द क्विंट एक्सक्लूसिव खबर:
- कांग्रेस के उपाध्यक्ष राहुल गांधी यूपी के देवरिया से दिल्ली तक 2500 किलोमीटर की पदयात्रा करेंगे.
- इस पदयात्रा के दौरान राहुल गांधी 2 करोड़ किसानों से मिलेंगे.
- पदयात्रा के लिए कांग्रेस का नारा- 27 साल यूपी बेहाल, किसानों का कर्जा माफ
क्या है देवरिया- दिल्ली किसान पदयात्रा?
यूपी में अपने पैर जमाने के लिए और वोट बैंक तलाशने में कांग्रेस कोई भी कसर बाकी नहीं छोड़ रही है. इसी कड़ी में कांग्रेस अब गैर- सांप्रदायिक विधानसभा क्षेत्रों के किसानों को टार्गेट करेगी.
पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी 6 सितंबर से यूपी के देवरिया से पदयात्रा शुरू करेंगे और दिल्ली में 2 अक्टूबर को एक रैली कर इसका समापन किया जाएगा.
यूपी में पिछली बार कांग्रेस ने सरकार 27 साल पहले 1989 में बनाई थी. 90 के दशक से ही राज्य में पार्टी का जनाधार कम होता गया और अब 2016 में पार्टी राहुल गांधी के नेतृत्व में खोई जमीन तलाशने में जुट गई है. हाल के चुनावों में कांग्रेस लीक से हटकर तकनीकी टूल्स के इस्तेमाल से बचती नजर आई है.
अब इस पदयात्रा के जरिए घर-घर राहुल गांधी दस्तक देंगे और तकरीबन 225 विधानसभा क्षेत्र कवर करेंगे.
पदयात्रा के पीछे की सोच क्या?
इस पदयात्रा का मकसद है किसानों की कर्ज माफी का मुद्दा उठाना. यात्रा के दौरान राहुल गांधी किसानों से मिलेंगे और पार्टी किसानों को एक पर्चा देगी. पर्चे का नाम- किसान मांग पत्र रखा गया है. इसपर किसान अपनी जानकारी साझा करेंगे और कर्ज राशि की जानकारी देंगे. फिर दिल्ली की रैली में ये सारे पर्चे मोदी सरकार को भेजे जाएंगे.
पार्टी ये दावा कर रही है कि अगर केंद्र सरकार ने किसानों का कर्ज माफ नहीं किया तो कांग्रेस सत्ता में आने के बाद एक स्कीम लॉन्च करेगी और किसानों का कर्ज माफ करेगी.
इस पर्चे का एक हिस्सा किसानों के पास रहेगा. ये सारी जानकारी सिर्फ द क्विंट के पास मौजूद है.
प्रशांत किशोर प्लान
ये पूरी स्ट्रैटजी प्रशांत किशोर ने तैयार की है. प्रशांत किशोर ने ही 2014 लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का इलेक्शन कैंपेन डिजाइन किया था. बिहार में नीतीश कुमार की सरकार बनाने में भी प्रशांत किशोर की रणनीति कामयाब साबित हुई थी. अब किशोर पंजाब और यूपी में कांग्रेस की चुनावी रणनीति संभाल रहे हैं.
आंकड़ों में प्लान पर एक नजर:
कांग्रेस के अनुमान के मुताबिक यूपी में एक किसान पर तकरीबन 27, 300 रुपए का कर्ज है. जिसका मतलब है कि कर्जमाफी की राशि 50 हजार करोड़ के आसपास होगी. कांग्रेस का हर नेता ये झोला अपने पास रखेगा और किसानों में बांटेगा.
कर्जमाफी का मुद्दा पहले भी फायदेमंद
दरअसल कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने 2009 लोकसभा चुनावों से पहले भी किसानों की कर्जमाफी स्कीम को अमली जामा पहनाया था. 52, 300 करोड़ रुपए की इस स्कीम से तकरीबन 3.7 करोड़ किसानों को फायदा हुआ था. माना जाता है कि इस स्कीम ने कांग्रेस को वापस सत्ता में आने में काफी मदद की थी.
अब गावों में बढ़ते असंतोष को भांपते हुए कांग्रेस इसी को दोहराना चाहती है. ये मुमकिन है कि सालों पुरानी इस पार्टी को इन्हीं किसानों के बीच अपना नया वोट बैंक मिल जाए जिसकी ये सालों से तलाश कर रही है.
जानकार बताते हैं कि ज्यादातर कर्जदार किसान या तो ओबीसी हैं या दलित. और यूपी में ओबीसी और दलितों की तादाद आधी आबादी से ज्यादा है.
कांग्रेस की नजर छोटे और सीमांत किसानों पर
जानकारों की मानें तो अगर कांग्रेस इस सेक्शन में किसी एक को भी रिझाने में कामयाब हो गई तो ये गेम चेंजर हो सकता है. ऊपर से पार्टी पहले से ब्राह्मणों को रिझाने की रणनीति पर काम कर रही है.
झोले में है मेगा- प्लान
प्रशांत किशोर के प्लान के मुताबिक, कांग्रेस वर्कर्स राज्य भर में घूम-घूमकर किसानों को दो स्टीकर बांटेंगे. एक स्टीकर मोबाइल हैंडसेट के लिए होगा और दूसरा घर के लिए होगा. किसानों से कहा जाएगा कि वो दिए नंबर पर मिस कॉल दें और राहुल गांधी का एक रिकॉर्डेड मैसेज उनके फोन पर भेजा जाएगा. मैसेज में राहुल का कर्जमाफी का वादा होगा.
कांग्रेस पार्टी जमीनी सक्रियता के लिए नहीं जानी जाती है और इसलिए इस प्लान को अमल में लाना काफी बड़ा चैलेंज होगा. कांग्रेस के सूत्र बताते हैं कि राहुल गांधी यूपी चुनाव में पार्टी की तस्वीर बदलना चाहते हैं और पार्टी संगठन इसमें कोई कोर- कसर बाकी नहीं रखेगी. इस पदयात्रा से कांग्रेस के संगठन की ताकत का भी आकलन किया जा सकेगा.
(क्विंट हिन्दी, हर मुद्दे पर बनता आपकी आवाज, करता है सवाल. आज ही मेंबर बनें और हमारी पत्रकारिता को आकार देने में सक्रिय भूमिका निभाएं.)