बात उस समय की है जब ऊना जिला से संबंध रखने वाले एक कांग्रेस के विधायक अचानक बीमार हो गए और चंडीगढ़ में एडमिट थे. इस बात का पता सुखविंदर सिंह सुक्खू को लगा था तो उन्होंने तुरंत चंडीगढ़ जाने का फैसला किया. उस समय ही प्रदेश में कोरोना को लेकर कई बंदिशें लगी हुई थी. तब सुक्खू का ड्राइवर छुट्टी पर था. लिहाजा सुक्खू ने जैसे तैसे एक ड्राइवर अरेंज किया, जिनका नाम है योगेश राजपूत
योगेश जिला चंबा के रहने वाले हैं और तब शिमला में टैक्सी चलाते थे. योगेश को सुक्खू ने बुलाया और गाड़ी चंडीगढ़ ले जाने की बात कही.
योगेश कहते हैं पूरे रास्ते में सुक्खू ने बीच-बीच में उनसे बात की, लेकिन उनकी बातों से ऐसा लगा कि वो नेता कम और हमारी तरह आम इंसान ज्यादा है. उनमें कोई VVIP वाली झलक नहीं थी.
योगेश ने आगे बताया कि इसके बाद वे चंडीगढ़ स्थित हिमाचल भवन में पहुंच गए, तो उन्होंने सारा सामान उतार दिया. जैसे ही सुक्खू ने चेक इन किया तो वहां पर मौजूद स्टाफ से पूछा कमरा नंबर क्या है ? स्टाफ ने कमरा बता दिया. तो एक दम से सुक्खू जी ने स्टाफ से पूछा कि ‘बताओ भाई ड्राइवर के लिए कहां है बंदोबस्त’ इस पर स्टाफ ने कहा ‘सर डोरमेट्री में व्यवस्था है’. लेकिन जैसे ही सुक्खू ने ये जवाब सुना तो उन्होंने कहा कि
देखिए ‘यह हमारे सारथी हैं अगर यह हैं तो हम हैं अन्यथा नहीं हैं. इन्हें कमरा दीजिए और हम डोरमेट्री में सो जाएंगे'.
यह बात सुनकर स्टाफ भी चकित रह गया. इसके बाद स्टाफ ने कुछ ही मिनटों में ड्राइवर के लिए अलग कमरे की व्यवस्था की. यह किस्सा छोटा जरूर है, लेकिन आम आदमी की नजर से सोचें तो राजनेता का ये प्यार बहुत बड़ा है. किस्सा प्रेरणादायक है और संवेदना से भरा है. योगेश कहते हैं कि उन्हें यह किस्सा जिंदगी भर याद रहेगा
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