केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (FM Nirmala Sitharaman) ने बुधवार को केंद्रीय बजट 2023 (Budget 2023) पेश किया. खास बात है कि वित्त मंत्री के इस बजट भाषण में देश के सिर्फ दो राज्यों का जिक्र था- कर्नाटक और तेलंगाना. संयोग से कर्नाटक और तेलंगाना ही वे दो दक्षिणी राज्य हैं जहां इस साल विधानसभा चुनाव होने हैं. जहां केंद्र सरकार ने अपने बजट में मध्य कर्नाटक में सिंचाई के लिए 5,300 करोड़ रुपये आवंटित किए हैं वहीं हैदराबाद को बाजरे की खेती और मार्केटिंग के लिए प्रोत्साहन मिलने की उम्मीद है.
इस चुनावी साल में इन दो राज्यों के लिए इस बजट के क्या मायने हैं? समझने की कोशिश करते हैं.
मध्य कर्नाटक ही क्यों? हिंदुत्व के गढ़ को बीजेपी और मजबूत करेगी?
भाषण में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने साफ-साफ कहा कि बजट आवंटन सूखा के बार-बार प्रभावित होने वाले मध्य कर्नाटक में सिंचाई के विकास के लिए है, जिसमें तुमकुरु, दावणगेरे, हावेरी, चित्रदुर्ग, शिवमोग्गा, रायचूर और कोप्पल जिले शामिल हैं.
सरकार ने इन जिलों में निवेश क्यों बढ़ाया? ध्यान रहे कि मध्य कर्नाटक के इन जिलों ने 2018 के चुनावों में बीजेपी का साथ दिया. इन जिलों की विधानसभा सीटों पर 30 विधायक भगवा पार्टी के हैं, जबकि कांग्रेस के 13 विधायक और JD(S) के पांच विधायक हैं.
यानी मध्य कर्नाटक के लिए विशेष बजट अलॉट कर बीजेपी अपने इस गढ़ को और मजबूत कर सकती है.
उदाहरण के लिए मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई के गृह जिला हावेरी में 2018 में बीजेपी छह में से पांच सीटें जीती थीं. ट्विटर पर सीएम बोम्मई ने बजट जारी होने के तुरंत बाद सपोर्ट के लिए निर्मला सीतारमण और केंद्र सरकार को धन्यवाद दिया. कर्नाटक में विधानसभा चुनाव तीन महीने के भीतर होने की उम्मीद है.
इसी मध्य कर्णाटक में आने वाले एक अन्य जिला शिवमोग्गा में कांग्रेस जहां एक सीट जीती थी वहीं बीजेपी के हिस्से पांच सीटें आईं थीं. यह हिला हिंदुत्व की राजनीति का केंद्र रहा है. हिजाब विवाद से लेकर कथित राजनीतिक हत्या तक से जिले में सरगर्मी बढ़ी हुई है.
लेकिन इस बजट वाले सपोर्ट से कौन से विधायक फायदा उठाएंगे?
बोम्मई को मुख्यमंत्री के रूप में और शिगगांव निर्वाचन क्षेत्र से एक प्रतिनिधि के रूप में फायदा मिलेगा. साथ ही बीजेपी के कद्दावर नेता बीएस येदियुरप्पा, अरागा ज्ञानेंद्र और केएस ईश्वरप्पा भी, जो शिवमोग्गा से चुने गए प्रतिनिधि हैं, लाभ उठा सकते हैं.
बीएस येदियुरप्पा और केएस ईश्वरप्पा, दोनों ऐसे नेता हैं जिन्होंने शिवमोग्गा और पूरे राज्य में बीजेपी के विकास को देखा जबकि गृह मंत्री ज्ञानेंद्र को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) का समर्थन प्राप्त है. हावेरी जिले से चुने गए कृषि मंत्री बी.एस. पाटिल भी मध्य कर्नाटक के लिए अलग से बजट देने के केंद्र के फैसले की शेखी बघार सकते हैं.
इस तरह मध्य कर्नाटक के लिए विशेष बजट, बीजेपी के पारंपरिक वोटों को बनाए रखने में मदद कर सकता है. बीजेपी के लिए परेशानी यह है कि यह क्षेत्र भ्रष्टाचार और विफल शासन पर केंद्रित कांग्रेस के चुनावी अभियानों के कारण व्यापक रूप से सत्ता विरोधी भावना से जूझ रहा है.
बजट में हैदराबाद का जिक्र, लेकिन क्या तेलंगाना फोकस में नहीं है?
बजट भाषण के अनुसार, हैदराबाद स्थित भारतीय बाजरा अनुसंधान संस्थान/ Indian Institute of Millet Research देश में बाजरा की खेती के लिए केंद्र सरकार के प्रयास का हिस्सा होगा. बजट में इस अनुसंधान संस्थान को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसकी खेती दे जुड़ीं सबसे अच्छी प्रथाओं, रिसर्च और टेक्नोलॉजी को शेयर करने के लिए उत्कृष्टता केंद्र घोषित किया गया था.
इसे तेलंगाना के लिए नाममात्र के समर्थन के रूप में देखा जा सकता है, जो एक ऐसा राज्य है जहां बीजेपी अपना वोट और सीट शेयर बढ़ाने के लिए जी-तोड़ कोशिश कर रही है. हालांकि, बजट यह संकेत देता है कि बीजेपी के समीकरण में जिस तरह की अहमियत कर्नाटक को है, उससे तेलंगाना दूर है.
तेलंगाना में, भारत राष्ट्र समिति/BRS ( एक क्षेत्रीय पार्टी जिसे हाल तक तेलंगाना राष्ट्र समिति कहा जाता था) का अभी भी पलड़ा भारी है और प्रतीत होता है कि बीजेपी का राज्य नेतृत्व अपने केंद्रीय नेताओं को यह समझाने में विफल रहा है कि पार्टी यहां बढ़त बना सकती है.
तेलंगाना में विधानसभा चुनाव 2023 के अंत तक होने की उम्मीद है. हालांकि, राज्य में बीजेपी नेताओं ने कहा कि तेलंगाना पर केंद्र सरकार चुनाव करीब आने पर विशेष ध्यान दे सकती है. बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने क्विंट को बताया कि बजट आवंटन के अलावा राज्य को एकमुश्त अनुदान आवंटित किया जा सकता है.
उन्होंने साथ ही यह भी कहा कि तेलंगाना में पार्टी के लिए केवल चुनाव ही प्राथमिकता नहीं है, यहां पार्टी को विकसित करने का दीर्घकालिक एजेंडा चल रहा है.
दूसरी तरफ कर्नाटक के विपरीत बजट में तेलंगाना के लिए प्रमुख घोषणाओं की गैर-मौजूदगी ने BRS को अपरहैंड दिया है, जिसका कहना है कि केंद्र ने राज्य की उपेक्षा की है क्योंकि यह राज्य विपक्षी पार्टी द्वारा शासित है.
शायद, बजट बीजेपी की प्राथमिकता को स्पष्ट करता है- वह सबसे पहले कर्नाटक में फिर से वापसी को पुख्ता करना चाहती है और उसके बाद वह तेलंगाना चुनाव में संभावित प्रगति करना चाहती है.
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