कर्नाटक में जेडीएस-कांग्रेस के गठबंधन वाली कुमारस्वामी सरकार पर मंडराता खतरा टल गया है. बीजेपी के 'ऑपरेशन लोटस' को नाकाम करने में कांग्रेस के दिग्गज नेता सिद्धारमैया ने बड़ी भूमिका निभाई.
जानकारी के मुताबिक, कथित रूप से असंतुष्ट कांग्रेस विधायकों ने आखिरी वक्त में यू-टर्न लेते हुए पार्टी छोड़ने से इनकार कर दिया, जिससे बीजेपी का ‘ऑपरेशन लोटस’ नाकाम हो गया है. पिछले सात महीने में ये दूसरा मौका है, जब कर्नाटक में सरकार बनाने की बीजेपी की कवायद फेल हुई है.
क्या था बीजेपी का ‘ऑपरेशन लोटस’?
कर्नाटक में दो निर्दलीय विधायकों के जेडीएस-कांग्रेस गठबंधन से समर्थन वापस लेने के बाद कुमारस्वामी सरकार पर संकट के बादल मंडराने लगे थे. कांग्रेस-जेडीएस का आरोप है कि बीजेपी उसके विधायकों को तोड़ने की कोशिश कर रही है.
इसी बीच कथित तौर पर कांग्रेस के 5 विधायक गायब हो गए. बीजेपी ने अपने सभी 104 विधायकों को तोड़-फोड़ से बचाने के लिए गुरुग्राम के एक रिजॉर्ट में रखा. जेडीएस-कांग्रेस के विधायक तोड़कर सरकार गिराने की कोशिश को 'ऑपरेशन लोटस' नाम दिया गया.
बता दें, बीजेपी कर्नाटक में जेडीएस और कांग्रेस की गठबंधन सरकार को गिराने की कोशिश पहले भी कर चुकी है. आइए, इस राजनीतिक संकट के सियासी समीकरण पर एक नजर डालते हैं.
- बीजेपी के पास कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं है. लेकिन बीजेपी 'ऑपरेशन लोटस' के जरिए राज्य की सत्ता में आना चाहती है.
- ऐसा कहा जा रहा है कि बीजेपी विपक्ष के विधायकों को तोड़ने की कोशिश में थी.
- कांग्रेस-जेडीएस विधायकों से इस्तीफा कराया गया तो विधानसभा में सीटें घट जाएंगी.
- इससे बीजेपी को बहुमत का आंकड़ा कम हो जाता
- बाद में इस्तीफा देने वाले विधायकों को उपचुनाव में बीजेपी का टिकट देने का प्लान था
कैसे फेल हुआ ‘ऑपरेशन लोटस’?
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक येदियुरप्पा ने पार्टी विधायकों से कहा था कि पार्टी आलाकमान एक साथ कम से कम 16 जेडीएस-कांग्रेस विधायकों के इस्तीफे चाहता था. कांग्रेस के 12 विधायकों ने बीजेपी को भरोसा दिया था कि वे इस्तीफा दे देंगे, लेकिन वे आखिरी समय पर पीछे हट गए.
मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो कर्नाटक में कैबिनेट विस्तार के बाद से ही विधायकों ने बागी तेवर दिखाने शुरू कर दिए. इनमें से ही कुछ विधायक बीजेपी के संपर्क में थे. सियासी संकट खड़ा होते देख कांग्रेस के बड़े नेता सिद्धारमैया और सीएम कुमारस्वामी सामने आए. दोनों नेताओं ने बागियों को मनाने की कोशिश शुरू की, जो आखिर में कामयाब भी हुई.
बताया जा रहा है कि कांग्रेस ने बागी विधायकों से वादा किया है कि उनके विधासभा क्षेत्रों से जुड़े ट्रांसफर-पोस्टिंग समेत दूसरे मामलों में कोई भी मंत्री या अधिकारी दखल नहीं देगा. वहीं विधायकों को कैबिनेट में जगह दिए जाने को लेकर भी उन्हें उचित समय का इंतजार करने को कहा गया है.
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