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जामिया वीडियो: ओवैसी बोले- हिटलर राज, कपिल मिश्रा को याद आया कसाब

जामिया में पुलिस के लाठीचार्ज वाले वीडियो के बाद शुरू हुई बयानबाजी

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दिल्ली की जामिया यूनिवर्सिटी में पुलिस और छात्रों के बीच हुई झड़प एक बार फिर चर्चा में है. पुलिस की कार्रवाई के कुछ वीडियो सामने आए हैं. जिसमें पुलिस छात्रों पर लाठियां भांजती दिख रही है. अब इस मामले को लेकर बयानबाजी फिर शुरू हो चुकी है. विपक्षी नेता जहां पुलिस की कार्रवाई पर सवाल खड़े कर रहे हैं, वहीं बीजेपी नेता इसे सही ठहराने की कोशिश में जुटे हैं.

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बता दें कि पहले जामिया छात्रों की तरफ से एक वीडियो जारी किया गया, जिसमें पुलिसकर्मी जमकर डंडे बरसाते दिख रहे हैं. वहीं इसके बाद पुलिस ने भी वीडियो जारी कर बताया कि वो बाहर हिंसा कर रहे छात्रों के पीछे भागते हुए वहां आई थी. इस घटना को लेकर एआईएमआईएम नेता असदुद्दीन ओवैसी ने मोदी सरकार को घेरा. उन्होंने सवाल उठाया कि ये छात्र हैं या फिर हिटलर के दौर के यहूदी हैं. ओवैसी ने ट्वीट कर कहा,

“क्या ये यूनिवर्सिटी के छात्र हिटलर की जर्मनी में रहने वाले यहूदी हैं?”
असदुद्दीन ओवैसी

कांग्रेस के सीनियर लीडर कपिल सिब्बल ने भी इस मामले पर ट्वीट किया. उन्होंने सवाल उठाए कि पुलिस ने छात्रों से कोई भी चर्चा नहीं की. पुलिस की क्रूरता का जिक्र करते हुए सिब्बल ने ट्वीट किया,

"15 दिसंबर को जामिया की लाइब्रेरी में पुलिस की क्रूरता, जब पुलिवालों ने सच को छिपाया. जब युवाओं से किसी भी तरह की बातचीत नहीं की गई. जब असभ्य भाषण दिए गए. जब सरकार एक जासूस बन गई और डेटा पूरी तरह झूठा था. धीरे-धीरे लोकतंत्र की जड़ें कमजोर होती जा रही हैं."

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BJP ने किया पुलिस का बचाव

वहीं दिल्ली चुनाव में अपने पाकिस्तान वाले बयान को लेकर चर्चा में रहे बीजेपी नेता कपिल मिश्रा ने अपने अंदाज में ट्वीट कर इसे आतंकी घटना से जोड़ दिया. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा,

"अगर उस दिन कसाब भागकर गन समेत लाइब्रेरी में घुस जाता तो इनोसेंट कहलाता."

बीजेपी की तरफ से इस मामले को लेकर प्रेस कॉन्फ्रेंस में भी बताया गया. जामिया वीडियो को लेकर एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी नेता जीवीएल नरसिम्हा राव ने सुप्रीम कोर्ट को कोट करते हुए कहा, "हम छात्रों के अधिकारों का खयाल रखने के पक्ष में हैं, लेकिन एक दंगों के माहौल का नहीं. सभी तरह की हिंसा रुकनी चाहिए." उन्होंने आगे कहा कि "हम इस पूरी घटना के राजनीतिकरण की निंदा करते हैं. छात्रों के हाथ में पत्थर दिखाई दे रहे हैं, क्या ये छात्र हैं या बाहर के लोग अराजकता फैलाने आए हैं। अगर ये छात्र हैं तो फिर चेहरा क्यों छिपाए हुए हैं?"

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