालना पड़ा था, लेकिन उनकी गिरफ्तारी नहीं हुई थी.

मई के महीने में ही तेलंगाना बीजेपी के अध्यक्ष बंडी संजय कुमार ने मुसलमानों के खिलाफ नफरती बयानबाजी करते हुए कहा था कि जब पूरी तरह राम राज्य आ जाएगा तो उर्दू भाषा को बैन कर दिया जाएगा. उन्होंने देश में हुए बम धमाकों के लिए मदरसों को जिम्मेदार ठहराया था.

अगस्त 2021

दिल्ली बीजेपी के पूर्व प्रवक्ता और सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय ने 'औपनिवेशिक युग के कानूनों के खिलाफ' एक रैली आयोजित की थी. इसमें समान नागरिक संहिता का समर्थन किया गया था. लेकिन, इस रैली में मुसलमानों के खिलाफ भड़काऊ नारे लगाए गए थे. इस मामले में बवाल मचने के बाद आयोजकों ने खुद को इससे अलग कर लिया था.

फरवरी 2020

फरवरी, 2020 में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ दिल्ली के जाफराबाद में प्रदर्शन के दौरान बीजेपी नेता कपिल मिश्रा का वीडियो सामने आया था. कपिल मिश्रा ने पुलिस से कहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के जाने के बाद हम आपकी भी नहीं सुनेंगे. ट्रंप जिस दिन भारत आए थे, उसी दिन हिंसा भड़क गई थी. आज भी कपिल मिश्रा आजाद हैं.

जनवरी 2020

नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ साल 2019 के आखिर में और 2020 की शुरुआत में देश के कई शहरों में जोरदार प्रदर्शन हुए थे. इस दौरान दिल्ली विधानसभा के चुनाव भी हो रहे थे. तभी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर की जनसभा में देश के गद्दारों को, 'गोली....मा...सा...को…' वाला नारा लगा था. इसकी जमकर आलोचना हुई थी. लेकिन कानून से सजा नहीं मिली. इसके अलावा सांसद परवेश वर्मा ने शाहीन बाग में नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणियां की थीं. परवेश वर्मा ने कहा था कि ये लोग आपके घरों में घुसेंगे, बहन-बेटियों से रेप करेंगे.  

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