युवा नेता हार्दिक पटेल (Hardik Patel) ने पार्टी के साथ अपना असंतोष व्यक्त करने के महीनों बाद बुधवार, 18 मई को कांग्रेस छोड़ने के अपने फैसले की घोषणा की.
इस महीने की शुरुआत में, पटेल ने अपने ट्विटर बायो से 'कांग्रेस' को हटा दिया था, जो इशारा कर रहा था कि वो पार्टी छोड़ने के मूड में हैं. इसका मतलब यह हुआ कि उनके इस्तीफे से कोई आश्चर्य या सदमा नहीं लगा है. लेकिन, कांग्रेस के कई सदस्यों ने पार्टी के भीतर पटेल की राजनीतिक गति पर निराशा व्यक्त की है.
द क्विंट से बात करते हुए गुजरात कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया ने कहा कि पटेल एक आसान और आरामदायक जीवन की तलाश में कांग्रेस में आए थे, लेकिन उन्हें यह नहीं मिला.
उन्होंने कहा कि जब वह कांग्रेस में शामिल हो रहे थे, मैंने व्यक्तिगत रूप से उन्हें युवा कांग्रेस से शुरुआत करने, वहां कुछ साल बिताने और फिर ऊपर की ओर काम करने की सलाह दी थी. लेकिन, उन्हें इसमें कोई दिलचस्पी नहीं थी.
मोढवाडिया ने कहा कि ऐसा इसलिए है, क्योंकि वह उम्मीद कर रहे थे कि वह बस एक आरामदायक जीवन जीएंगे और अपने कार्यकाल का आनंद उठाएंगे. लेकिन, राजनीति कड़ी मेहनत मांगती है.
राज्यसभा सदस्य और गुजरात कांग्रेस के नेता शक्ति सिंह गोहिल ने दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए कहा कि पटेल के इस्तीफे पत्र में उनके शब्द नहीं हैं, बल्कि बीजेपी की ओर से लिखे गए थे.
हार्दिक पटेल की विचारधारा कांग्रेस की नहीं थीः कांग्रेस नेता
वहीं, पूर्व सांसद और गुजरात कांग्रेस नेता राजू परमार ने कहा कि यह एक वैचारिक दिवालियापन को दर्शाता है. परमार ने आगे कहा कि यदि आप राम मंदिर जैसे मौलिक वैचारिक मुद्दों पर कांग्रेस से असहमत हैं, तो आप स्पष्ट रूप से कभी भी कांग्रेस के सदस्य नहीं थे. कांग्रेस में शामिल होने के दौरान उन्हें अपनी वैचारिक आत्मीयता स्पष्ट करनी चाहिए थी.
परमार ने द क्विंट को बताया कि जहां तक शिकायतों का सवाल है, वह राहुल गांधी से कई बार मिल चुके हैं. वह इन मुद्दों के बारे में पार्टी के सदस्यों के साथ आंतरिक रूप से बात कर सकते थे, इस तरह सार्वजनिक रूप से क्यों फटकार लगाते हैं?
कांग्रेस पार्टी में अलग-थलग महसूस कर रहे थे पटेलः हार्दिक पटेल के सहयोगी
हालांकि, पटेल के करीबी सहयोगी बताते हैं कि उनकी घटती जन अपील का उन पर लगाए गए कई प्रतिबंधों के कारण था, जिन पर उनके आंदोलन के दिनों से कई मामलों का आरोप लगाया गया था.
पटेल के एक करीबी ने कहा कि उनके खिलाफ 30 से ज्यादा मामले दर्ज हैं. इनमें से एक मामला देशद्रोह का भी है.
वहीं, हार्दिक पटेल के सहयोगियों ने कहा कि वह कांग्रेस पार्टी के भीतर अलग-थलग महसूस कर रहे थे.
हार्दिक पटेल ने अपने इस्तीफे में क्या लिखा?
हार्दिक ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को अपने इस्तीफे में लिखा कि मैंने 3 सालों में पाया कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ विरोध की राजनीति तक सीमित रह गई है, जबकि देश को विरोध नहीं, एक ऐसा विकल्प चाहिए जो उनके भविष्य के बारे में सोचता हो. देश को आगे ले जाने की क्षमता हो.
हार्दिक ने पार्टी छोड़ने के पीछे वजह बताते हुए लिखा है कि मैं जब भी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मिला तो लगा कि नेतृत्व का ध्यान गुजरात के लोगों और पार्टी की समस्याओं को सुनने से ज्यादा अपने मोबाइल और बाकी चीजों पर रहा.
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