हिमाचल प्रदेश (Himachal Pradesh) में सुक्खू सरकार ने ‘सुख की सरकार’ नारा तो दे दिया, लेकिन अभी ना महंगाई थमती दिख रही है और ना ही OPS के अलावा कोई अन्य नारा. वहीं जनता को बजट पर सुख बरसने की आस थी, जिस पर खुद सुक्खू ने सवाल खड़ा कर दिया है. सीएम सुक्खू ने खुद कहा है कि हिमाचल पर 75 हजार करोड़ नहीं बल्कि 91 हजार करोड़ रुपए का कर्ज है और सुक्खू सरकार अब और लोन लेने जा रही है और इसको लेकर एक अधिसूचना भी जारी कर दी है.
"पिछली सरकार जिम्मेदार"
अब तक तो सब यही सोच रहे थे कि प्रदेश पर 75 हजार करोड़ का कर्ज हैं लेकिन सीएम सुक्खू ने तब सबको चौंका दिया, जब उन्होंने कहा कि ये कर्ज 75 हजार करोड़ नहीं बल्कि 91 हजार करोड़ है और इसकी जिम्मेदार पिछली सरकार है.
पिछली सरकार ने हमें 75 हजार करोड़ का कर्ज दहेज के रूप में दिया है. 5 हजार करोड़ उसके हैं, जो बेवजह संस्थान खोल दिए गए और बाकी सरकारी कर्मचारियों की देनदारियां हैं. छठे वेतन आयोग के मुताबिक सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों का 11 हजार करोड़ का एरियर है.सुखविंदर सिंह सुक्खू, सीएम, हिमाचल प्रदेश
पूर्व सीएम ने किया हमला
जब सीएम सक्खू ने कर्मचारियों और अधिकारियों के 11 हजार करोड़ एरियर को कर्ज का हिस्सा बताया तो जयराम ठाकुर भी भड़क उठे. जयराम ठाकुर ने ट्वीटर पर खूब भड़ास निकाली. उन्होंने एक के बाद एक पांच ट्वीट किए, जिसमें उन्होंन लिखा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू बार-बार 11 हजार करोड़ का राग अलाप रहे हैं और इसे कर्ज में जोड़ रहे हैं, जोकि बिल्कुल गलत है. जब हम सत्ता में आए थे तो हमें पूर्व कांग्रेस सरकार की लायबिलिटीओं को देना पड़ा था, जो हमने अदा किया था. शायद वर्तमान सरकार को यह सरल कैलकुलेशन समझ नही आ रहा है.
प्रदेश के हालातों पर जयराम ठाकुर ने जताई चिंता
जयराम ठाकुर ने अपने एक अन्य ट्वीट में हिमाचल प्रदेश के हालातों पर चिंता जताई है. उन्होंने सीएम के श्रीलंका जैसे हालातों के बयान पर पलटवार किया है. जयराम ठाकुर ने लिखा कि मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू जी कह रहे हैं कि हिमाचल प्रदेश में श्रीलंका जैसे हालात हो जाएंगे, अगर श्रीलंका जैसे हाल हो जाएंगे तो उसके लिए सबसे बड़ी जिम्मेदार कांग्रेस है.
और कर्ज लेने की तैयारी में सरकार
हिमाचल प्रदेश हजारों करोड़ के घाटे में चल रहा है लेकिन इस कर्ज से प्रदेश को उबारने के लिए सरकार और कर्ज लेने की तैयारी में है और इसको लेकर अधिसूचना भी जारी हो गई है. दरअसल सुक्खू सरकार ने हाल ही में शीतकालीन सत्र में भी हिमाचल राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संसोधन) अधिनियम 2023 पारित किया था.
अधिनियम के मुताबिक राज्य सरकार सकल घरेलू उत्पाद के 3.5 के बजाए 6 फीसदी तक कर्ज ले सकती है. सरकार ने इसके लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है. लिहाजा राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संसोधन) अधिनियम लागू होने के बाद सुक्खू सरकार इस वित्त वर्ष के बाकी बचे डेढ़ महीने से ज्यादा के समय के बीच और कर्ज ले सकती है.
हिमाचल के हाल पर RBI ने भी जताई चिंता
OPS देने पर सुक्खू सरकार के फैसले पर जहां कर्मचारियों में खुशी है, वहीं RBI ने प्रदेश की हालत पर चिंता जाहिर की है. RBI ने NPS हटाने पर सरकार को आगाह करते हुए कहा है कि इससे प्रदेश सरकार पर वित्तीय बोझ बड़ेगा, जिससे राज्य सरकार को नुकसान उठाना पड़ेगा.
बता दें कि प्रदेश में सरकार के OPS बहाल कर दी है. प्रदेश के करीब 1 लाख 36 हजार कर्मचारियों को इसका लाभ मिलने पर सरकार पर 900 करोड़ रुपए का वित्तीय बोझ पड़ेगा. बीते वर्ष हिमाचल का कुल खर्च 22464 करोड़ रुपए था. ऐसे में OPS देने के बाद अब सरकार पर 900 करोड़ रुपए का और भार पड़ेगा.
बजट से प्रदेश की जनता को काफी उम्मीद है. इसी बीच एक इंटरव्यू के दौरान बजट को लेकर सीएम सुक्खू से सवाल पूछा गया तो उन्होंने साफ-साफ कह दिया कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है.
लिहाजा बजट में किस वर्ग को कितनी सौगात मिलेगी, सौगात मिलेगी भी या नहीं, ये फिलहाल नहीं कहा जा सकता है. उन्होंने कहा कि हमें समझदारी और विवेक के साथ फैसले लेनें होगें ताकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति की दुर्व्यवस्था को सुधारा जा सके.
‘सुख की सरकार’ में महंगाई जारी, पेट्रोल डीजल से हुई शुरुआत
बेशक हिमाचल में सुक्खू सरकार महंगाई को मुद्दा बनाकर सत्ता में आई लेकिन ये मंहगाई अभी थमी नहीं है. सुक्खू सरकार ने मुफ्त बिजली समेत महिलाओं को 1500 रुपए हर महीने देने का वादा किया था लेकिन ये वादा अभी धरातल पर नहीं उतरा है. मंहगाई बढ़ने की शुरुआत सबसे पहले पेट्रोल डीजल से हुई.
सत्ता में आते ही सरकार ने डीजल-पेट्रोल के दामों में बढ़ोतरी करते हुए तीन प्रतिशत वैट बढ़ा दिया, इसका आम जनता पर बोझ पड़ा है.
एक लाख रोजगार देने पर कोई हलचल नहीं
सुक्खू सरकर ने एक साल में एक लाख रोजगार देते हुए, पांच साल में पांच लाख युवाओं को नौकरी देने की बात की थी. अभी इस फैसले का कोई अता-पता नहीं हैं क्योंकि जनता सोच रही थी कि मंहगाई का दंश शायद उतना ज्यादा नहीं चुभता, अगर बेरोजगार युवाओं को नौकरी मिल जाती.
फ्रंटफुट पर विवादित अफसर
सुक्खू सरकार लगातार अपने वादों को पूरा करने की बात कर रही है. वहीं इन वादों को पूरा करने के लिए सुक्खू सरकार कुछ विवादित अधिकारियों को फ्रंटफुट पर लेकर चल रही है. माना जा रहा है कि ऐसे अधिकारी समस्याओं का सही तरीके से निराकरण नहीं कर पा रहे हैं. लिहाजा अधिकारियों का एक वर्ग खुश नहीं माना जा रहा है.
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