यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सहारनपुर की घटना को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए मंगलवार रात 4 वरिष्ठ अधिकारियों को मौके पर रवाना करने का निर्देश दिया.
यूपी सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि 4 वरिष्ठ अधिकारियों के दल को सहारनपुर पहुंचने का निर्देश देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ये अधिकारी शांति बहाली सुनिश्चित करेंगे.
प्रवक्ता ने बताया कि दल में गृह सचिव मणि प्रसाद मिश्रा, अपर पुलिस महानिदेशक (कानून व्यवस्था) आदित्य मिश्रा, महानिरीक्षक एसटीएफ अमिताभ यश और डीजी (सुरक्षा) विजय भूषण शामिल हैं.
योगी ने घटना में मृत युवक के लिए शोक जाहिर की है और कहा कि दोषियों की पहचान कर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. इस मामले में जो लापरवाही हुई है, उसे लेकर संबंधित अधिकारियों को दंड भी दिया जाएगा.
मुख्यमंत्री ने धैर्य और संयम बनाये रखने के साथ-साथ विपक्षी दलों सहित सभी से शांति बहाली में सहयोग की अपील की है. उन्होंने कहा कि सरकार सबकी है. जाति, पंथ, मजहब के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा.
प्रदेश के उर्जा मंत्री और सरकार के प्रवक्ता श्रीकांत शर्मा ने कहा कि ये अपेक्षा थी कि सहारनपुर में आज पूर्व मुख्यमंत्री के जाने से शांति बहाली में सहयोग मिलेगा लेकिन ऐसा ना होना दुखद है .
उन्होंने कहा कि सहारनपुर में शांति और सद्भाव का वातावरण बन चुका था लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री के पहुंचने पर तनाव और अशांति का माहौल बना और दुर्भाग्यपूर्ण घटना हो गयी जिसमें निर्दोष युवक मारा गया.
शर्मा ने कहा कि नई सरकार की उपलब्धियों से भरे दो महीने के कार्यकाल को विपक्षी पचा नहीं पा रहे हैं. करारी हार से निराश विपक्ष षडयंत्रकारी गतिविधियों में लग गया है. लेकिन सरकार विपक्ष के इस प्रकार के षडयंत्रों एवं नापाक मंसूबों को कामयाब नहीं होने देगी और जल्द ही ऐसे षडयंत्रकारियों को बेनकाब करेगी.
बता दें कि सहारनपुर में जातीय हिंसा रुकने का नाम नहीं ले रही है. मंगलवार को बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती के सहारनपुर दौरे के बाद एक बार फिर दलितों और राजपूतों के बीच हिंसक झड़प हुई जिसमें एक शख्स की मौत हो गई है और 4 लोग घायल हैं.
क्या है सहारनपुर हिंसा का मामला
5 मई को महाराणा प्रताप की जयंती के मौके पर शोभायात्रा निकाली जा रही थी. इस शोभायात्रा के दौरान डीजे बजाने से रोकने पर दलितों और ठाकुरों में झड़प हुई थी. झड़प के दौरान ठाकुर समाज के एक युवक की मौत हो गई थी. घटना के बाद दलितों के 60 से ज्यादा मकान और कई गाड़ियां जला दी गई थी.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)