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बिहार महागठबंधन टूट के कगार पर? अब मांझी के कड़वे बोल

लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद महागठबंधन में उठा सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है.

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लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद महागठबंधन में उठा सियासी तूफान थमने का नाम नहीं ले रहा है. अब महागठबंधन में शामिल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) के प्रमुख और बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने गुरुवार को साफ-साफ कहा कि 2020 में होने वाले बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन का नेता अभी तक तय नहीं हुआ है. उन्होंने कहा कि तेजस्वी प्रसाद यादव आरजेडी के नेता हो सकते हैं लेकिन वो अभी महागठबंधन के नेता नहीं हैं.

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सीएम पद की उम्मीदवारी भी तय नहीं: मांझी

पटना में मांझी ने कहा कि बिहार विधानसभा चुनाव के लिए अभी नेता या महागठबंधन की ओर से मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार तय नहीं हुआ है.महागठबंधन में शमिल सभी दलों के नेता बैठकर इस पर निर्णय लेंगे.2020 का विधानसभा चुनाव तेजस्वी के नेतृत्व में लड़े जाने के सवाल पर उन्होंने कहा, "तेजस्वी आरजेडी के नेता हो सकते हैं. सभी दल के अपने नेता होते हैं परंतु वे महागठबंधन के नेता नहीं हो सकते."

महागठबंधन की बैठक में कांग्रेस नहीं हुई शामिल

बता दें कि लोकसभा चुनाव में हार के बाद पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी के आवास पर आरजेडी की समीक्षा बैठक हुई थी, जिसमें ये तय हुआ है कि तेजस्वी नेता बने रहेंगे. लेकिन इस बैठक में कांग्रेस का कोई नेता शामिल नहीं हुआ. ये मीटिंग बिहार की पूर्व सीएम और लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के घर पर हुई.

'एकला चलो रे' की राह पर कांग्रेस

लोकसभा चुनाव में वोट प्रतिशत के मामले में कांग्रेस, आरजेडी और बीजेपी समेत कई दलों से भले ही पीछे रह गई हो, लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस की स्ट्राइक रेट आरजेडी से बेहतर है. इस चुनाव में 19 सीटों पर लड़ने वाली आरजेडी एक भी सीट नहीं जीत सकी, लेकिन कांग्रेस ने 9 सीटों पर अपने उम्मीदवार को उतारकर किशनगंज सीट पर जीत हासिल की है. यही एकमात्र सीट है, जो इस चुनाव में महागठबंधन जीत सकी है. वरिष्ठ कांग्रेसी और बिहार विधानसभा में कांग्रेस के नेता सदानंद सिंह ने गठबंधन से अलग होकर कांग्रेस को चुनाव में उतरने की सलाह देते हुए साफ कहा है, "पार्टी को बैसाखी से उबरना होगा. अपनी धरातल, अपनी जमीन को तो मजबूत करना ही होगा." महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर नाइंसाफी पर सिंह कहते हैं, "महागठबंधन में कमियां तो थीं ही, कांग्रेस को भी कम सीटें मिली हैं. समझौता समय से पहले नहीं हो पाया."

कांग्रेस की बिहार इकाई के पूर्व अध्यक्ष अनिल शर्मा भी कहते हैं, "ये मेरी पुरानी मांग है. मैं तो 1998 से ही इसका प्रयास कर रहा हूं. मेरा मानना है कि कांग्रेस बिहार में अकेले बेहतर प्रदर्शन कर सकती है."

बिहार कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यपाल निखिल कुमार भी कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ने का समर्थन करते हुए कहते हैं कि महागठबंधन में सीटों के बंटवारे, टिकट बांटने और प्रचार अभियान में कमी रही. उन्होंने साफ कहा कि अगले साल राज्य में होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अकेले अपने दम पर चुनाव लड़ना चाहिए. इधर, कांग्रेस के एक नेता ने तो नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि गठबंधन एक विचारधारा वाले दलों के बीच हो सकता है, लेकिन आरजेडी या महागठबंधन में शामिल बाकी दल कांग्रेस की विचारधारा से अलग हैं.

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